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शनि जयंती: मनोकामना पूर्ति के लिए ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ है तो वह इस दिन सच्चे मन से शनि देव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न कर सकता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। वैसे तो शनि देव हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं, अच्छे कर्म वालों को वह हमेशा अच्छा ही फल देते हैं और बुरे कर्म वाले उनके प्रकोप से बच नहीं सकते।
आपको बता दें इस बार शनि जयंती 15 मई, 2018 यानी आज है। इस बार शनि जयंती मंगलवार को पड़ने से बहुत ही शुभ माना जा रहा है। आइए जानते हैं कुछ विशेष उपायों के बारे में जिसके द्वारा आप शनि देव को शीघ्र प्रसन्न कर सकते हैं और उन चीज़ों के बारे में जिनसे आपको शनि जयंती पर बचने की आवश्यकता है।
नवग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह शनि
शनिदेव भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। नौ ग्रहों में शनि देव को सातवां स्थान प्राप्त है और इन्हें सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार शनि देव की दृष्टि में इतनी क्रूरता इनकी पत्नी के श्राप के कारण हुई है। कहते हैं शनि देव बचपन से ही श्री कृष्ण के परम भक्त थे। जब ये बड़े हुए तो इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से करा दिया गया।
कहा जाता है कि शनिदेव की पत्नी परम तेजस्विनी थी। एक रात ऋतु स्नान कर वह अपने पति के पास पुत्र प्राप्ति की इच्छा लेकर गयी किन्तु शनि देव श्री कृष्ण के ध्यान में लीन थे। उनकी पत्नी ने काफी देर तक प्रतीक्षा की परन्तु शनि देव ध्यान में मग्न थे। जब ऋतुकाल निष्फल हो गया तब शनिदेव की पत्नी को बहुत क्रोध आया और तब उन्होंने श्राप दिया कि वह जिस किसी की ओर भी देखेंगे उसका विनाश हो जाएगा।
जब शनिदेव का ध्यान टूटा तो उन्होंने अपनी पत्नी को बहुत समझाने का प्रयास किया तब जाकर उसका क्रोध शांत हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी यही कारण है कि शनि देव का सिर हमेशा झुका हुआ रहता है ताकि उनके द्वारा यूँ ही किसी का भी बुरा न हो जाए।
ऐसे करें शनिदेव की पूजा
शनि जयंती पर शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें फिर लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर शनि देव का चित्र या मूर्ति स्थापित कर लें। फिर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। इसके बाद तेल का दीपक और धुप जलाएं। फिर प्रसाद के रूप में इमरती व तेल में तली वस्तु का भोग लगाएं। श्री फल सहित अन्य फलों का भी भोग लगा सकते हैं। शनि चालीसा का पाठ कर उनकी आरती करें।
इन उपायों से करें शनिदेव को प्रसन्न
1.
शनि
जयंती
पर
काला
तिल
और
गुड़
चीटों
को
खिलाने
से
शनिदेव
प्रसन्न
होते
हैं।
2.
शनिदेव
की
मूर्ति
पर
तेल
चढ़ाकर
उस
तेल
को
गरीबों
में
दान
करें।
3.
इस
दिन
दान
का
बहुत
महत्त्व
है
इसलिए
अपने
समर्थ
के
अनुसार
गरीबों
में
दान
करें।
4.
अपनी
मनोकामना
की
पूर्ति
के
लिए
चमड़े
के
जूते
चप्पल
का
दान
करें।
5.
इस
दिन
पीपल
के
पेड़
की
सेवा
करने
से
भी
शनि
देव
का
आशीर्वाद
प्राप्त
होता
है
पीपल
के
पेड़
में
केसर,
चंदन,
चावल,
फूल
मिलाकर
अर्पित
करें
और
तिल
के
तेल
का
दीपक
जलाएं।
6.
इस
दिन
सूर्योदय
से
पहले
शरीर
पर
तेल
मालिश
कर
स्नान
करें।
7.
शनि
मंदिर
की
पूजा
अर्चना
के
बाद
हनुमान
जी
के
मंदिर
में
भी
जाकर
दर्शन
ज़रूर
करें
और
उनकी
पूजा
करें।
8.
इस
दिन
ब्रह्मचर्य
का
पालन
करना
चाहिये।
9.
गाय
और
कुत्तों
को
भी
तेल
में
बने
पदार्थ
खिलाने
से
शनि
देव
प्रसन्न
होते
हैं।
10.
बुजुर्गों
की
सेवा
करें।
भूल कर भी ना करें ये काम
1.
बाल
और
नाखून
न
काटें।
2.
इस
दिन
यात्रा
स्थगित
कर
दें।
3.
हो
सके
तो
इस
दिन
सूर्यदेव
की
पूजा
न
करें।
4.
शनिदेव
की
प्रतिमा
या
चित्र
में
सीधे
उनकी
आँखों
में
न
देखें।
5.
तुलसी
के
पौधे
से
पत्ते
न
तोड़ें।
6.
दरवाज़े
पर
आये
हुए
भिखारी
को
खाली
हाथ
न
लौटाएं।
7.
क्रोध
करने
से
बचें
और
गलत
शब्दों
का
प्रयोग
बिलकुल
न
करें।
8.
किसी
भी
स्त्री
का
अपमान
न
करें।
9.
नए
जूते
स्वयं
के
पहनने
के
लिए
ना
खरीदें।
10.
कोरे
वस्त्र
न
खरीदें।
11.
कांच
की
वस्तुएं
बिलकुल
न
खरीदें।
12.
इस
दिन
क़र्ज़
लेने
से
भी
बचना
चाहिए।
इन मंत्रों से होते है शनिदेव प्रसन्न
1.
सूर्यपुत्रो
दीर्घदेहो
विशालाक्षः
शिवप्रियः।
मंदचार
प्रसन्नात्मा
पीड़ां
हरतु
में
शनिः।
2.
नीलांजन
समाभासं
रवि
पुत्रां
यमाग्रजं।
छाया
मार्तण्डसंभूतं
तं
नामामि
शनैश्चरम्।।
प्रां
प्रीं
प्रौं
सः
शनैश्चराय
नमः
3.
ओम
शं
शनैश्चराय
नमः।
कोणस्थ
पिंगलो
बभ्रु
कृष्णौ
रौद्रान्तको
यमः।
सौरि
शनैश्चरा
मंद
पिप्पलादेन
संस्थितः।।
ओम
शं
शनैश्चराय
नमः।