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महाशिवरात्रि 2018: ये है महाशिवरात्रि की सही व्रत विधि
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे हर साल फाल्गुन माह में 13वीं रात या 14वें दिन मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि का महापर्व दो दिन 13 और 14 फरवरी को पड़ रहा है। देश के कुछ शहरों में 13 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी तो कुछ शहरों में 14 फरवरी को। शिवरात्री मनाने के पीछे मुख्यतः दो मान्यताएं मानी जाती है। पहली की सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। जबकि कुछ का मानना है की इस दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था।
इसी पवित्र दिन आप भोले भंडारी और माता शिवानी की पूजा कर आप सौभाग्य की प्राप्ती करेंगे और सुख समृद्धी से परिवूर्ण होंगे। अब आइये जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा किस विधि से करनी चाहिये...
सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भर कर ऊपर से बेल पत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डाल कर शिवलिंग पर चढाइये।
क्या
करें
अगर
घर
पर
शिवलिंग
नहीं
है
या
शिव
जी
का
मंदि
नहीं
है
तो?
ऐसे
में
आप
शुद्धी
गीली
मिट्टी
ले
कर
उससे
शिवलिंग
बनाएं
और
फिर
उसकी
पूजा
करें।
इसके
बाद
शिव
पूराण
का
पाठ
सुनें।
सूर्योदय से पहले उत्तर पूर्व दिशा में हो कर पूजन और आरती आदि की तैयारियां कर लें। सूर्योदय के समय पुष्पांजली और स्तुति कीर्तन के साथ महाशिवरात्रि का पूजन संपन्न होता है। उसके बाद दिन में ब्रहमभोज भंडारा के दृारा प्रसाद वित्रण कर व्रत सम्पन्न करें।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सब पापों का नाश हो जाता है। हिंसक प्रवृत्ति बदल जाती है। निरीह जीवों के प्रति आपके मन में दया भाव उपजता है! महाशिवरात्रि की व्रत समाप्ति अगले दिन प्रातहकाल जौ, तिल , खील और बेल पत्र का हवन कर के करें।
इस पर्व की खासियत है कि इस दिन चारों प्रहर ईश्वर की विधि विधान से पूजा अर्चना की जा सकती है।
चारों
प्रहरों
का
मूहूर्त
रात्रि
के
समय
भगवान
शिव
का
पूजन
एक
से
चार
बार
किया
जाएगा।
यह
भक्तों
पर
निर्भर
करता
है
कि
वे
किस
तरह
महादेव
की
पूजा
करना
चाहते
हैं।
- रात्रि पहले प्रहर पूजा का समय : शाम 18:05 से 21:20 तक
- रात के दूसरा प्रहर में पूजा का समय : रात 21:20 से 00:35 तक
- तीसरा प्रहर पूजा का समय = 00:35 से 03:49 तक
- चौथा प्रहर पूजा का समय = 03:49 से 07:04 तक
शिवरात्रि
का
महत्व
ऐसा
माना
जाता
है
कि
महाशिवरात्रि
पर
भगवान
मानवजाति
के
काफी
निकट
आ
जाते
हैं।
मध्यरात्रि
के
समय
ईश्वर
मनुष्य
के
सबसे
ज्यादा
निकट
होते
हैं।
यही
कारण
है
कि
लोग
शिवरात्रि
के
दिन
रातभर
जागते
हैं।