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कैसे करें घर पर सरस्वती पूजा?
वसंत पंचमी बस आने ही वाली है। जैसा कि आप जानते हैं कि वसंत पंचमी से वसंत ऋतु प्रारंभ होती है। इस दिन पूरे देश में ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
देवी सरस्वती को शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि, संगीत और कला की देवी कहा जाता है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
ये हैं बसंत पंचमी से जुड़ी कुछ खास बातें, जो नहीं पता
वसंत पंचमी के दिन प्रत्येक विद्यार्थी अपनी किताबें देवी के चरणों में रखता/रखती है ताकि देवी उन्हें आशीर्वाद दे सकें तथा उन्हें परीक्षा और शिक्षा में सफ़लता मिल सके। भारत के पूर्वी राज्यों में बच्चों की खुशी के लिए लोग सरस्वती की पूजा घर पर ही करते हैं।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि यह पूजा अनिवार्य रूप से विद्यार्थी द्वारा ही की जानी चाहिए। नहाने से लेकर, पूजा के लिए लगने वाली सामग्री तैयार करना और मन्त्रों आदि का उच्चारण भी विद्यार्थी ने ही करना चाहिए। इसके अलावा कई अन्य रस्में भी हैं जिन्हें घर पर सरस्वती पूजा करते समय करना चाहिए।
जानिये क्यूं मनाई जाती है वसंत पंचमी?
वसंत
पंचमी
के
दिन
घर
पर
सरस्वती
पूजा
कैसे
की
जाती
है
उसकी
पद्धति
आज
हम
आपको
बताते
हैं।
आइए
देखे:
आवश्यक सामग्री
- देवी सरस्वती की मूर्ति
- एक सफ़ेद कपड़ा
- फूल- कमल, लिली और जैसमीन
- आम के पत्ते और बेल पत्र
- हल्दी
- कुमकुम
- चांवल
- 5 प्रकार के फल जिनमें नारियल और केले भी शामिल हैं
- एक कलश
- सुपारी, पान के पत्ते और दूर्वा
- दिया और अगरबती
- गुलाल (होली के रंग)
- दूध
- दवात और कलम
- किताबें तथा वाद्ययंत्र
सुबह जल्दी की जाने वाली रस्में
वह व्यक्ति जो पूजा करने वाला है उसे सुबह जल्दी उठकर विशेष प्रकार के औषधीय पानी से नहाना चाहिए। नहाने के पानी में नीम और तुलसी की पत्तियां होनी चाहिए। नहाने से पहले व्यक्ति को अपने शरीर पर नीम की पत्त्तियों और हल्दी के मिश्रण से बना लेप लगाना चाहिए। इस रस्म से शरीर शुद्ध होता है तथा सभी प्रकार के संक्रमणों से शरीर की रक्षा होती है। नहाने के बाद व्यक्ति को पूरे पीले या सफ़ेद वस्त्र पहनने चाहिए।
मूर्ति
और
कलश
की
स्थापना
जिस
स्थान
पर
आप
मूर्ति
की
स्थापना
करने
वाले
हैं
उस
जगह
को
साफ़
करें।
एक
ऊंचे
स्थान
पर
सफ़ेद
कपड़ा
फैलाएं।
इस
कपड़े
पर
मूर्ति
को
रखें।
इसे
हल्दी,
कुमकुम,
चांवल,
माला
और
फूलों
से
सजाएँ।
किताबों
या
वाद्ययंत्रों
को
मूर्ति
के
पास
रखें।
कलश
में
पानी
भर
लें
तथा
इसमें
आम
की
पांच
पत्तियां
लगा
दें
और
इसके
ऊपर
पान
का
एक
पत्ता
रखें।
फिर
इस
पान
के
पत्ते
पर
सुपारी
और
दूर्वा
और
उसके
ऊपर
फूल
रखें।
इसके
अलावा
देवी
के
बाजू
में
भगवान
गणेश
की
मूर्ति
भी
रखें।
मन्त्रों
का
उच्चारण
हाथ
में
बेल
पत्र
और
फूल
लेकर
पहले
भगवान
गणेश
का
ध्यान
करें।
इन
फूलों
को
बेल
पत्र
को
भगवान
के
चरणों
में
चढ़ा
दें।
फिर
इसी
प्रक्रिया
देवी
सरस्वती
के
लिए
करें।
इस
मंत्र
का
उच्चारण
करें:
“या
कुन्देंदु
तुषारहारधवला,
या
शुभ्र
वस्त्रावृता,
या
वीणा
वरदंड
मंडितकरा
या
श्वेत
पद्मासना,
या
ब्रह्माच्युत
शंकरा
प्रभ्रुतिभी
देवी
सदा
वंदिता,
सा
मां
पातु
सरस्वती
भगवती
निशेष
जाड्यापहा।
ॐ
सरस्वत्ये
नम:,
ध्यानान्तरम
पुष्पं
समर्पयामि”
दिया जलाएं
देवी का आह्वान करने के बाद दिया और अगरबत्ती जलाएं। देवी को मिठाईयां, फल और खाने के अन्य पदार्थ चढ़ाएं। आरती करें और देवी की स्तुति वाले भजन गायें। इस दिन केवल शाकाहारी खाना खाएं।
अगले दिन
वसंत पंचमी के अगले दिन देवी की मूर्ति का विसर्जन करने से पहले लकड़ी को कलम बनाकर बेल के पत्तों पर दूध से “ॐ सरस्वत्ये नम:” लिखें। इन बेल पत्रों को पुन: देवी को चढ़ाएं और प्रार्थना करें। इसके बाद मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दें।