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दुर्लभ तांत्रिक शक्तियों के लिए क्यों उपयुक्त माना जाता है गुप्त नवरात्रि
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं। इसका उल्लेख देवी पुराण में भी है। देवी पुराण में कहा गया है- 'आश्विने वा ऽथवा माघे चैत्रें वा श्रावणेऽति वा।'
सबसे पहला नवरात्र हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष के प्रथम मास चैत्र में आता है। इसे शारदीय व वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद दूसरा नवरात्र चौथे माह में यानी आषाढ़ में आता है। इसके बाद आश्विन माह में सबसे प्रमुख नवरात्र का विधान है। माघ में भी नवरात्रि आती है। कुल मिलाकर चार नवरात्र हैं। आषाढ़ तथा माघ माह में जिन नवरात्र का उल्लेख है इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है, मगर गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है।
नौ देवी - नौ महाविद्या की साधना
‘नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते'। देवी पुराण में वर्णित देवी के नौ रूप नौ शक्तियों की प्रतीक हैं। इन नौ महाविद्याओं की प्राप्ति के लिए देवी के नौ रूपों की आराधना की जाती है।
क्यों विशेष है गुप्त नवरात्रि का समय
ऐसा माना जाता है की गुप्त नवरात्रि दुर्लभ शक्ति प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर होता है। गुप्त नवरात्रि के समय विशेषतौर पर नौ विद्याओं की साधना की जाती है और ऐसा माना जाता है कि इस समय साधना करके चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त की जा सकती हैं। इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। साथ ही आयुर्वेद के द्वारा भी इसे समझा जा सकता है। गुप्त नवरात्रि का समय वो समय होता है जब ऋतु बदलती है और बदलते मौसम में हमारे शारीर में भी हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। शरीर में हो रहे इस परिवर्तन के समय बाहरी रोगाणु बीमारी पैदा कर सकते हैं इसलिए खान पान, उपवास और साधना के द्वारा अपने शारीर को संतुलित और अनुशासित रखा जाता है। नवरात्रि में उपवास के साथ साथ देवी का स्मरण करना शक्ति और उर्जा देता है।
दुर्लभ शक्ति प्राप्त करने के लिए शुभ समय
आषाढ़ और माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार गुप्त नवरात्र में विशेष तौर पर शिव और देवी की पूजा की जाती है। दोनों ही संहारक हैं। देवी शक्ति की प्रतीक हैं और दुष्टों का संहार करने वाली है। इनकी आराधना से प्राप्त शक्ति से दुर्गुण, रोग बीमारी और अन्य विकारों के ऊपर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस कारण तांत्रिक लोग विशेष तौर पर इस बदलते मौसम के दौरान देवी के शक्तिशाली मंत्रो का जाप करके अभीष्ट शक्ति प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं।