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शारदीय नवरात्रि 2018: बुध ग्रह के दुष्प्रभावों से बचने के लिए ऐसे करें माँ कुष्मांडा की पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि माता ने केवल अपनी हंसी मात्र से ही इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की थी। इन देवी की उपासना करते समय मन में पवित्रता और शांति रखनी चाहिए। शारदीय नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर आइए जानते हैं देवी आदिशक्ति के इस चतुर्थ स्वरूप की महिमा के विषय में।
जब चारों ओर अंधकार ही अंधकार था
पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन किया गया है कि प्रलय से लेकर सृष्टि की उत्पत्ति तक चारों तरफ केवल अंधेरा ही था। तब माँ आदिशक्ति ने देवी कुष्मांडा का रूप लेकर अपनी मंद मुस्कान से अण्ड यानी ब्रह्माण्ड की रचना की थी। यही कारण है की इन देवी का नाम कुष्मांडा है अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने वाली। आठ भुजाएं होने के कारण ये अष्टभुजा भी कहलाती हैं।
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माता का स्वरूप
कहा जाता है कि देवी कुष्मांडा का रूप बिल्कुल सूर्य के समान तेजस्वी है। माता सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं जहां रहने की शक्ति और क्षमता केवल इन्हीं देवी के पास है। माना जाता है कि माता के तेज से ही संसार में चारों ओर प्रकाश फैला हुआ है। इस रूप में माता की आठ भुजाएं हैं जिनमें कमंडल, धनुष बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा है।
माँ के आठवें हाथ में जप करने वाली माला है। इन देवी का वाहन सिंह है।
बुध ग्रह से जुड़ी परेशानियां करती है माता दूर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी कुष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है। अगर जानकारों की मानें तो माता की उपासना से मनुष्य को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। ख़ास तौर पर यदि उसकी कुंडली में बुध ग्रह से जुड़ी कोई समस्या है तो इन देवी की पूजा बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।
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पूजन विधि
देवी कुष्मांडा को हरा रंग पसंद है इसलिए इनकी पूजा हरे रंग के वस्त्र धारण करके ही करें। माता को हरी इलाइची, सौंफ और कुम्हड़ा ज़रूर चढ़ाएं। इसके अलावा माता को मालपुए बहुत प्रिय हैं। प्रसाद के लिए मालपुए भी चढ़ा सकते हैं। इस दिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना बेहद शुभ होता है।
संस्कृत में कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते इसलिए इन देवी को कुम्हड़ा बहुत पसंद है। इनकी पूजा में कुम्हड़े की बलि देना बहुत ही शुभ माना जाता है।
देवी कुष्मांडा का ध्यान मंत्र
देवी कुष्मांडा का आवाहन करने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।
आप चाहें तो माता के मुख्य मन्त्र ॐ कुष्मांडा दैव्य नमः का 108 बार जाप भी कर सकते हैं।
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माँ कुष्मांडा की पूजा से मिलता है यह लाभ
देवी कुष्मांडा की आराधना से भक्तों को कई सारी सिद्धियां और निधियां प्राप्त होती है। इनकी पूजा से घर में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही सभी रोगों का नाश होता है और आयु भी बढ़ती है। इतना ही नहीं माता हमें जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना मुस्कुरा कर करने की शक्ति प्रदान करती हैं।