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शनि जयंती विशेष: जानिए शनि देव के नौ वाहनों का महत्व

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शनि देव न्याय का देवता माना गया है। मनुष्य के अच्छे बुरे कर्मों का फल स्वयं शनि देव ही तय करते हैं। शनि देव जिस पर भी मेहरबान हो जाएं तो उसका जीवन स्वर्ग बना देते हैं। लेकिन यदि इनकी टेढ़ी नज़र किसी पर पड़ जाए तो उसका जीवन मुश्किलों से भर जाता है। कहते हैं शनि देव अपने नौ वाहनों में से जिस भी वाहन पर बैठ कर किसी भी राशि में प्रवेश करते हैं, उनके वाहन के अनुसार उस जातक को शुभ और अशुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते है शनि देव के उन वाहनों के बारे में और क्या है उनका महत्व।

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शनि देव के नौ वाहन

शनि चालीसा में शनि देव के सात वाहनों के बारे में बताया गया है लेकिन इन सात के अलावा शनि देव के दो और वाहन हैं। शनि देव के उन वाहनों में गधा, घोड़ा, हाथी, भैंसा, सिंह, सियार, कौआ, मोर और हंस शामिल हैं।

शनि देव के 9 वाहनों का महत्व

गधा: अगर शनि देव का वाहन गधा हो तो उसे अशुभ माना जाता है। कहते हैं इससे मनुष्य के जीवन में कई बाधाएं आती हैं। साथ ही उसे छोटी छोटी चीज़ों को प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक प्रयास करना पड़ता है और उसे अपने प्रयासों में जल्दी सफलता भी नहीं मिलती।

घोड़ा: यदि शनि देव का वाहन घोड़ा है तो इसे शुभ संकेत माना जाता है। घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं इस समय जातक सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है और उसे अपने सभी प्रयासों में भी सफलता मिलती है। साथ ही अपनी चतुराई और समझदारी से वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पाता है।

हाथी: यदि शनि देव का वाहन हाथी है तो इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे में जातक को उसकी कड़ी मेहनत के बावजूद भी उसके प्रयास के मुताबिक फल नहीं मिलता। साथ ही उसके बनते हुए सभी काम भी बिगड़ जाते हैं। इस परिस्तिथि में जातक को धैर्य से काम लेना चाहिए।

भैंसा: शनि देव का वाहन भैंसा होने का अर्थ है कि जातक को मिलाजुला फल प्राप्त हो सकता है यानी अच्छे के साथ बुरा भी हो सकता है। इसलिए ऐसे समय में समझदारी से काम लेना ही बेहतर होता है नहीं तो शनि देव के प्रकोप से बचना मुश्किल हो जाता है।

सिंह: यदि शनि देव का वाहन सिंह हो तो यह जातक के लिए लाभदायक माना जाता है। सिंह को भी शक्ति और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस समय जातक अपने शत्रुओं पर भारी पड़ता है और अपनी चतुराई से उन्हें परास्त करता है। इतना ही नहीं जातक को किसी भी तरह का भय इस समय नहीं सताता, वह बिल्कुल निडर रहता है।

सियार: अगर शनि देव का वाहन सियार होता है तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है। इस समय मनुष्य के जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव आते हैं। साथ ही कई बुरी सूचनाएं भी मिलती हैं। कई प्रयासों के बाद भी उसे सफलता नहीं मिलती। ऐसे में जातक को बहुत ही संभलकर रहना चाहिए।

कौआ: शनि देव का वाहन कौआ होना भी अशुभ माना गया है। कहते हैं ऐसे में जातक के जीवन में पारिवारिक और कामकाज को लेकर बहुत सी परेशानियां आती हैं। घर में कलह का माहौल बना रहता है जिसके कारण मानसिक शान्ति भी भंग हो जाती है। इसके अलावा उसे कार्यक्षेत्र में भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस समय सबसे ज़रूरी होता है संयम से काम लेना।

मोर: शनि देव का वाहन मोर जातक को शुभ फल देता है। इस समय उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे अपनी मेहनत का पूरा फल भी मिलता है। जातक का भाग्यपक्ष मज़बूत होता ही है, साथ ही उसे आर्थिक लाभ मिलने की भी सम्भावना होती है। माना जाता है कि जातक अपनी सकारात्मक सोच से बड़ी से बड़ी मुश्किल स्थिति को भी इस समय पार कर लेता है और शनि देव के आशीर्वाद से उसे मानसिक शान्ति भी प्राप्त होती है।

हंस: हंस को शनि देव के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन माना गया है। यह इनके शुभ वाहनों में से एक है। कहते हैं इस समय जातक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं और उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी टल जाती हैं। साथ ही उसका आर्थिक पक्ष भी मज़बूत हो जाता है। शनि देव की कृपा से उसका भाग्य चमक जाता है।

English summary

shani dev vahan and its importance

Shani is a deity who gets angry easily and takes thorough revenge for whatever made him upset and today here we will tell you about his nine vahans.
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