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स्‍वतंत्रता दिवस विशेष : जानिए कैसा बना भारत का प्‍यारा तिरंगा

By Lekhaka
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भारत के राष्‍ट्रीय तिरंगे का इतिहास काफी रोचक है भारतीय स्‍वाधीनता आंदोलन के दौरान इसके स्‍वरूप में के एवं समय-समय पर बदलाव होता रहा है। भारत की आज़ादी के लिए अनगिनत स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अपने खून और जान की बलि दी है जिसे चाहकर भी कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंगों का इस्‍तेमाल किया गया है। इस तिरंगे के डिजाइन, रंग और महत्‍व को लेकर बेहद रोचक इतिहास छिपा है। भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज इसकी स्‍वतंत्रता और अखंडता को प्रदर्शित करता है।

How The Indian National Flag ‘Tiranga’ Came To Its Present Design

वर्तमान समय के राष्‍ट्रीय ध्‍वज को पिंगली वेंकैया ने डिज़ाइन किया था। पिंगली भी भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन के एक क्रांतिकारी थे। भारतीय ध्‍वज को तिरंगा कहा जाता है जिसका मतलब है तीन रंग।

22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा की बैठक में इस तिरंगे को स्‍वीकृति दी गई थी एवं 15 अगस्‍त, 1947 को इसे आधिकारिक रूपप से भारतीय ध्‍वज के रूप में फहराया गया था। भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज स्‍वराज ध्‍वज पर आधारित है। इस स्‍वराज ध्‍वज को भी पिंगली वेंकैया ने ही डिजाइन किया था। भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज खादी से बना है।

 Independence Day Special: How The Indian National Flag ‘Tiranga’ Came To Its Present Design

हमारे देश की ही तरह राष्‍ट्रीय ध्‍वज का इतिहास भी आज़ादी से पहले कई साल पुराना है। आइए देखते हैं कि स्‍वतंत्रता से पहले भारत में किस तरह के ध्‍वजों का प्रयोग किया जाता था।

सिस्‍टर निवेदिता ध्‍वज (190 4-1906)

इस समय सबसे पहली बार भारतीय ध्‍वज अस्तित्‍व में आया था। इसे सिस्‍टर निवेदिता ने बनाया था जोकि स्‍वामी विवेकानंद जी की आयरिश शिष्‍या थीं। इस ध्‍वज को सिस्‍टर निवेदिता ध्‍वज के नाम से ही जाना जाता था। इस ध्‍वज में लाल और पीले रंग के साथ वज्र का चित्र हुआ करता था। वज्र भगवान इंद्र का शस्‍त्र है। इस ध्‍वज के बीच में सफेद कमल का फूल बना था। इस पर बंगाली में 'बोंद्र मातोरम्’ लिखा था।

कलकत्ता ध्‍वज (1906)

सिस्‍टर निवेदिता ध्‍वज के बाद तीन रंगों में पहली बार कलकत्ता ध्‍वज सामने आया। इस ध्‍वज पर तीन रंग नीली, पील और लाल मोटी रेखाएं थीं। इस ध्‍वज पर अलग-अलग आकार के 8 सितारे एक लाइन में बने हुए थे। पीले रंग वाली रेखा पर 'वंदे मात्‍रम्’ लिखा हुआ था और लाल रंग की रेखा पर चांद के ऊपर सितारा और सूर्य बना हुआ था।

प्रारंभिक राष्‍ट्रवादी ध्‍वज (1906-1907)

1906 में एक अन्‍य ध्‍वज 7 अगस्‍त, 1906 को अस्‍तित्‍व में आया। ये ध्‍वज कोलकाता के परसी बागन स्‍कवायर में विभाजन विरोधी रैली में फहराया गया था। इस तिरंगे को संचिंद्र प्रसाद बोस और सुकुमार मितरा ने डिज़ाइन किया था। इसमें हरी, पीली और लाल रंग की धारियां थीं। सबसे ऊपर हरा रंग था जिसमें आठ प्रांतों को आठ कमल के फूलों द्वारा प्रदर्शित किया गया था। बीच में पीला रंग था जिस पर 'वंदे मात्‍रम्’ लिखा गया था और सबसे नीचे था लाल रंग जिस पर बाईं और चंद्रमा और दाईं ओर सूर्य बना हुआ था।

