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मोहिनी एकादशी की महिमा है निराली, जानें क्यों भगवान विष्णु ने लिया था खूबसूरत मोहिनी रूप

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हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रतों का बहुत विशेष महत्व होता है। हर माह दो एकादशी तिथि पड़ती हैं और हर एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है। एकादशी की तिथियों में भगवान विष्णु की विशेष अराधना की जाती है। मई के इस माह में पहली एकादशी मोहिनी एकादशी पड़ने वाली है। इस एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं मोहिनी एकादशी की तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और कथा के बारे में।

तिथि एवं मुहूर्त

तिथि एवं मुहूर्त

मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह यह एकादशी 12 मई को पड़ने वाली है। एकादशी तिथि की शुरुआत 11 मई की शाम 07:32 बजे होगी और इसका समापन 12 मई की शाम 06:51 बजे होगा। व्रत पारण का समय 13 मई को सुबह 05:32 से 08:14 के बीच होगा।

पूजा विधि

पूजा विधि

प्रातः काल में उठाकर स्नानादि से निवृत होकर सूर्य को जल चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के पूजा स्थल में भगवान विष्णु की मोहिनी स्वरुप की मूर्ति को स्थापित करें या भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें। भगवान को पंचामृत से स्नान कराके उन्हें तुलसीदल, फूल और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद भगवान के समक्ष धूप एवं दीपक जलाएं। पूजा के दौरान विष्णु मन्त्रों का जाप करें और मन में ध्यान लगाएं। द्वादशी तिथि को दान अवश्य करें। अगले दिन व्रत पारण करने से पहले मोहिनी एकादशी कथा का पाठन ज़रूर करें।

इन बातों का रखें ख़ास ध्यान

इन बातों का रखें ख़ास ध्यान

एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक चीज़ों का सेवन न करें। इस दिन चावल का सेवन करने की भी मनाही होती है।

एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को बिलकुल ना तोड़ें। पूजा के लिए पत्तों को एक दिन पहले ही तोड़ कर रखें।

व्रत कथा

व्रत कथा

सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का नगर था। वहां धृतिमान नाम का राजा का शासन था। उसी नगर में एक बनिया रहता था - धनपाल। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था। उसके पांच पुत्र थे- सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि। धृष्टबुद्धि सदा पाप कर्म में लिप्त रहता और अपने पिता का धन बर्बाद करता था।

एक दिन उसके पिता ने तंग आकर उसे घर से निकाल दिया और वह जंगल में भटकने लगा। जंगल में एक दिन महर्षि कौण्डिन्य गंगा स्नान करके आ रहे थे तब उनके शरीर और कपड़ों से कुछ छीटें धृष्टबुद्धि पर आ पड़ी। इससे उसको कुछ सद्बुद्धि आई और वह व्याकुल मन से महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम जा पहुंचा और हाथ जोड़ कर बोला कि मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे पुण्य प्रभाव से मेरी मुक्ति हो। तब महर्षि कौण्डिन्य ने उसे वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बारे में बताया। इस एकादशी के महत्व को सुनकर धृष्टबुद्धि ने विधिपूर्वक व्रत किया। इस व्रत को करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर बैठकर श्री विष्णुधाम को चला गया।

भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा मोहिनी रूप

भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा मोहिनी रूप

पुराणों के अनुसार, देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। मंथन के पश्चात् क्षीर सागर से कई तरह के रत्न निकलें और अंत में धन्वतंरि अमृत कलश लेकर निकले। इसे देखते ही देव और दानवों के बीच अमृत पाने के लिए युद्ध होने लगा। ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देत्त्यों का ध्यान भटकाया। उन्होंने सारा अमृत देवताओं को बांटकर दानवों को अमर होने से रोका।

नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

English summary

Mohini Ekadashi 2022: Date, Muhurat, Puja Vidhi, Significance and Vrat Katha in Hindi

Mohini Ekadashi is significant and unique because devotees worship the Mohini form (the female avatar) of Lord Vishnu. Check out the details of this ekadashi in Hindi.
Story first published: Tuesday, May 10, 2022, 12:26 [IST]
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