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मकर सक्रांति 2018: काले तिल के इन उपायों से कट जाएंगे दोष और बुरी नजर

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मकर संक्रांति: तिल दूर करेगा दुर्भाग्य | Sesame for good luck On Makar Sankranti | Boldsky

मकर संक्राति का त्‍योहार हिंदू त्‍योहार में से एक विशेष त्‍योहार है। इस दिन से न सिर्फ मौसम में अंतर आना शुरु होता है बल्कि ज्‍योतिष के अनुसार भी ग्रहों की स्थिति में काफी फेरबदल होता है। इस बार 17 सालों बाद ये महासंयोग बना है कि रविवार के दिन ही सूर्य देवता मकर राशि में गोचर कर रहे हैं।

रविवार और मकर संक्रांति दोनों ही सूर्य देव से संबंधित हैं, इस कारण इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है। संक्रांति पर सूर्य को जल चढ़ाने और पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पुण्य करने की परंपरा है। इस दिन काले तिल के उपाय करने से दुर्भाग्य दूर हो सकता है और धन संबंधी कामों में सफलता मिल सकती है। यहां जानिए संक्रांति पर काले तिल के कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं।

पहला उपाय

पहला उपाय

पुराने जमाने लोग तिल संक्राति के दिन जल्‍दी उठकर तिल के तेल से मालिश करने के बाद नहाया करते थे। इसे शुभ माना जाता था। इसलिए सुबह जल्दी उठें और तिल का तेल मिलाकर उबटन शरीर पर लगाएं। इस उपाय से शरीर की गंदगी साफ हो जाती है और पवित्रता बढ़ती है।

दूसरा उपाय

दूसरा उपाय

शास्‍त्रों में भी तिल के लाभ के बारे में लिखा गया है। मकर संक्राति के दिन पानी में काले तिल डालकर स्नान करें। इस उपाय से बुरी नजर का से रक्षा होती है।

तीसरा उपाय

तीसरा उपाय

स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। जल में काले तिल भी डालें। इस उपाय से सूर्य देव की विशेष कृपा मिलती है।

चौथा उपाय

चौथा उपाय

मकर संक्रांति पर तिल के व्यंजन खाने की परंपरा है। इस दिन तिल के लड्डू जरूर खाएं। इससे कफ संबंधी रोगों में लाभ मिल सकता है।

पांचवां उपाय

पांचवां उपाय

संक्रांति पर तिल का दान करें। इस उपाय से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। अगर आप इस दिन

काले तिल भी दान करते हैं तो इससे राहु-केतु और शनि के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा कालसर्प योग, साढ़ेसाती, ढय्या, पितृदोष आदि में भी यह उपाय कारगर है।

सूर्य करेगा मकर राशि में प्रवेश

सूर्य करेगा मकर राशि में प्रवेश

रविवार, 14 जनवरी 2018 को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण से इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाएगा। ठंड में कमी आने लगेगी। इस दिन सूर्य की विशेष अवश्य करनी चाहिए। हमारे देश के हर कोने में इस दिन का विशेष महत्‍व है।

कहीं पोंगल तो कहीं उतरायण

कहीं पोंगल तो कहीं उतरायण

मकर संक्राति को हर जगह अलग अलग नाम से जाना जाता है। उतर भारत में इसे उतरायण भी कहा जात है। बंगाल में इसे तिल संक्राति भी कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रुप में सेलिब्रेट किया जाता है। तेलुगु में इसे पेडा पंडुगा कहा जाता है। वहीं पंजाब में मकर संक्राति की सुबह से पहले यानी 13 जनवरी को पंजाबी इस दिन को लोहड़ी के रुप में मनाते है। वहीं मेघालय के कुछ जगह और असम में इसे भोगली बिहु के रुप में मनाया जता है।

English summary

Use and Significance of Til in the makar sankaranti

Use and Significance of Til in the makar sankaranti
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