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Navratri 2021: कन्या पूजन बिना क्यों अधूरी है नवरात्रि, जानें यहां
नवरात्रि में भक्त पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना करते हैं। लोग इस दौरान व्रत भी रखते हैं। वैसे तो नवरात्रि साल में 4 माह में आती है माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। इनमें से चैत्र माह की नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि का बड़ा महत्व होता है। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि भी कहा जाता है और अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं।
इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर को हुई थी। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में 8 वे दिन भक्त मां दुर्गा के 8 वे स्वरूप देवी महागौरी की पूजा के साथ कन्या पूजन का भी विधान है।
आइए आपको बताते हैं कि इस बार कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है और इस पूजा से जुड़ी कुछ और विशेष बातें।
दुर्गम दैत्य का वध कर बनी देवी दुर्गा
कहा जाता है कि एक बार दुर्गम नामक एक राक्षस ने चारों और उत्पात मचा रखा था। तब सभी देवी देवता भगवान शंकर के पास मदद मांगने के लिए गए, लेकिन दुर्गम राक्षस को यह वरदान प्राप्त था कि उसका वध किसी भी पुरुष के हाथों से नहीं होगा। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर अपनी शक्तियों से एक देवी की उत्पत्ति की जिन्होंने दुर्गम राक्षस को मारकर समस्त संसार और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। उन देवी को हम मां दुर्गा कहते हैं। चूंकि शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा की उत्पत्ति हुई थी इसलिए नवरात्रि में महा अष्टमी का खास महत्व होता है।
सिर्फ 8 दिन है 2021 नवरात्रि
इस बार नवरात्रि 9 की जगह सिर्फ 8 दिनों तक ही मनाई जाएगी क्योंकि तीसरी और चौथी नवरात्रि एक ही दिन हुई है। आज सप्तमी है और कल महाअष्टमी। कुछ लोग अष्टमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। वहीं कुछ लोग अष्टमी के दिन व्रत रखकर नवमी के दिन हवन और कन्या पूजन करते हैं।
कन्या पूजन से पूरी होती है नवरात्रि
ऐसा माना जाता है कि 9 दिनों की यह पूजा कन्या पूजन के बिना अधूरी रहती है, इसलिए हर नवरात्रि में कन्या पूजन करना बेहद जरूरी होता है। पूजा में 2 से 10 साल तक की छोटी कन्याओं को हलवा, पूरी, खीर आदि का भोजन कराया जाता है। उनके पैर धोए जाते हैं, साथ ही उन्हें तिलक भी लगाया जाता है। इन कन्याओं को देवी का ही रूप माना जाता है।
कन्या पूजन का सही मुहूर्त
कन्या पूजन अष्टमी तिथि समय प्रारंभ अक्टूबर 12 9:47 PM
कन्या पूजन अष्टमी तिथि समय समाप्त अक्टूबर 13 8:07 PM
कल अभिजित मुहूर्त नहीं है इसलिए आप विजय मुहूर्त के दौरान पूजा कर सकते हैं। 2:03 PM से 2:49 PM के पूजा करना शुभ होगा।
12:00 PM to 1:30 PM तक राहुकाल रहेगा इसलिए इस दौरान पूजा करने से बचें।