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सावन का प्रदोष व्रत महादेव का आशीर्वाद पाने का है सबसे उत्तम दिन, जानें तिथि, शुभ संयोग और महत्व
साल के बारह महीनों में श्रावण का महीना भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। श्रावण मास के सभी दिन भक्तों के लिए पर्व के समान हैं, मगर इस महीने में आने वाला प्रदोष व्रत शिव की कृपा पाने वाले लोगों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है।
प्रदोष व्रत महादेव को समर्पित है। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस साल प्रदोष व्रत 5 अगस्त को पड़ रहा है। जानते हैं इस बार कौन सा शुभ संयोग बन रहा है और इस दिन का क्या महत्व है।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और विशेष संयोग
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: 05 अगस्त की शाम 05 बजकर 09 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापन: 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट तक
प्रदोष काल: 05 अगस्त के शाम 07 बजकर 09 मिनट से 09 बजकर 16 मिनट तक
इस साल प्रदोष व्रत के दिन हर्षण योग बन रहा है। हर्षण योग 06 अगस्त की सुबह 01 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग को बहुत शुभ बताया गया है। यह समय शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ बताया गया है। इस योग को शुभ मुहूर्त में गिना जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत महीने में दो बार रखा जाता है, एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। सावन महीने का पहला प्रदोष व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा। इस महीने में प्रदोष व्रत का पालन करना बहुत मंगलकारी बताया गया है। यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रदोष है। शिव भक्तों के लिए ये बहुत बड़ा दिन है। इस व्रत का पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, इस व्रत से संतान पक्ष को भी लाभ मिलता है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
श्रावण महीने का प्रदोष व्रत रखने वाले जातक सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। पूजा घर को गंगाजल से पवित्र कर लें। भगवान शिव की मूर्ति और शिवलिंग को स्नान कराएं। शिवजी और माता पार्वती को पुष्प, चंदन, अक्षत, धूप और नैवेद्य चढ़ाएं। प्रदोष काल के दौरान महादेव का पूजन कर लें और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। भोले बाबा और पार्वती मां की आरती उतारें। इस व्रत में फलाहार नियम का पालन करें। इस दिन अपना ज्यादा से ज्यादा समय भोलेनाथ का ध्यान करने में बिताएं।