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सूनी गोद भरने के लिए अहोई अष्टमी के दिन करें राधा कुंड में स्नान

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भारत त्योहारों का देश है। यहां हर महीने कोई न पर्व आता है जिन्हें लोग पूरे उत्साह और श्रद्धा भाव से मनाते हैं। यहां महिलाएं अपने पति और बच्चों की लंबी आयु के लिए व्रत और पूजा करती हैं। ऐसी ही एक पूजा जिसका बड़ा ही महत्व है, जी हां हम अहोई अष्टमी के दिन राधाकुंड स्नान के विषय में बात कर रहे हैं।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी को महिलाएं देवी पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं। वे देवी से अपनी संतान की खुशहाल और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। आइए आपको इस खास पूजा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।

संतान की लंबी आयु के लिए होती है ये पूजा

संतान की लंबी आयु के लिए होती है ये पूजा

माना जाता है कि जो भी महिला अहोई अष्टमी के दिन देवी पार्वती की पूजा करती हैं उनकी संतान की रक्षा स्वयं माता करती है। इस शुभ दिन तारों की अर्घ्य दिया जाता है। इस पर्व को कृष्ण अष्टमी भी कहा जाता है। माता पार्वती के साथ लोग महादेव की भी पूजा करते हैं।

राधाकुंड में स्नान

राधाकुंड में स्नान

अहोई अष्टमी के दिन पूजा के अलावा राधा कुंड में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई विवाहित जोड़ा निसंतान है तो इस दिन राधा कुंड में स्नान करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। दया की देवी राधा जी अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है और उनकी इच्छा पूरी करती हैं।

कहाँ है राधा कुंड

कहाँ है राधा कुंड

मथुरा नगरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा में राधा कुंड नाम एक स्थान है। माना जाता है कि इस पवित्र स्थान पर देवी राधा और श्री कृष्ण का वास है।

अपने कगंन से खोदा था राधा जी ने ये कुंड

अपने कगंन से खोदा था राधा जी ने ये कुंड

राधा कुंड से जुड़ी पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है। एक बार जब श्री कृष्ण गोवर्धन में गौचारण लीला कर रहे थे तब अरिष्टासुर नामक एक असुर ने गौवंश का रूप धर के श्री कृष्ण पर हमला कर दिया था तब भगवान ने उसका वध कर दिया था। चूंकि वो असुर गौवंश के रूप में था इसलिए राधा जी ने श्री कृष्ण से कहा कि उन्हें उसकी हत्या का पाप लगेगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान ने अपनी बांसुुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इस कुंड को श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ठीक श्याम कुंड के बगल में राधा जी ने अपने कंगन से एक और कुंड खोदकर उसमें स्नान किया जिसे राधा कुंड कहते हैं।

कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने राधा जी के साथ यहां महारास रचाया था जिसमें उनकी सखियां भी शामिल थी। श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर राधा जी से वरदान मांगने को कहा तो इस पर राधा रानी ने उनसे यह वरदान मांगा कि जो भी दंपत्ति कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को राधा कुंड में स्नान करे उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो।

राधा कुंड नगरी पहले अरिष्टासुर की नगरी अरीध वन के नाम से जानी जाती थी।

2021 में इस दिन है अहोई अष्टमी

2021 में इस दिन है अहोई अष्टमी

इस बार 28 अक्टूबर को है अहोई अष्टमी। इस दिन भक्त निर्जला व्रत के साथ देवी पार्वती की पूजा के साथ राधा रानी से संतान प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए राधा कुंड में स्नान करेंगे।

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English summary

Radha Kund Snan 2021: Date, History, Puja Vidhi, Story, Rituals & Importance in Hindi

Radha Kund Snan 2021: Find out some intresting facts about Radha Kund Snan 2021 in hindi
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