Just In
- 1 hr ago गर्मी में पेट को शांत रखता है यूपी-बिहार का सन्नाटा रायता, ये हैं फायदे और बनाने का तरीका
- 2 hrs ago Mangal Gochar 2024: ग्रहों के सेनापति मंगल ने किया मीन राशि में प्रवेश, इन 3 राशियों के लिए शुरू हुआ बुरा समय
- 3 hrs ago मूंछों की वजह से 10वीं टॉपर का बना मजाक, इस बीमारी से लड़कियों के फेस उगते है बाल
- 3 hrs ago Hanuman Puja: हनुमान जी के इस पैर पर सिंदूर लगाने से बनते हैं सभी बिगड़े काम
Don't Miss
- News Election 2024: भाजपा में जाने की अटकलों के बीच Nilesh Kumbhani 'लापता', सूरत में निर्विरोध जीत के बाद नया खेला
- Technology 10 स्मार्टफोन ब्रांड जो भारत में नहीं चल पाए
- Movies कांग्रेस पार्टी के लिए वोट मांगने मैदान में उतरे 'पुष्पा'? आग की तरह वायरल हुआ अल्लू अर्जुन का ये वीडियो!
- Automobiles 100 साल की उम्र में 50 साल पुरानी विंटेज कार चला रहे हैं केरल के बुजुर्ग, VIDEO देख हैरान रह जाएंगे आप!
- Finance Bengaluru's New Navigation App: सड़कों के गड्ढों से लेकर रोडब्लॉक तक, इस नेविगेशन ऐप से कर सकते हैं चेक
- Education UPSC CDS 2 Final Result 2023 OUT: यूपीएससी सीडीएस 2 रिजल्ट घोषित, कुल 197 अभ्यर्थियों का चयन, सीधा लिंक
- Travel पर्यटकों के लिए खुलने वाला है मुंबई का 128 साल पुराना BMC मुख्यालय, क्यों है Must Visit!
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
Veer Savarkar Jayanti 2023: सावरकर के विचारों से जानें उनका साहस
वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर है। सावरकर स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और राष्ट्रवादी नेता थे। आज यानि 28 मई को देश वीर सावरकर की जयंती मना रहा है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेताओं ने उन्हें याद किया। विनायक सावरकर की जयंती के मौके पर मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर मन की बात का क्लिप पोस्ट किया है। इसके जरिये उन्होंने देश के लोगों को विनायक सावरकर के साहस और आजादी में दिए उनके योगदान के बारे में बताया।
गौरतलब है कि विनायक दामोदर सावरकर दुनिया के अकेले ऐसे स्वंतंत्रता सेनानी थे जिन्हें एक नहीं बल्कि दो दो बार आजीवन कारावास की सजा मिली। उन्होंने सजा को पूरा किया और फिर से राष्ट्र जीवन में सक्रिय हो गए।
पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि वीर सावरकर ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की लड़ाई में भारतीयों के संघर्ष को अंग्रेजों के खिलाफ पहली लड़ाई कहने की हिम्मत दिखाई थी। उन्होंने आगे कहा कि यह मई का महीना बहुत ही खास है। यही वह महीना था जब भारत देश के वीर जवानों ने अंग्रेजों को अपनी ताकत दिखाई थी।
On his Jayanti, I bow to the courageous Veer Savarkar. We remember him for his bravery, motivating several others to join the freedom struggle and emphasis on social reform. pic.twitter.com/o83mXmgp1S
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2020
बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि वीर सावरकर दुनिया के पहले ऐसे कवि थे जिन्होंने अंडमान के एकांत कारावास में जेल की दीवारों पर कील और कोयले की मदद से कविताएं लिखीं और फिर उन्हें याद किया। इस प्रकार याद की हुई 10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा।
विनायक दामोदर सावरकर की जयंती के मौके पर आपको भी देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले इस साहसिक और तेजस्वी शख्सियत के विचारों से रूबरू होना चाहिए।
1.
महान लक्ष्य के लिए किया गया कोई भी बलिदान व्यर्थ नहीं जाता है।
-वीर सावरकर
2.
अगर संसार को हिंदू जाति का आदेश सुनना पड़े, ऐसी स्थिति उपस्थित होने पर, उनका वह आदेश गीता और गौतम बुद्ध के आदेशों से भिन्न नहीं होगा।
-वीर सावरकर
3.
दूसरों का सम्मान करने की शक्ति रखने वालों में ही मैत्री संभव है।
-वीर सावरकर
4.
अपने देश की, राष्ट्र की, समाज की स्वतंत्रता - हेतु प्रभु से की गई मूक प्राथर्ना भी सबसे बड़ी अहिंसा का द्दोतक है।
-वीर सावरकर
5.
हमारी पीढ़ी ऐसे समय में और ऐसे देश में पैदा हुई है कि प्रत्येक उदार एवं सच्चे हृदय के लिए यह बात आवश्यक हो गई है कि वह अपने लिए उस मार्ग का चयन करे जो आहों, सिसकियों और विरह के मध्य से गुजरता है। बस, यही मार्ग कर्म का मार्ग है।
-वीर सावरकर
6.
कष्ट ही तो वह चाक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और उसे आगे बढ़ाती है।
-वीर सावरकर
7.
हिंदू जाति की गृहस्थली है - भारत, जिसकी गोद में महापुरूष, अवतार, देवी-देवता और देव-जन खेले हैं। यही हमारी पितृभूमि और पुण्यभूमि है। यही हमारी कर्मभूमि है और इससे हमारी वंशगत और सांस्कृतिक आत्मीयता के सम्बन्ध जुड़े हैं।
-वीर सावरकर
8.
मन सृष्टि के विधाता द्वारा मानव-जाति को प्रदान किया गया एक ऐसा उपहार है, जो मनुष्य के परिवर्तनशील जीवन की स्थितियों के अनुसार स्वयं अपना रूप और आकार भी बदल लेता है।
-वीर सावरकर
9.
वर्तमान परिस्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा - इस तथ्य की चिंता किये बिना ही इतिहासलेखक को इतिहास लिखना चाहिए और समय की जानकारी को विशुद्ध और सत्य - रूप में ही प्रस्तुत करना चाहिए।
-वीर सावरकर
10.
प्रतिशोध की भट्टी को तपाने के लिए विरोधों और अन्याय का ईंधन अपेक्षित हैं, तभी तो उसमें से सद्गुणों के कण चमकने लगेगें। इसका मुख्य कारण है कि प्रत्येक वस्तु अपने विरोधी तत्व से रगड़ खाकर ही स्फुलित हो उठता है।
-वीर सावरकर