द बर्लिन कमेटी ध्‍वज (1907)

द बर्लिन कमेटी ध्‍वज को मैडम भीकाजी कामा, विनायक दामोदर सारवकर और श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा ने मिलकर बनाया था। विदेशी पर लहराने वाला ये पहला भारतीय ध्‍वज था। इस तिरंगे में पहली बार केसरिया रंग का प्रयोग किया गया था। इस तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया रंग था जिस पर आठ कमल के फूल बने थे, बीच में पीला रंग था जिस पर वंदे मात्‍रम् लिखा और आखिर में हरा रंग था जिस पर चांद और सूरज बने हुए थे।

इसी ध्‍वज का अन्‍य संस्‍करण भी तैयार किया गया था जिसमें सात कमल के फूल और सात सितारे थे। ये सात सितारे सप्‍तऋषि नक्षत्र को दर्शाते थे।

द होम रूल ध्‍वज (1917)

द होम रूल आंदोलन के तहत बाल गंगाधर तिलक के द्वारा एक अन्‍य ध्‍वज भी तैयार किया गया था। ये ध्‍वज ब्रिटिश सर‍कार से ऑस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड की तरह अधिराज्‍य की मांग के लिए बनाया गया था। इस ध्‍वज पर एक-एक करके लाल और हरे रंग की धारियां थीं जिसमें बीच में सात सितारे बने हुए थे। ये सात सितारे सप्‍तऋषि नक्षत्र को दर्शाते थे। इस ध्‍वज पर अर्धचंद्र और सबसे ऊपरी किनारे पर सितारा बना हुआ था।

महात्‍मा गांधी ध्‍वज (1921)

1921 मे महात्‍मा गांधी जी ने तिरंगे पर चरखे के साथ एक घूमते हुए चक्र का ध्‍वज बनाया था। ये ध्‍वज भारत की लोकतांत्रिकता और यहां के विभिन्‍न धर्मों की एकता को दर्शाता था। इस ध्‍वज की नीचे की धारी में लाल रंग था जो कि त्‍याग का प्रतीक था और बीच में हरे रंग की रेखा थी जोकि उम्‍मीद और सबसे ऊपर सफेद रंग की धारी शांति का प्रतीक थी। इस ध्‍वज को भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की बैठक के दौरान 1921 में प्रस्‍तावित किया गया था।

द स्‍वराज ध्‍वज (1923-1947)

पिछले ध्‍वज को जनता ने सांप्रदायिक कोण के कारण स्‍वीकार नहीं किया था इसलिए इस ध्‍वज के रंगों को केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ बदल दिया गया। केसरिया रंग को हिंदू योगी और मुस्लिम दरवेश ने मिलकर चुना था। इसे पिंगली वेंकैया ने डिज़ाइन किया था। इसमें लगा चरखा स्‍वदेशी आंदोलन का प्रतीक था।

स्‍वतंत्र भारत का ध्‍वज (1947)

आज़ादी के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के लिए राष्‍ट्रीय ध्‍वज को चुना था। उनके नेतृत्‍व में कमेटी ने स्‍वराज ध्‍वज में कुछ बदलाव कर इसे स्‍वतंत्र भारत का ध्‍वज घोषित किया था। इस तिरंगे के बीच में चक्र था जिसे अशोक चक्र से बदल दिया गया था। इस तरह भारत का वर्तमान राष्‍ट्रीय ध्‍वज अस्‍तित्‍व में आया था।

English summary

How The Indian National Flag ‘Tiranga’ Came To Its Present Design

Like our country, our National Flag also has a rich history that dates back to pre-independence era. Let’s look at some of the flags that were used during the pre-independence era and were the predecessor of our present National Flag.
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