Just In
- 1 hr ago
17 August Horoscope: इन 3 राशियों के लिए खुलेंगे सफलता के रास्ते, बाकी भी जानें अपना राशिफल
- 12 hrs ago
Parenting Tips: इन मोबाइल Apps से बच्चों की मेंटल हेल्थ हो रही प्रभावित
- 14 hrs ago
न्यूयॉर्क के गटर के पानी में मिला पोलियोवायरस, जानिए कितनी घातक है ये बीमारी
- 15 hrs ago
'Friends With Benefits Relationships: रूल्स जो आपको जरूर पता होने चाहिए
Don't Miss
- News
गुजरात में फिर 2000 करोड़ की MD ड्रग्स जब्त, गांव में चल रही थी फैक्ट्री, तहलका मचा
- Education
SSC CHSL Answer Key Question Paper Download एसएससी सीएचएसएल टियर 1 फाइनल आंसर की 2022 प्रश्न पत्र पीडीएफ जारी
- Movies
अपने अनाड़ी भाई सैफ अली खान को अक्षय कुमार ने किया खिलाड़ी तरीके से जन्मदिन पर विश, देखिए वीडियो
- Technology
सबसे पहले Airtel करने जा रहा है 5G का श्री गणेश
- Finance
किस्मत का खेल : लगा लॉटरी में कुछ नहीं मिला, फिर जीते 8 करोड़ रु
- Travel
जयपुर का अनोखा मंदिर, जहां पाए जाते हैं हजारों बंदर
- Automobiles
रेलवे ने चलाई अब तक की सबसे लंबी मालगाड़ी, एक स्टेशन को पार करने में लगता है 4 मिनट
- Sports
जोकोविच ने कोरोना को लिया हल्के में, अब सामने आया राफेल नडाल का बयान
Narasimha Jayanti 2022 : नृसिंह जयंती के मौके पर इन अचूक मंत्रों के जाप से मिटेंगे सारे कष्ट
नरसिंह जयंती का अवसर बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इस तिथि को ही भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद के लिए नृसिंह अवतार ग्रहण किया था और अत्याचारी हिरण्यकश्यप का वध किया था। भगवान नरसिंह श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली रूप माने जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु ने धर्म और शान्ति की स्थापना की। इस वर्ष नरसिंह जयंती 14 मई को मनाई जाएगी। जानते हैं नृसिंह जयंती की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में-

तिथि एवं मुहूर्त
नृसिंह जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। चतुर्दशी तिथि 14 मई की दोपहर को 03:22 बजे से शुरू होकर 15 मई की दोपहर 12:45 बजे तक रहेगी। पूजा का मुहूर्त 14 मई की शाम 04:22 बजे से 07:04 बजे तक रहेगा। शाम में पूजा करने के पीछे एक कारण यह है कि भगवान विष्णु ने असुरराज हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए दिन के ढलने और शाम के प्रारंभ के मध्य का समय चुना था। इस समय में ही उन्होंने नृसिंह अवतार लिया था।

नरसिंह जयंती का महत्व
नरसिंह जयंती का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके नरसिंह अवतार की पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन पूजा करने और व्रत का पालन करने से दुखों का निवारण होता है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। हिरन्यकश्यप को यह वरदान प्राप्त था कि कोई भी नर-नारी इस धरती पर उसका वध नहीं कर सकता है। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह यानि आधे नर और आधे सिंह का अवतार धारण करके अत्याचारी हिरण्यकश्यप का अंत किया।

पूजन विधि
प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत हो। भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की तस्वीर या मूर्ति को पीला कपड़ा बिछाकर आसन पर स्थापित करें। जलाभिषेक करने के साथ भगवान पर फूल माला चढ़ाएं और चन्दन का टीका लगाएं। इसके बाद नारियल, केसर, फलों और मिठाई का भोग लगा दें। अंत में घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान का ध्यान करें। इसके साथ ही सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन सूर्योदय तक बिना अन्न खाएं व्रत रखें। नरसिंह के मन्त्रों का जाप करें। भगवान के मन्त्रों का जाप मध्य रात्रि में भी करना सबसे उत्तम होगा।

भगवान नरसिंह के सिद्ध मंत्र
एकाक्षर नृसिंह मंत्र : ''क्ष्रौं''
त्र्यक्षरी नृसिंह मंत्र : ''ॐ क्ष्रौं ॐ''
षडक्षर नृसिंह मंत्र : ''आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं हुं फट्''
नृसिंह गायत्री : ''ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।
नृसिंह गायत्री : ''ॐ वज्र-नखाय विद्महे, तीक्ष्ण-द्रंष्टाय धीमहि। तन्नो नारसिंह: प्रचोदयात्।।''
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।