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नवरोज़ 2018: पारसी समुदाय का नया साल, जानिये क्या होता है ख़ास
आज यानी 17 अगस्त, 2018 को समस्त पारसी समुदाय अपना नव वर्ष नवरोज़ मना रहा है। इस शुभ अवसर पर सभी लोग सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। नवरोज़ जिसे फारसी नया साल कहा जाता है मुख्यतः पूरी दुनिया के ईरानियों द्वारा मनाया जाता है लेकिन आजकल यह उत्सव केवल ईरान में ही नहीं बल्कि पडोसी मुल्क के लोग भी बड़े ही धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं।
मूल रूप से सभी पारसी, ज़रथुष्ट्री धर्म को मानते हैं जिसकी स्थापना महात्मा ज़रथुष्ट्र ने पर्शिया में ही की थी। इस दिन को पारसी राजा जमशेद की याद में जमशेदी नवरोज़ भी कहते हैं। राजा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। भारत में पारसी 'शहंशाही कैलेंडर’ को फॉलो करते हैं इसलिए यहां के लोग साल के दूसरे तिमाही में नवरोज़ का उत्सव मनाते हैं। वहीं दूसरे देश के लोग ईरानी कैलेंडर को फॉलो करते हैं। चूंकि शहंशाही कैलेंडर में लोग लीप ईयर को नहीं मानते हैं, इसलिए इन त्योहारों को करीब 200 दिन देर से मनाते हैं।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, ये अगस्त के महीने में पड़ता है। नवरोज़ पारसियों के सबसे बड़े और ख़ास त्योहारों में से एक है। आइए जानते हैं लोग कैसे मनाते हैं अपने इस त्योहार को।
घर की सजावट
कोई भी तीज त्योहार हो तो हम अपने घर की साज सजावट पर विशेष ध्यान देते हैं। इसी प्रकार नवरोज़ के आने के कुछ दिन पहले से ही लोग अपनी तैयारियों में जुट जाते हैं। सबसे पहले सभी अपने घर की साफ़ सफाई करते हैं फिर घर को सजाने के लिए तरह तरह की चीज़ें बाज़ार से खरीदते हैं। लोग फूल भी खरीदते हैं। इनमें जलकुंभी और टूलिप का उपयोग अधिक किया जाता है। यह एक तरह से राष्ट्रीय परंपरा बन गई है। इतना ही नहीं इस दिन लोग कम से कम एक जोड़ी नए कपड़े ज़रूर खरीदते हैं।
इसके अलावा सभी अपने घरों में अच्छे और स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं जैसे मोरी दार, पत्रा नी माची, हलीम, अकूरी, फलूदा, धंसक, रावो, सली बोटी और पुलाव।
अग्नि की पूजा
नवरोज़ पर पूरा परिवार मिलकर अग्नि की पूजा करता है क्योंकि अग्नि को पवित्र माना जाता है। साथ ही ढेर सारी आतिशबाज़ी भी करते हैं।
दोस्तों रिश्तेदारों को बधाई
कोई भी त्योहार दोस्तों और रिश्तेदारों के बिना अधूरा होता है। नवरोज़ पर भी लोग एक दूसरे के घर जाकर इस उत्सव की बधाइयां देते हैं और साथ मिलकर ढेर सारी मस्ती करते हैं। इस त्योहार का जश्न एक रात पहले से ही शुरू हो जाता है। कहते हैं तीन हज़ार साल पहले राजा जमशेद ने इस त्योहार को आज के ही दिन मनाया था।
देश के विकास और प्रतिष्ठा में पारसियों की महत्वपूर्ण भूमिका
भारत के विकास में पारसी समुदाय ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई है। दादाभाई नारौजी, जे.आर.डी. टाटा, एच.जे. भाभा ने हमारे देश को एक नयी पहचान दिलाई है। होमी जहांगीर भाभा को भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर जमशेदजी भारत के औद्योगिक क्षेत्र की एक जानी मानी हस्ती थी। टाटा परिवार को देश का सबसे बड़ा और महशूर उद्योग घराना माना जाता है।
आप सभी को हमारी तरफ से नवरोज़ की ढ़ेर सारी बधाइयां।