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उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर टाले अकाल मृत्यु और दिलाए मोक्ष
अगर आप भगवान शिव के बड़े भक्तों में से एक हैं तो आपको पता होगा कि इनके 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं जो कि पूरे भारत में विराजमान हैं। इसी में से एक है महाकालेश्वर मंदिर जो भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में बसा हुआ है।
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मान्यता है कि जो भी इंसान इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। महाभारत में तथा महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है।
धर्म
ग्रंथों
के
अनुसार-
आकाशे
तारकेलिंगम्,
पाताले
हाटकेश्वरम्
मृत्युलोके
च
महाकालम्,
त्रयलिंगम्
नमोस्तुते।।
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यानी आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर से बढ़कर अन्य कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है। इसलिए महाकालेश्वर को पृथ्वी का अधिपति भी माना जाता है अर्थात वे ही संपूर्ण पृथ्वी के एकमात्र राजा हैं। अब आइये ठीक से जानें इस मंदिर के बारे में...
दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग
शंकर जी का यह अनोखा मंदिर अन्य प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में एक मात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि दक्षिण दिशा के स्वामी स्वयं भगवान यमराज हैं। तभी जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आ कर भगवान शिव की सच्चे मन से प्राथर्ना करता है, उसे मृत्यु उपरांत यमराज दृारा दी जाने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती है।
अकाल मृत्यु टालते हैं शिव जी
देश-दुनिया से काफी लोग यहां पर इसलिये भी दर्शन करने आते हैं कि जिससे वे अपनी अकाल मृत्यु को टाल सकें और सीधे मोक्ष को प्राप्त कर सकें।
सारी इच्छा करते हैं पूरी
भगवान शिव अपने भक्त की सारी इच्छाएं पूरी करते हैं। अगर आपको अपनी मनोकामनाएं पूरी करनी है तो यहां आ कर एक बार दर्शन जरुर करें, जिससे आपको धन, धान्य, निरोगी शरीर, लंबी आयु, संतान आदि सब कुछ प्राप्त हो।
पृथ्वी का केंद्र हैं महाकाल
कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही संपूर्ण पृथ्वी का केंद्र बिंदु है और संपूर्ण पृथ्वी के राजा भगवान महाकाल यहीं से पृथ्वी का भरण-पोषण करते हैं।
गाय के कंड़े से होती है भस्मार्ती
यहाँ पहले महाकाल की भस्म आरती में ताजा मुर्दे की भस्म का ही प्रयोग होता था, किन्तु महात्मा गांधी के आग्रह के पश्चात शास्त्रीय विधि से निर्मित उपल-भस्म से भस्मार्ती होने लगी।