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कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए करें इन नाग मंदिरों के दर्शन
कुंडली में कालसर्प दोष का होने का मतलब है कि आपका जीवन उतार चढ़ाव से भरा रहेगा। कई लोग कालसर्प दोष का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि कई जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होने के बावजूद और लाख मुश्किलों के बाद भी वे अच्छे खासे मुकाम पर पहुंच जाते हैं।
यदि आप लगातार अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं और आप के बनते हुए कार्य भी बिगड़ते जा रहे हैं तो इसका मतलब आप काल सर्प दोष से पीड़ित हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच हों तो कालसर्प दोष होता है।
आपको इससे डरने की ज़रुरत नहीं है बल्कि कुछ आसान उपाय करके आप इससे मुक्ति पा सकते हैं। कहते हैं भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनके दर्शन मात्र से ही जातक की कुंडली से काल सर्प दोष दूर हो जाता है। हमारे यहां नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन इन मंदिरों में पूजा करने से और भगवान के दर्शन करने से जातक की कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। तो आइए जानते हैं उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में।
नागचंद्रेश्वर
मंदिर
मन्नारशाला
नाग
वासुकी
मंदिर
तक्षकेश्वर
नाथ
सेम-मुखेम
नागराजा
मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है नागचंद्रेश्वर भगवान जो महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है। यहां पर माता पार्वती और शिवजी फन फैलाए एक सिंहासन पर विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी पर इनके दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
मन्नारशाला
30 हज़ार नागों की प्रतिमाओं वाला ये मंदिर केरल के अलेप्पी जिले से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित है जो कि मन्नारशाला मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। एक कथा के अनुसार इस जगह का निर्माण स्वयं भगवान परशुराम ने किया था। ऐसा उन्होंने क्षत्रियों के संहार के पापों से मुक्ति पाने के लिए किया था। बाद में नागदेवता ने अनंतकाल तक यहां रहकर अपने भक्तों का कल्याण करने का आशीर्वाद दिया था। यह मंदिर करीब 16 एकड़ में घने जंगलों से घिरा हुआ है। इस मंदिर में नाग देवता के साथ उनकी पत्नी नागयक्षी देवी की भी प्रतिमा है।
नाग वासुकी मंदिर
उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में नाग वासुकी के इस मंदिर में इनके अलावा गणेश जी, माता पार्वती और भीष्म पितामह की भी मूर्ति है। कहते हैं नाग पंचमी पर यहां पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। नाग पंचमी के मौके पर यहां एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है।
तक्षकेश्वर नाथ
इलाहबाद के यमुना तट पर स्थित तक्षकेश्वर महादेव के मंदिर का उल्लेख पद्मपुराण में भी मिलता है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से मनुष्य को सापों के भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही उसका पूरा वंश सांपों से सुरक्षित रहता है।
सेम-मुखेम नागराजा मंदिर
उत्तराखंड के टिहरी में सेम-मुखेम नागराजा मंदिर स्थित है। माना जाता है कि द्वारका नगरी के डूबने के पश्चात श्री कृष्ण यहां पर नागराज के रूप में प्रकट हुए थे। इस मंदिर के गर्भ-गृह में नागराज की भू-शीला को लोग पूजते हैं।