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आषाढ़ माह में क्यों नवविवाहित जोड़ों को सेक्सुअल संबंध बनाने की होती है मनाही?
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास को अशुभ माना जाता है। इस महीने के दौरान शुभ कार्य नहीं किये जाते जैसे की विवाह, गृह प्रवेश आदि। हालांकि इस महीने में पूजा पाठ और व्रत आदि को शुभ माना जाता है। इस महीने को अशुभ मानने के पीछे एक तरफ धार्मिक और ज्योतिषीय कारण दिए जाते हैं तो दूसरी तरफ इसका वैज्ञानिक और सामाजिक कारण भी पेश किया है।
इस महीने के बाद वर्षा ऋतु का प्रारंभ होता है, कृषि कार्य शुरू हो जाते हैं शायद इसलिए आमदनी की कमी हो जाती है और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए बचत की जाती है और कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
दिलचस्प मान्यताएं
दक्षिण भारत में आषाढ़ माह को लेकर कई तरह की मान्यताएं देखने को मिलती हैं। नवविवाहित दम्पतियों को अलग रहने की सलाह दी जाती है। संतान उत्पत्ति करने से परहेज रखने को कहा जाता है। नवविवाहित बहु अपने मां के यहां भेज दी जाती है जो एक महीने श्रावण मास में वापस अपने ससुराल आ जाती हैं।
क्यों अलग कर दिए जाते हैं नवविवाहित दम्पति
जिनकी नयी नयी शादी हुई है उन्हें आषाढ़ मास में अलग अलग रहने की सलाह दी जाती है। इसके पीछे ज्योतिषीय, वैज्ञानिक और आर्थिक कारण बताए जाते हैं हालांकि अधिकृत रूप से किसी भी कारण की पुष्टि नहीं हुई है।
वैज्ञानिक कारण
आषाढ़ महीने में जो कि जून-जुलाई में आता है अगर नव दम्पति संतान उत्पत्ति करती है तो डिलीवरी मार्च-अप्रैल के करीब होने की सम्भावना होती है और यह समय ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ का है। गर्मी में बच्चे को पालना थोडा कठिन होता है, संवेदनशील होने की वजह से उसे बीमारियां जल्दी चपेट में ले सकती हैं।
कृषि से जुड़े कारण
प्राचीन समय में महिलाएं भी कृषि कार्य में हाथ बंटाती थीं। फसल की बुआई महिलाएं ही करती थीं। चूंकि आषाढ़ महीने के बाद वर्षा ऋतु प्रारंभ हो जाती है जिसमें कृषि कार्य शुरू कर देते हैं तो ऐसे में अगर नवविवाहिता गर्भवती है तो फिर वो कृषि कार्य में हाथ नहीं बटा पाएंगी इसलिए इस महीने में संतान उत्पत्ति से बचा जाता है।
नवविवाहितों को ही अलग क्यों करते हैं?
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दम्पति की पहली संतान अगर पुत्र हो और उसका जन्म चैत्र माह में हो तो पिता के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। उसकी तरक्की रुक जाती है। ये मान्यता खासतौर पर तमिल हिन्दू समाज में ज्यादा है इसलिए नवविवाहितों को सलाह दी जाती है कि आषाढ़ महीने में कंसीव न करें। जिस दम्पति की पहले से कोई संतान है तो उसके ऊपर ये नियम लागू नहीं होता है इसलिए सिर्फ नवविवाहितो को अलग रहने की सलाह दी जाती है।