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15 फरवरी को होगा आंशिक सूर्य ग्रहण, इन बातों का रखें ध्यान
हाल ही में सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण होने के बाद साल का पहला सूर्यग्रहण 16 फरवरी को होगा। हालांकि ये आंशिक सूर्यग्रहण होगा जिसका ज्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।
वैसे साल 2018 में कुल तीन सूर्य ग्रहण घटित होंगे, ये तीनों आंशिक सूर्य ग्रहण होंगे। भारत में ये तीनों ग्रहण दिखाई नहीं देंगे लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप पर इस ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा। ये तीनों सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका के क्षेत्रों में दिखाई देंगे। आइए जानते है कि 16 फरवरी को पड़ने वाला आंशिक सूर्यग्रहण कब होगा और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखने की जरुरत हैं।
आंशिक सूर्य ग्रहण
16 फरवरी 2018 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो कि भारत में दिखाई नहीं देगा। हालांकि विश्व के अन्य देशों में ये देखने को मिलेगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह सूर्य ग्रहण शतभिषा नक्षत्र और कुम्भ राशि में लग रहा है, शतभिषा राहु का नक्षत्र है इसलिए इस नक्षत्र से संबंधित राशि वाले लोगों के लिए यह ग्रहण परेशानी का कारण बन सकता है। हालांकि हर राशि पर ग्रहण का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है।
कहां-कहां दिखेगा ग्रहण:
ये एक आंशिक ग्रहण होगा जो कि भारत, दक्षिण / पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका की ज्यादातर हिस्सों में दिखेगा।
2018 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण?
वर्ष 2018 में पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा पहली बार 16 फरवरी को आयेगा इस बार सूर्य ग्रहण का योग इसी दिन बनेगा। 2018 का दूसरा सूर्यग्रहण 13 जुलाई को तो तीसरा 11 अगस्त को लगेगा। हालांकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा।
किस समय लगेगा?
भारतीय समयानुसार, यह सूर्य 15 फरवरी की रात 12 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और सुबह चार बजे ग्रहण का मोक्ष होगा।
कब लगता है सूर्यग्रहण
वैज्ञानिकों के अनुसार जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में हों तो उस अवस्था में सूर्य को चांद ढक लेता है जिस सूर्य का प्रकाश या तो मध्यम पड़ जाता है या फिर अंधेरा छाने लगता है इसी को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
क्या होता है आंशिक सूर्य ग्रहण
खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से न ढ़क पाये तो तो इस अवस्था को खंड ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में अक्सर खंड सूर्यग्रहण ही देखने को मिलता है।
इन चीजों का रखें ध्यान
- ग्रहण काल के समय खाना न खांए न ही कुछ पीयें,
- प्रभु का स्मरण करते हुए पूजा, जप, दान आदि धार्मिक कार्य करें। इस समय नवग्रहों का दान करना भी लाभकारी रहेगा।
- जो विद्यार्थी अच्छा परिणाम चाहते हैं वे ग्रहण काल में पढाई शुरु न करें बल्कि ग्रहण के समय से पहले से शुरु कर ग्रहण के दौरान करते रहें तो अच्छा रहेगा।
- घर में बने पूजास्थल को भी ग्रहण के दौरान ढक कर रखें।
- ग्रहण से पहले रात्रि भोज में से खाना न ही बचायें तो अच्छा रहेगा। यदि दुध, दही या अन्य तरल पदार्थ बच जांयें तो उनमें तुलसी अथवा कुशा डालकर रखें इससे ग्रहण का प्रभाव उन पर नहीं पड़ेगा। ग्रहण समाप्ति पर पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल का छिड़काव करें, देव मूर्ति को भी गंगाजल से स्नान करवायें व तदुपरांत भोग लगायें।
गर्भवती महिलाएं रहे सावधान
ग्रहण के नाम पर गर्भवती महिलाएं और उनका परिवार चिंतित रहता है, क्या है इसका कारण यह है कि दरअसल पुराणों की मान्यता के मुताबिक राहु चंद्रमा को और केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं। चंद्र ग्रहण से इंसान की सोचने की शक्ति कम होती है जबकि सूर्य ग्रहण के समय आंखों और लीवर की परेशानियां होती है इसलिए घर के बड़े-बूढ़े लोग गर्भवती स्त्री को सूर्यग्रहण को नहीं देखने की सलाह देते हैं, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु विकलांग बन सकता है और गर्भपात की सम्भावना रहती हैं।
क्या करें गर्भवती महिलाएं
इस दिन गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न जाएं। गोबर और तुलसी ठंडक के श्रोत हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं के पेट पर गोबर और तुलसी का लेप लगा देती हैं जिससे होने वाले बच्चे के शरीर को ठंडक मिले।