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वरुथिनी एकादशी 2018: इस विधि से करें यह व्रत, पूरे होंगे सारे काम

By Rupa Shah
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वरूथिनी एकादशी व्रत कथा | Varuthini Ekadashi Katha | Boldsky

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी या वरुथिनी ग्यारस कहते है।अन्य सभी एकादशियों की तरह इस एकादशी का भी बड़ा ही महत्व है। पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस दिन भगवान विष्णु के नियमानुसार उपासना और व्रत करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और सौ न्यादान के बराबर का फल प्राप्त होता है। इस बार यह पर्व 12 अप्रैल, 2018 यानी आज है।

आइए जानते है दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने वाली इस पूजा का महत्व और इसके पीछे की कहानी।

significance of varuthini ekadashi

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा

पद्मपुराण की एक कथा के अनुसार एक बार नर्मदा नदी के किनारे मांधाता नाम का राजा राज करता था। वह बहुत ही धार्मिक था और उसकी प्रजा उससे हमेशा प्रसन्न रहती थी। एक बार राजा जंगल में तपस्या कर रहा था इतने में जंगली भालू ने उस पर आक्रमण कर दिया यह देख वह राजा घबरा गया, लेकिन उसने भालू को मारा नहीं और ना ही उसके साथ हिंसा की। राजा ने भगवान विष्णु की प्रार्थना शुरू कर दी तब भगवान प्रकट हुए और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से भालू का वध कर दिया।

राजा की जान तो बच गई लेकिन उनका पैर भालू खा चुका था। अपने पैर को देख वह बहुत निराश हुए और भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर पूछने लगे कि हे प्रभू ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ तब भगवान ने उन्हें बताया कि यह सब राजा के पूर्व जन्मो के कर्मो के फल का कारण है।

राजा ने भगवान विष्णु से अपनी समस्या का समाधान पूछा तब भगवान नारायण ने कहा कि मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा करो और वरुथिनी एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से से तुम फिर से पूर्ण अंगों वाले हो जाओगे। राजा न नारायण के कहे अनुसार इस व्रत को विधिपूर्वक किया और भगवान के आशीर्वाद से उसे पुनः अपना पैर वापस मिल गया।

इस विधि से करें वरुथिनी एकादशी पर पूजा

वरुथिनी एकादशी के दिन गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन नियमों का पालनकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना, भजन और कीर्तन करना चाहिए। द्वादशी के दिन पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए वरुथिन एकादशी पर दान पुण्य का भी बड़ा महत्व है इसलिए ब्राह्मणो और गरीबों को दान भी करना चाहिए जिसके बाद भोजन ग्रहण कर भक्त अपना व्रत खोल सकतें है।

ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने वाले जातक द्वादशी तिथि में ही पारण करें। पारण को लेकर एक नियम यह भी है कि एकादशी व्रत का पारण हरि वासर में नहीं करना चाहिए इसकी अवधि खत्म होने का इंतजार करना चाहिए।

इस पूजा का महत्व

माना जाता है कि श्री कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी का महत्व बताया था जिसके अनुसार जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे जानवर जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। उसके अंदर साहस और पराक्रम भरा होता है वह किसी भय या डर से ग्रसित नहीं होता है। वरुथिनी एकादशी पर गरीबों को दान करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

वरुथिनी एकादशी पर क्या करें

1.श्री हरी विष्णु को तुलसी की माला अर्पित ज़रूर करें इससे भगवान प्रसन्न होतें है।

2.विष्णु जी के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा करें इससे धन लाभ होता है।

3.पीले रंग की वस्तु का भोग लगाएं जैसे पीला फल या फिर पीली मिठाई।

4.पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।

5.दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण होती है।

वुथिनी एकादशी पर क्या न करें

1.उड़द दाल और लाल मसूर का सेवन न करें।

2.किसी अन्य व्यक्ति के घर में भोजन ग्रहण न करें।

3.धातु की प्लेट में खाना न खाएं ।

4.शहद का सेवन न करें।

5.एक बार ही भोजन करें।

English summary

Varuthini Ekadashi 2018 Importance And Significance

Varuthini Ekadashi is observed during Krishna Paksha of Vaishakha month according to North Indian Purnimant calendar and Krishna Paksha of Chaitra month according to South Indian Amavasyant calendar.
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