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जानिए रमज़ान से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
दुनियाभर में मुस्लिमों की आबादी बहुत ज़्यादा है और मुस्लिम धर्म में रमज़ान के महीने को बहुत पवित्र माना जाता है। रमज़ान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत खास और पवित्र होता है। कहा जाता है कि इस महीने में रोज़ा रखकर मुस्लिम लोग अपनी आत्मा और शरीर का शुद्धिकरण करते हैं।
साल 2018 में रमज़ान का महीना 17 मई से शुरु हो चुका है और ये 16 जून को खत्म होगा। हर क्षेत्र में पूर्णिमा या ईद के चांद के मुताबिक रमज़ान की तारीख अलग-अलग हो सकती है।
रमज़ान के महीने में जिस दिन पूरा चांद दिखाई देता है उसे ईद या ईद-उल-फित्तर कहते हैं। रमज़ान के महीने को दो कारणों से बहुत पवित्र माना जाता है। पहला कारण है कि इस महीने में मुस्लिम पैगंबर मुहम्मद ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था और दूसरा कारण ये है कि ऐसा माना जाता है कि इस महीने में ही पवित्र कुरान लिखी गई थी।
आज हम आपको इस पवित्र रमज़ान के महीने के बारे में और भी कुछ दिलचस्प और अनसुनी बातें बताने जा रहे हैं।
चंद्र कैलेंडर के नौवें महीने में होता है रमज़ान
मुस्लिम धर्म में चंद्र पंचाग का अनुसरण किया जाता है और इस पंचांग के अनुसार नौवें महीने में रमज़ान मनाया जाता है। हम सभी ग्रेगोरियन कैलेंडर का अनुसरण करते हैं और इसलिए प्रत्येक साल में रमज़ान महीने 10 या 11 दिन आगे मनाया जाता है।
इस्लाम के पांच स्तंभ में से एक है रोज़ा
अपने जीवनकाल में मुस्लिमों को पांच चीज़ें ज़रूर करनी होती हैं और इन्हें इस्लाम के पांच स्तंभ कहा गया है। रोज़ा रखना भी इन पांच स्तंभों में से एक है। अन्य चार स्तंभों में दान, प्रार्थना, आस्था और जीवन में एक बार मक्का की यात्रा शामिल है।
रमादान शब्द का मतलब
रमज़ान को रमादान के नाम से भी जाना जाता है। रमादान शब्द का अर्थ है शुष्क मौसम और तपतपाती हुई गर्मी। गर्मी के मौसम में रमज़ान का महीना आता है और इसीलिए इसे रमादान भी कहा गया है।
रमज़ान के नियम
हर मुस्लिम को रोज़ा रखना ज़रूरी होता है। बच्चे या कम उम्र की लड़कियां, गर्भावस्था या माहवारी के कारण महिलाएं रोज़ा नहीं रखती हैं। इसके अलावा अधिक उम्र के बुजुर्ग भी रोज़ा छोड़ सकते हैं। रमज़ान के महीने में किसी की बुराई, अभद्र भाषा का इस्तेमाल या झगड़ा नहीं करना चाहिए। इस पवित्र महीने में धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य करने चाहिए। इस पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग दान और सामाजिक कार्य करते हैं।
हिलाल देखना
माना जाता है कि रमज़ान का महीना शुरु होने से पहले अर्धचंद्र दिखाई देता है और पूर्णिमा का चांद दिखने के एक दिन बाद रमज़ान का महीना शुरु होता है। इस महीने में चांद का आकार घटता रहता है और अर्धचंद्र होने पर ईद मनाई जाती है। इस अर्धचंद्र को हिलाल कहते हैं और मुस्लिमों में इसे बहुत पवित्र माना गया है।
कुछ देशों में रोज़ा ना रखना है अपराध
कुछ मुस्लिम देशों में सार्वजनिक जगहों पर नाश्ता करना अपराध माना गया है। जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें दंड और जुर्माना भरना पड़ता है। गुनाह के आधार पर ही सज़ा निर्धारित की जाती है। इसमें मुस्लिम समुदाय की सेवा से जेल की सजा तक मिल सकती है।