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पितृपक्ष में कौए के इन संकेतों से टल जाती है विपत्तियां, जानिये कैसे
भाद्रपक्ष माह की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत हो जाती है। यह समय पितरों की मोक्ष प्राप्ति का होता है। भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर अश्विन अमावस्या तक लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्धकर्म करते हैं। पितृपक्ष पूरे सोलाह दिनों तक चलता है। आपको बता दें इस बार पितृपक्ष 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक रहेगा।
कहते हैं पितृपक्ष के दौरान हमारे सभी पूर्वज कौए का रूप धारण करके पृथ्वी पर आते हैं। इस बात का वर्णन विष्णु पुराण में भी किया गया है इसलिए पूरे सोलह दिनों तक कौए को भोजन कराया जाता है ताकि आपने पितरों को तृप्त कर उनका आशीर्वाद पाया जा सके। आज अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह पितृपक्ष में कौए हमें कई ऐसे संकेत देते हैं जो हमारे लिए बेहद शुभ होते हैं। तो आइए जानते हैं उन संकेतों के बारे में।
1. सुअर की पीठ पर बैठा कौआ
यदि पितृपक्ष के दौरान आपको सुअर की पीठ पर कौआ बैठा दिख जाए तो समझ लीजिये माता लक्ष्मी आपसे बेहद प्रसन्न है और जल्द ही आप पर धन की वर्षा होने वाली है।
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2. कौए की चोंच में फूल-पत्ती
अगर आपको घर के आस पास कौआ दिखायी दे और उसकी चोंच में फूल और कोई पत्ती हो तो समझ लीजिये आपकी कोई मनोकामना जल्द ही पूरी होने वाली है।
3. गाय की पीठ पर कौआ
अगर आपको किसी गाय की पीठ पर कौआ बैठा दिखाई दे और वह गाय की पीठ पर अपनी चोंच रगड़ रहा हो तो आप पर माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहेगी और आपको अच्छे भोजन की प्राप्ति होगी।
4. हरे-भरे वृक्ष पर बैठा कौआ
हरे भरे वृक्ष या फिर घर की छत पर बैठा कौआ इस बात की और इशारा करता है कि आपको अचानक कहीं से वित्तीय लाभ मिलने वाला है।
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5. अनाज के ढ़ेर पर बैठा कौआ
अनाज के ढेर पर बैठा कौआ भी धन लाभ का संकेत देता है।
6. चोंच में सूखा तिनका
कौआ अगर चोंच में सूखा तिनका लाता हुआ दिखाई पड़ जाए तो समझ लीजिये कि जल्द ही आपकी आर्थिक समस्या दूर होने वाली है और आपके रुके हुए कार्य बिना बाधा के पूर्ण होने वाले हैं।
7. जब बायीं तरफ से भोजन ग्रहण करे कौआ
यदि कौआ बायीं तरफ से आकर भोजन ग्रहण करता है तो आपकी यात्रा और उससे जुड़ा कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न होता है।
इन बातों का रखें ध्यान
1. पितृपक्ष में पिंडदान ज़रूर करना चाहिए ताकि भगवान के साथ साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
2. पितृपक्ष में अपने पितरों का पसंदीदा भोजन बनाना ही शुभ माना जाता है और इस भोजन को कौओं को खिलाना चाहिए क्योंकि इन्हें ही पितरों का प्रतिनिधि माना जाता है।
3. इस दौरान मांस मछली, लहसून, प्याज़ आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. पितृपक्ष में गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है।
5. इस अवधि में झूठ, ईर्ष्या, अपशब्द बोलना, क्रोध आदि जैसी चीज़ों से व्यक्ति को बचना चाहिए। इससे पितरों के साथ साथ देवता भी रुष्ट होते हैं।