Just In
- 1 hr ago पिछले 5 सालों से OMAD डाइट पर हैं ये एक्टर, इनकी उम्र सुन चौंक जाएंगे आप!
- 2 hrs ago केक में सैकरीन की मिलावट से गई पटियाला में बच्ची की जान, कितना खतरनाक हैं ये आर्टिफिशियल स्वीट्नर?
- 5 hrs ago World Malaria Day Slogans and Quotes: इन संदेशों के साथ अपनों को करें मलेरिया से बचाव के लिए जागरूक
- 15 hrs ago Nitin Gadkari Health : पहले भी कई दफा बेहोश हो चुके हैं नितिन गडकरी, कहीं शुगर तो वजह नहीं?
Don't Miss
- News PAK vs NZ: न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच से पहले पाकिस्तान को तगड़ा झटका, दो धांसू खिलाड़ी हुए बाहर
- Finance Heat Stroke Symptoms : हीट स्ट्रोक के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, नहीं तो खड़ी हो जाएगी गंभीर बीमारी
- Technology PDF फाइल के लिए Adobe Acrobat नहीं इन्हें ट्राई करके देखें
- Education MP Board Seoni Toppers List 2024: सियोनी जिले के 10वीं, 12वीं के टॉपर छात्रों की सूची
- Movies 'डिंपल कपाड़िया के बच्चे आपके हैं या ऋषि कपूर के..?' जब राजेश खन्ना की बदतमीजी पर इस हसीना ने दिया जवाब..
- Automobiles लाउड Music चलाकर कार चलाना पड़ सकता है भारी! हो जाएं सावधान, वरना बाद में हो सकता बड़ा नुकसान
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
Sawan Kanwar Yatra 2022: कांवड़ यात्रा में भूलकर भी न करें ये गलतियां, अधूरी रह जाएगी आपकी पूजा
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस दौरान लोग पूरे विधि विधान से शिवजी की पूजा अर्चना करते हैं, खासतौर पर सावन में पड़ने वाले सोमवार का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। इसके अलावा शंकर जी के भक्तों के लिए कांवड़ यात्रा भी बहुत ही खास होती है। इस यात्रा में लोग नंगे पांव शिव जी के प्रसिद्ध मंदिरों तक जाते हैं और उन्हें जल अर्पित करते हैं।
हालांकि इस यात्रा से जुड़े कुछ नियम भी है जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। चलिए जानते हैं कि क्या है वो नियम और इस यात्रा का महत्व।
कब से शुरू है सावन?
इस बार सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होगा जो 12 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा को समाप्त होगा। यानी 14 जुलाई से कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी।
कैसे होती है कांवड़ यात्रा?
कांवड़ यानी एक बांस के दोनों ओर दो मटके होते हैं जिनमें भक्त गंगा जल भरकर ले जाते हैं और शिव जी को चढ़ाते हैं। लोग कांवड़ को खूब अच्छी तरह से सजाते भी है। घर वापस आने के बाद लोग शंकर जी के मंदिर में जाकर भी गंगा जल से उनका अभिषेक करते हैं। अपनी पूरी यात्रा के दौरान वे बोल बम बोल बम जपते हुए आगे बढ़ते हैं। इससे पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है।
कांवड़ यात्रा में गेरुआ वस्त्र
इस यात्रा के दौरान भक्त गेरुआ वस्त्र पहनते हैं। इसके अलावा वे कमर में अंगोछा और सिर पर पटका भी बांधते हैं।
3 तरह की होती है कांवड़ यात्रा
यह यात्रा 3 तरह की होती है खड़ी कांवड़ यात्रा, डाक कांवड़ यात्रा और झूला कांवड़ यात्रा। खड़ी कांवड़ यात्रा में कांवड़ को नीचे नहीं रखा जाता है। जब यात्री आराम करता है तो वह अपना कांवड़ अपने सहयोगी को दे देता है जो उसे पकड़कर खड़ा रहता है। डाक कांवड़ यात्रा में भक्त एक निश्चित समय में अपनी यात्रा पूरी करते हैं जैसे 12,16,18 या 20 घंटे। इस यात्रा में यदि व्यक्ति रुक जाता है या उसका कांवड़ गिर जाता है तो उसकी यात्रा खंडित हो जाती है। झूला कांवड़ यात्रा कुछ आसान होती है। इससे बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी कर सकती हैं। इस यात्रा में कांवड़ को कांवड़ को किसी स्टैंड पर रखकर आराम किया जा सकता है। हालांकि आराम और भोजन के बाद आपको फिर से शुद्ध होना पड़ेगा।
इन नियमों का करें पालन
कांवड़ यात्रा करने से पहले और यात्रा के दौरान व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। यात्रा शुरू करने से पहले मांस, मछली, मदिरा आदि के सेवन से बचना चाहिए। यह यात्रा भक्त नंगे पांव ही करते हैं। इसके अलावा कांवड़ को सिर के ऊपर से ले जाना भी वर्जित माना जाता है। भूलकर भी कांवड़ को जमीन पर न रखें।
कांवड़ यात्रा का महत्व
सावन के महीने में भगवान शिव को जल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। जो भक्त सारे नियमों का पालन करते हैं और कांवड़ यात्रा करते हैं उन्हें भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही उनकी मनोकामना भी पूरी होती है।