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वरलक्ष्मी व्रत को करने से मिलते हैं अनेक लाभ, इस दिन व्रत कथा पढ़ने से भी होता है उद्धार

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सावन का महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ और उत्तम माना जाता है। इस माह का प्रत्येक दिन व्यक्ति को विशेष पूजा पाठ करके प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका देता है। सावन का आखिरी शुक्रवार मां लक्ष्मी को समर्पित माना गया है और इसी दिन वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है।

Varalakshmi 2020

शास्त्रों के मुताबिक सुख-समृद्धि, धन-वैभव, संपन्नता, संपत्ति आदि प्राप्ति के लिए वरलक्ष्मी व्रत किया जाता है। जानते हैं इस साल वरलक्ष्मी व्रत किस दिन है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। साथ ही पढ़िए वरलक्ष्मी व्रत के लाभ तथा व्रत कथा।

वरलक्ष्मी व्रत पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

वरलक्ष्मी व्रत पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

वरलक्ष्मी व्रत तिथि: 31 जुलाई, 2020 शुक्रवार

सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) - सुबह 07:15 से 09:18

अवधि - 02 घण्टे 03 मिनट

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न) - दोपहर 01:26 से 03:38

अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट

कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (सन्ध्या) - शाम 07:39 से 09:21

अवधि - 01 घण्टा 42 मिनट

वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - रात 12:48 से 02:51, अगस्त 01

अवधि - 02 घण्टे 02 मिनट

वरलक्ष्मी व्रत से मिलते हैं कई लाभ

वरलक्ष्मी व्रत से मिलते हैं कई लाभ

वरलक्ष्मी का व्रत धन समृद्धि की देवी और भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी जी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भक्त वरलक्ष्मी व्रत का विधि-विधान के साथ पालन करता है उसे माता लक्ष्मी के आशीर्वाद के रूप में कई लाभ मिलते हैं। भक्तों के घर में धन-धान्य के भंडार भर जाते हैं। इस व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और पूर्ण विधि-विधान के साथ करें। इस व्रत को करने से जातक को मां लक्ष्मी के साथ मां सरस्वती का भी विशेष आशीर्वाद मिलता है और ज्ञान में वृद्धि होती है। इस व्रत को करने वाले मनुष्य के जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। अधूरे कार्य पूरे हो जाते हैं। स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

विवाहितों को मिलता है विशेष लाभ

विवाहितों को मिलता है विशेष लाभ

अविवाहित कन्या को यह व्रत नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार वरलक्ष्मी व्रत को केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी लड़कियों के लिए यह व्रत करना वर्जित माना गया है। अपने परिवार की सुख, शांति और संपन्नता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं। यदि पति और पत्नि दोनों साथ मिलकर इस व्रत को करते हैं तो दोनो को ही मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलेगा। इतना ही नहीं, इस व्रत के प्रभाव से जीवन के सभी आभाव भी दूर हो जाते हैं।

पढ़ें वरलक्ष्मी व्रत कथा

पढ़ें वरलक्ष्मी व्रत कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार मगध राज्य में कुंडी नामक एक नगर था। कुंडी नगर का निर्माण स्वर्ग से हुआ माना जाता था। इस नगर में एक ब्राह्मण महिला चारुमति अपने परिवार के साथ रहती थी। चारुमति कर्त्यव्यनिष्ठ औरत थी। वह अपने सास, ससुर एवं पति की सेवा और माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना कर एक आदर्श नारी का जीवन व्यतीत करती थी।

एक रात चारुमति के सपने में मां लक्ष्मी आकर बोलीं, चारुमति हर शुक्रवार को मेरे निमित्त मात्र वरलक्ष्मी व्रत को किया करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हें मनोवांछित फल प्राप्त होगा। अगले सुबह चारुमति ने लक्ष्मी माता द्वारा बताये गए वरलक्ष्मी व्रत का समाज की अन्य महिलाओं के साथ विधिवत पूजन किया।

पूजन के संपन्न होने पर सभी नारियां कलश की परिक्रमा करने लगीं, परिक्रमा करते समय सभी औरतों के शरीर तरह तरह के स्वर्ण आभूषणों से सज गए। उनके घर भी सोने के बन गए और उनके पास घोड़े, हाथी, गाय आदि पशु भी आ गए। सभी महिलाओं ने व्रत की विधि बताने के लिए चारुमति की प्रशंसा की। कालांतर में यह कथा भगवान शिव जी ने माता पार्वती को कही थी। इस व्रत को सुनने मात्र से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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English summary

Varalakshmi 2020: Varalakshmi Vrat Katha, Date, Puja Muhurat, Significance

Every year Varalakshmi Vratham is observed in the Sravana month. It is celebrated on Friday preceding the full moon day.
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