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राम मंदिर का भूमि पूजन: इस शुभ मुहूर्त पर रखी जाएगी आधारशिला, जानें भूमि पूजन का महत्व
अयोध्या में राम जन्म भूमि स्थल पर मंदिर के निर्माण कार्य की शुभ शुरुआत के लिए 5 अगस्त (बुधवार) का दिन चुना गया है। इस भूमि पूजन में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे और उनके द्वारा ही मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी।
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि किसी भी इमारत के निर्माण से पहले उस स्थान का भूमि पूजन करना आवश्यक होता है। इस लेख में जानते हैं कि राम मंदिर भूमि पूजन का मुहूर्त क्या है और भूमि पूजन का क्या महत्व है।
राम मंदिर भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त
जानकारी के अनुसार ये बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को दोपहर 12 बजे राम जन्मभूमि परिसर पहुंचेंगे। इसके बाद वह 10 मिनट में रामलला विराजमान का दर्शन-पूजन करेंगे। दोपहर 12 बजकर 44 मिनट और 15 सेकंड पर मंदिर की आधारशिला की स्थापना का कार्यक्रम होगा।
राम मंदिर भूमि पूजन से एक दिन पहले 4 अगस्त यानी कि मंगलवार को रामार्चन पूजा शुरू कर दी गई। रामार्चन पूजा में सभी प्रमुख देवी और देवताओं को भगवान राम के पधारने से पहले न्योता दिया जाता है। यह पूजा कई चरणों में की जा रही है। अलग अलग चरणों में श्रीराम के अलावा अन्य देवी-देवताओं, अयोध्या, नल-नील, सुग्रीव, राजा दशरथ, उनकी रानियों, राम के सभी भाइयों और उनकी पत्नी की पूजा की जाएगी। इसके बाद अंत में भगवान राम का आह्वान किया जाएगा।
क्यों किया जाता है भूमि पूजन
हिंदू धर्म में भूमि को माता का दर्जा दिया गया है। धरती माता पूजनीय तथा वंदनीय है। मातृभूमि पर जब किसी तरह का निर्माण कार्य किया जाता है तो उससे पहले भूमि पूजन करने का विधान है। भूमि पूजन की परंपरा के पीछे यह कारण दिया जाता है कि जिस भूमि पर निर्माण कार्य होना है यदि उस पर किसी भी प्रकार का कोई दोष है या उस भूमि के मालिक से कोई गलती हुई है तो ऐसी स्थिति में भूमि पूजन करने से धरती माता हर तरह के दोष और गलतियों को क्षमा कर देती हैं।
भूमि पूजन की विधि
जिस स्थान का पूजन होना होता है वहां की साफ सफाई कर लें। भूमि पूजन में ब्राह्मण को उत्तर मुखी होकर पालथी मारकर बैठना चाहिए। वहीं जातक पूर्व की ओर मुख करके बैठे। जातक की यदि शादी हो चुकी है तो अपने बांयी तरफ पत्नी को बिठाए।
इसमें मंत्रोच्चारण से शरीर, स्थान एवं आसन की शुद्धि की जाती है। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा होती है। भूमि पूजन में चांदी के नाग व कलश की पूजा की जाती है। शेषनाग भूमि पर भवन को हमेशा सहारा देते हैं। भूमि पूजन पूरे विधि विधान से किया जाना जरुरी होता है।
भूमि पूजन की सामग्री
भूमि पूजन के लिए गंगाजल, पान तथा आम के पत्ते, फूल, रोली, चावल, लाल सूती कपड़ा, कपूर, कलावा, शुद्ध देसी घी, कलश, भिन्न प्रकार के फल, दूर्वा घास, लौंग, इलायची, नाग नागिन का जोड़ा, सुपारी, धुप, अगरबत्ती, सिक्के, हल्दी आदि सामग्री की आवश्यकता होती है।