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रक्षाबंधन 2018: इस शुभ मुहूर्त पर बांधें अपने भाई की कलाई पर राखी
भाई बहन का रिश्ता सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक होता है। एक दूसरे की टांग खींचने से लेकर बड़ी बहन की लगातार डांट खाने तक और फिर खुद ही एक दूसरे को मम्मी पापा की डांट से बचाने तक यह सब इस रिश्ते को और भी मज़बूत और अनोखा बनाती है। या यूं कहे कि यह रिश्ता दोस्ती का ही एक दूसरा रूप है जो हमेशा साथ रहता है।
यदि भाई बड़ा हो तो वह एक पिता की तरह अपनी बहन का ख्याल रखता है और अपने सारे फ़र्ज़ निभाता है। वहीं अगर बहन बड़ी हो तो वह एक माँ की तरह अपने छोटे भाई की देखभाल करती है। दोनों ही सूरतों में भाई बहन के हृदय में एक दूसरे के लिए असीम प्रेम होता है।
इस अनमोल रिश्ते का त्योहार होता है रक्षा बंधन। इस त्योहार से सभी भाई बहनों की कई भावनाए जुड़ी होती है। यह पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है आपको बता दें इस बार रक्षा बंधन 26 अगस्त, रविवार को है।
आइए जानते हैं भाई बहन के इस त्योहार के महत्त्व के बारे में और इससे जुड़ी कुछ और रोचक बातें।
रक्षा बंधन का महत्व
भाई बहन के बीच के प्रेम और उनके रिश्ते से जुड़ी खूबसूरत यादों का त्योहार होता है रक्षा बंधन। रक्षा सूत्र यानी राखी का पर्व हम हर साल बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं। हालांकि यह पर्व हिन्दुओं का होता है लेकिन आजकल इसे हर धर्म के लोग मनाते हैं। इस अवसर पर बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है। साथ ही उनकी लंबी आयु और अच्छी सेहत की भी कामना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहन को हर मुसीबत से बचाने का और जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। इसके अलावा भाई अपनी बहन को कुछ और तोहफा भी देता है।
रक्षाबंधन पर शुभ और अशुभ मुहूर्त
हर रक्षा बंधन पर भद्रा के समय को ध्यान में रखा जाता है। ज्योतिषों के अनुसार भद्रा काल बहुत ही अशुभ माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता इसलिए इस समय राखी भी नहीं बांधनी चाहिए। हालांकि, इस राखी पर भद्रा नहीं है फिर भी कुछ अशुभ समय है जैसे अशुभ चौघड़िया, राहुकाल और यम घंटा। इस समय आप भाई की कलाई पर राखी न बांधें।
रक्षा बंधन 2018
पूर्णिमा मास की 15वीं और शुक्लपक्ष की अंतिम तिथि होती है जब चंद्रमा आकाश में पूरा होता है। इस बार पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त 3:15 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 26 अगस्त 5:25 मिनट तक रहेगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा और साथ ही पंचक का भी आरम्भ होगा इस (दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों में से गुज़रता है)। शास्त्रों के अनुसार पंचक को अशुभ माना जाता है। हालांकि राखी बांधने का सबसे शुभ समय सुबह 7:45 मिनट से लेकर दोपहर 12:28 मिनट तक रहेगा। राखी बांधने के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त है दोपहर 2:03 मिनट से लेकर दोपहर 3:38 मिनट तक है।
राहुकाल: सुबह 5:13 मिनट से लेकर सुबह 6:48 मिनट तक।
याम घंटा: दोपहर 3:38 मिनट से लेकर शाम 5:13 मिनट तक।
काल चौघड़िया (अशुभ चौघड़िया): दोपहर 12:28 मिनट से लेकर 2:03 मिनट तक।
जब माता लक्ष्मी ने एक असुर की कलाई पर राखी बांधी
रक्षाबंधन दो शब्दों को मिलाकर बना है रक्षा और बंधन जिसका अर्थ होता है रक्षा सूत्र। कहते हैं यह त्योहार तब से शुरू हुआ था जब असुर बलि ने भगवान विष्णु से उसके साथ रहने का वचन लिया था। जब बलि ने अपनी ताकत से तीनों लोकों को जीत लिया था तब घबरा कर इंद्रदेव ने विष्णु जी से मदद मांगी थी। तब विष्णु जी वामन अवतार में बलि के पास पहुंचे और उससे दान में तीन पग भूमि मांगी। बलि बहुत ही दयावान था इसलिए उसने फ़ौरन हां कर दिया।
तब विष्णु जी ने अपना आकार बढ़ाकर तीन पग में धरती, आकाश और पाताल नाप लिया किंतु इसके बदले में बलि ने विष्णु जी को अपने साथ रहने का वचन मांग लिया। जब लक्ष्मी जी को यह पता चला तब वे बहुत चिंतित हो उठीं और अपने पति को वापस लाने के लिए उपाय सोचने लगी। तब माता लक्ष्मी ने बलि की कलाई पर राखी बांध कर उसे अपना भाई बना लिया। बदले में माता ने बलि से विष्णु जी को उसके वचन से मुक्त करने के लिए कहा और भगवान को बैकुंठ वापस भेजने के लिए कहा।
तब से राखी की यह परंपरा शरू हुई और इस दिन सभी बहने अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।