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Hindi Diwas 2021 : हिन्दी प्रेमियों को जरूर जाननी चाहिए हिन्दी दिवस से जुड़ी यह बातें
भाषा आपसी कम्युनिकेशन के लिए एक पुल की तरह काम करती है। जब दो लोग एक-दूसरे की भाषा को समझते हैं तो उनके लिए आपसी संचार करना काफी आसान होता है। वैसे अगर भारत की बात की जाए तो यहां पर विभिन्न राज्यों में लोग अलग-अलग भाषाओं में बात करते हैं, लेकिन फिर भी हिन्दी एक ऐसी भाषा है, जिसे भारत में करीबन 70 प्रतिशत लोग आसानी से समझ लेते हैं। इस लिहाज से हिन्दी का अपना एक अलग महत्व है और देश में हिन्दी के इस महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 14 सितंबर के दिन हिन्दी दिवस मनाया जाता है। अब आप यह सोच रहे होंगे कि इस खास दिन को मनाने की शुरूआत किस प्रकार हुई, तो चलिए आज हम आपको इस बारे में बता रहे हैं-
साल 1953 में हुई शुरूआत
देश में सबसे पहले साल 1953 में हिन्दी दिवस को मनाया गया और इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए 14 सितंबर का दिन चुना गया। दरअसल, 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा में यह निर्णय लिया गया कि केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में हिन्दी को चुना जाए। दरअसल, हिन्दी एक ऐसी भाषा है, जिसे अधिकतर लोग समझते हैं और इसलिए इस भाषा को सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया। इसके बाद लोगों को हिन्दी भाषा के प्रति जागरूक करने और इस भाषा को अधिक से अधिक प्रसारित करने के लिए साल 1953 से हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा। चूंकि केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा का निर्णय 14 सितंबर के दिन लिया गया था, इसलिए इस खास दिन के सेलिब्रेशन के लिए भी 14 सितंबर का दिन ही चुना गया।
पहले भी रखे गए प्रस्ताव
आजादी के बाद भले ही हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ हो। लेकिन इस भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश आजादी से पहले से की जाती रही है। बता दें कि संवैधानिक रूप से भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। साल 1918 में महात्मक गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश की थी। उन्होंने हिन्दी के पक्ष में तर्क देते हुए कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और इसलिए इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाया जाना चाहिए।
कई मायनों में अहम् है हिन्दी दिवस
यूं तो हिन्दी दिवस के दिन कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करवाना होता है। हालांकि, आज के समय में हिन्दी दिवस को मनाने की महत्ता पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। दरअसल, समय के साथ-साथ हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। जहां कुछ हिन्दी के शब्द पूरी तरह से प्रचलन से खत्म हो गए और उनकी जगह पर अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल होने लगा। वहीं कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिनमें कुछ अंग्रेजी शब्दों को मिलाकर बोला जाने लगा है। जिसके कारण हिन्दी भाषा का अस्तित्व अब खतरे में नजर आ रहा है। ऐसे में हिन्दी दिवस के माध्यम से सभी भारतवासियों को हिन्दी भाषा और उसकी महत्ता के प्रति जागरूक करवाया जा सकता है।