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जानें किस दिन पड़ रही है साल 2021 की मार्गशीर्ष अमावस्या और इस दिन का क्या है विशेष महत्व
हिंदू सनातन धर्म में पूर्णिमा एवं अमावस्या तिथियों का विशेष महत्व होता है। इन तिथियों पर विशेष पूजन और व्रत आदि किये जाते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या भी इन्हीं महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाती है। मार्गशीर्ष मास को अगहन मास भी कहा जाता है। जिस प्रकार सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, वैसे ही मार्गशीर्ष का महीना भगवान श्री कृष्ण को विशेष रूप से समर्पित रहता है। आइये जानते है मार्गशीर्ष अमावस्या से सम्बंधित मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि एवं मुहूर्त
इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 4 दिसंबर को पड़ रही है। अमावस्या तिथि 3 दिसंबर को शाम में 4:55 बजे शुरू होकर 4 दिसंबर को दोपहर को 1:12 बजे तक चलेगी। अमावस्या की तिथि शनिवार के दिन पड़ रही है इसलिए यह शनि अमावस्या भी होगी। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि इसलिए भी खास है क्योंकि इसी तारीख को साल 2021 का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लग रहा है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
मार्गशीर्ष को भगवान कृष्ण ने अपने समान दर्जा दिया था, इसका ज़िक्र गीता में भी मिलता है। इस माह का प्रत्येक दिन श्री कृष्ण की विशेष पूजा के लिए होता हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह तिथि पितरों का तर्पण करने के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण होती है। मान्यतानुसार इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शान्ति मिलती है और परिवार को खुशहाली प्राप्त होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पूजा विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण तिथि है इसलिए इस दिन विशेष पूजा नियमों का पालन आवश्यक हो जाता है। प्रातः काल में जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से मुक्त होकर किसी नदी में जाकर स्नान करें और सूर्य देवता को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद मंत्रों का जाप करते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। तत्पश्चात समस्त देवताओं का स्मरण करते हुए पितरों का तर्पण करें और उनकी मोक्ष की कामना करें। पूजन और तर्पण के बाद गर्म वस्त्र, कंबल, चादर, उड़द की दाल, तिल, तेल, राई, रूई आदि का दान गरीबों को करना चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या के शुभ अवसर पर श्रीसत्यनारायण की आराधना करने और कथा सुनने की भी मान्यता है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।