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गुड फ्राइडे: जानिए प्रभु यीशु के त्याग और बलिदान की कहानी
आज समस्त ईसाई धर्म के लोग भगवान ईसा मसीह को याद कर गुड फ्राइडे मनाएंगे। कहतें हैं इस दिन भगवान ने मानवता की भलाई के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी। ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार आज ही के दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था क्योंकि उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई थी और अज्ञानता का अंधकार दूर करने के लिए लोगों को शिक्षित किया था।
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता हैं। आइए जानते है क्या हुआ था इस दिन।
कौन थे प्रभु यीशु
बेथलेहम में मरियम (मेरी) के गर्भ से ईसा का जन्म हुआ था। कहतें हैं जब ईसा का जन्म हुआ था तब उनके परिवार के पास रहने की भी जगह नहीं थी इसलिए ईसा को कपडे में लपेट कर चरनी में रख दिया गया था और आठवें दिन प्रभु का नाम यीशु या ईसा रखा गया।
बाद में मरियम यीशु को लेकर यरुशलम गई। माना जाता हैं कि उन दिनों ऐसी प्रथा थी कि माता पिता अपने बड़े बेटे को ईश्वर को समर्पित कर देते थे इसलिए मरियम ने भी ईसा को भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया था।
सत्य को खोजने की वृत्ति ईसा में बचपन से ही थी, इसलिए जब वे बारह वर्ष के थे तब यरुशलम में पुजारियों से काफी ज्ञान प्राप्त किया था।
प्रभु ईसा ने जब होश संभाला, तब उन्होंने देखा कि उनके यहूदी समाज में कई प्रकार की गलत मान्यताएं फैली हैं। उन्होंने उनका विरोध करके मनुष्य को सही रास्ते पर चलने की सीख दी। उस समय के समाज में आम आदमी अपने आपको बहुत नीच, पापी और अपवित्र मानता था
ईसा ने लोगों को यह बताया कि कोई बड़ा या छोटा नहीं होता सब बराबर होतें हैं । उन्होंने मनुष्य को संदेश दिया कि तुम तो पृथ्वी के नमक हो। विश्व के प्रकाश हो। भगवान ने लोगों को अपना आदर करने के लिए कहा।
क्यों कहतें है गुड फ्राइडे
जब चारों तरफ पाप और अत्याचार बढ़ गया तब ईसा मसी ने लोगो को इसके खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया। वे मानवता और शांति का संदेश देने लगे। तब यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं (रब्बियों) ने ईसा का भारी विरोध किया था। उन्होंने उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस को यीशु को सजा देने के लिए कहा।
सोमन हमेशा यहूदियों से डरते थे, इसलिए कट्टरपंथियों को प्रसन्न करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस पर लटकाने की सजा सुनाई। बाद में ईसा पर बेरहमी से अत्याचार हुए और उनके हाथों में कीलें ठोककर सूली पर लटका दिया गया।
ऐसी मान्यता हैं कि दो हज़ार साल पहले जिस दिन प्रभु यीशु को सजा दी गयी थी उस दिन शुक्रवार था। प्रभु ने नि:स्वार्थ भाव से मानवता के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे इसलिए इसे गुड फ्राइडे कहा जाता हैं। लेकिन ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार अपनी मौत के तीसरे दिन प्रभु यीशु जीवित हो उठे थें और उस दिन रविवार था। इस दिन को ईस्टर सण्डे कहते हैं।
क्या होता है इस दिन
ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता हैं। कहतें हैं आज का यह दिन उनके लिए शोक की तरह होता हैं क्योंकि निर्दोष होने बावजूद ईसा को इतनी बेहरमी से रोमन सैनिको द्वारा हाथों में क्रूस मारे गए थे। जब भगवान को तरह तरह की यातनाएं दी जा रही थी तब उन्होंने प्रार्थना करते हुए यह कहा था कि "हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं", और उन्होंने आखिरी सांस ली।
गुड फ्राइडे पर ईसाई धर्म के अनुयायी गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु के त्याग और बलिदान को याद करतें हैं। लोग ईसा मसीह के प्रतीक क्रास को चूमते हैं और उनका धन्यवाद करतें हैं।
इस दिन विश्व भर के ईसाई चर्च में सामाजिक कार्यो को बढ़ावा देने के लिए चंदा व दान दिया जाता हैं।