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इस मोहिनी एकादशी करें भगवान विष्णु से खुशहाल जीवन की कामना
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार श्री हरि ने इसी दिन मोहिनी रूप धारण किया था। ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी पर अगर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है। आपको बता दें इस बार मोहिनी एकादशी 26 अप्रैल, 2018 को है।
आइए जानते है मोहिनी एकादशी की व्रत विधि, कथा और इस पूजा का महत्व।
शास्त्रों में मोहिनी एकादशी के व्रत और पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि प्रभु श्री राम जब सीता जी से अलग हुए थे तब उन्होंने अपने प्रिय से बिछड़ने के वियोग में यह व्रत रखा था। इसके आलावा पांडव पुत्र युधिष्ठिर ने भी अपने कष्टों के निवारण के लिए मोहिनी एकादशी पर व्रत और पूजा की थी।
अन्य व्रतों की तरह इस दिन भी व्रतधारी को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जैसे भूलवश भी चावल का सेवन न करें। साथ ही इस दिन ब्रह्मचर्य का भी पालन करना अति आवश्यक होता है।
सर्वप्रथम स्नानादि करके आप स्वच्छ हो जाएं। फिर कलश की स्थापना करें। उस कलश को लाल कपडे में लपेट कर पूजा के स्थान पर रखें। साथ ही विष्णु जी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें। इसके बाद भगवान को पीले पुष्प अर्पित करें, चन्दन लगाएं, प्रसाद और जौ चढ़ाएं फिर व्रत कथा पढ़ें या सुने। मोहिनी एकादशी पर दिन में तो पूजा करते ही है इस दिन रात को भी भजन कीर्तन करें। कहा जाता है कि इस दिन रात को भगवान के समीप ही सोना चाहिए।
अगले
दिन
सुबह
पूजा
अर्चना
करने
के
बाद
अपने
सामर्थ्य
अनुसार
ब्राह्मणों
को
भोजन
करवाएं
और
दान
दक्षिणा
दें।
पारण
शुभ
मुहूर्त
में
ही
करें।
इस
पूजा
का
महत्व
मोहिनी एकादशी पर पूजा और व्रत को बहुत ही लाभदायक माना जाता है। कहते हैं इस दिन सच्चे मन और श्रद्धा से विष्णु जी की उपासना करने वाले मनुष्य को उनका आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है साथ ही उसके सारे दुःख और दरिद्रता भी दूर हो जाती है।
इसके
आलावा
इस
व्रत
के
प्रभाव
से
जो
पुण्य
प्राप्त
होता
है
वह
तीर्थ,
हवन
और
यज्ञ
करने
से
कई
ज़्यादा
पुण्य
देने
वाला
होता
है।
इतना
ही
नहीं
मोहिनी
एकादशी
की
पूजा
मोक्ष
प्राप्ति
के
मार्ग
को
ढूंढने
में
भी
सहायता
करती
है।
इन
मंत्रों
का
करें
जाप
'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम या विष्णु अष्टोत्तम का भी पाठ करें।
'ओम श्री रामाय नम:’ का जाप भी कर सकते हैं।
शुभ
मुहूर्त
मोहिनी एकादशी का आरंभ समय– रात 10:46 बजे (25 अप्रैल)
एकादशी तिथि समाप्त का समय – रात 09:19 बजे (26 अप्रैल)
व्रत खोलने का समय – सुबह 05:48 से 08:07 बजे तक (27 अप्रैल)
मोहिनी
एकादशी
व्रत
कथा
मोहिनी एकादशी की कथा कुछ इस प्रकार है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत से भरा हुआ घड़ा बाहर निकला तो असुर भी उस अमृत के लिए देवताओं से युद्ध करने लगे। किन्तु देवता उन असुरों को अमृतपान करने से रोकना चाहते थे क्योंकि राक्षसों ने अगर अमृत पी लिया तो वे अमर हो जाएंगे और समस्त संसार का सर्वनाश हो जाएगा।
उनके अत्याचारों से मनुष्य ही नहीं बल्कि देवता भी नहीं बच पाएयेंगे। सभी देवतागण बहुत ही चिंतित थे फिर उन्होंने श्री हरि विष्णु से सहायता मांगी। तब विष्णु जी समझ गए की यहां छल द्वारा ही असुरों को पराजित किया जा सकता है इसलिए उन्होंने मोहिनी नाम की अप्सरा का रूप धारण किया। मोहिनी का अर्थ होता है जो स्त्री किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर ले।
कहते हैं मोहिनी का सुन्दर रूप देखकर सभी राक्षस मंत्रमुग्ध हो गए। इस बात का फायदा विष्णु जी ने उठाया और देवताओं को अमृत पान करा दिया। वहीं दूसरी ओर अमृत की प्रतीक्षा कर रहे असुरों को विष्णु जी ने जल का सेवन करा दिया था। इस प्रकार असुरों की हार हुई और देवताओं की जीत।