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क्रिसमस पर आप भी सजाते हैं ट्री तो जानिए इसके पीछे का दिलचस्प इतिहास

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जब क्रिसमस की बात हो और घर में क्रिसमस ट्री ना लाया जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। घर को चाहे कितना भी बेहतरीन तरीके से सजाया जाए, लेकिन अगर डेकोरेशन में क्रिसमस ट्री ना हो तो डेकोरेशन अधूरा ही रह जाता है। इतना ही नहीं, घर में अलग-अलग साइज के क्रिसमस ट्री को लोग कई तरह से डेकोरेट करते हैं। हो सकता है कि आप भी इस क्रिसमस पर ट्री को अलग अंदाज में डेकोरेट करने का प्लॉन कर रहे हों। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में यह परंपरा कैसे शुरू हुई। क्रिसमस के त्यौहार का अभिन्न अंग माना जाने वाला यह ट्री इस फेस्टिवल का हिस्सा कैसे बना। अगर नहीं, तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस बारे में बता रहे हैं-

ईसाई धर्म के आगमन से पहले का है इतिहास

ईसाई धर्म के आगमन से पहले का है इतिहास

आपको शायद पता ना हो लेकिन ईसाई धर्म के आगमन से बहुत पहले, पूरे साल हरे-भरे रहने वाले पौधे और पेड़ सर्दियों में लोगों के लिए एक विशेष अर्थ रखते थे। जैसे लोग आज त्यौहारों के मौसम में अपने घरों को देवदार, स्प्रूस आदि पेड़ों से सजाते हैं, वैसे ही प्राचीन लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर सदाबहार पेड़ों को लटकाते थे। कई देशों में यह माना जाता था कि सदाबहार चुड़ैलों, भूतों, बुरी आत्माओं और बीमारी को दूर रखेंगे।

जर्मनी को मिलता है श्रेय

जर्मनी को मिलता है श्रेय

अगर क्रिसमस ट्री की बात हो तो जर्मनी को क्रिसमस ट्री परंपरा शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। 16 वीं शताब्दी में धर्मनिष्ठ ईसाई अपने घरों में सजाए गए पेड़ लाते हैं। कुछ ने लकड़ी के क्रिसमस पिरामिड का निर्माण किया और लकड़ी के दुर्लभ होने पर उन्हें सदाबहार और मोमबत्तियों से सजाया। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि 16 वीं शताब्दी के प्रोटेस्टेंट सुधारक मार्टिन लूथर ने पहली बार एक पेड़ पर मोमबत्तियों को रोशन किया। इसके बाद से ही क्रिसमस पर ट्री लगाने की परंपरा शुरू हुई।

यूं शुरू हुई सजावट

यूं शुरू हुई सजावट

शुरूआत में क्रिसमस ट्री के पास कैंडल्स को ही रखा जाता था, लेकिन अगर इसे सजाने की बात हो। यूरोप में क्रिसमस ट्री को 1800 के दशक के अंत तक सजाया जाने लगा। क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए होममेड आइटम्स जैसे कुकीज़ और मालाओं का इस्तेमाल किया जाता था।

कुछ ऐसे बना ईसाई धर्म का प्रतीक

कुछ ऐसे बना ईसाई धर्म का प्रतीक

क्रिसमस ट्री को ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार के प्रतीक के रूप में मनाने के पीछे एक किदवंती मशहूर है। एक जर्मन किंवदंती के अनुसार, जब भगवान यीशु का जन्म हुआ, उस समय वहां पर चर रहे पशुओं ने उन्हें प्रणाम किया। यीशु के जन्म के पश्चात् देखते ही देखते जंगल के सारे वृक्ष सदाबहार हरी पत्तियों से लद गए। बस, तभी से क्रिसमस ट्री को ईसाई धर्म का परंपरागत प्रतीक माना जाने लगा। हालांकि इस किदवंती में कितनी सच्चाई है, इसके बारे में कोई नहीं जानता।

English summary

The History Of Christmas Trees in Hindi

History behind Christmas trees. Read this article
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