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खेतों में प्रैक्टिस करने वाला ये गेंदबाज़ अब है कोहली की पहली पसंद
आज कहानी उस क्रिकेटर की जो शतरंज की चाल चलने में भी माहिर है और बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने में भी। क्रिकेट का सफर उसके लिए आसान तो नहीं था पर जब रास्ता मिला तो अपना पता मंज़िल को ही बना लिया। हम ज़िक्र कर रहे हैं युजवेंद्र चहल का।
पढ़ाई में नहीं लगता था मन
शतरंज के खेल में भारत की नुमाइंदगी कर चुके युजवेंद्र चहल, क्रिकेट में शतरंज जैसी चाल और चतुराई से अपनी गेंदों पर बल्लेबाजों को फंसा लेते हैं। शानदार लेग ब्रेक गुगली से युजवेंद्र चहल अच्छे-अच्छे बल्लेबाज़ों को छकाने और पैवेलियन भेजने में माहिर हैं। युजवेन्द्र चहल का जन्म 1990 में 23 जुलाई को हरियाणा के जिंद में हुआ। पिता जींद कोर्ट में एडवोकेट हैं जो उनके लिए क्रिकेट में पहले गुरू की तरह साबित हुए। पढ़ाई में शुरू से मन नहीं लगता था लेकिन क्रिकेट और चेस में चहल का दिमाग पहले से ही बहुत तेज़ था। दोनों खेलों को एक साथ खेलते खेलते एक दिन क्रिकेट को ही उन्होंने अपने भविष्य के रूप में चुन लिया और आज क्रिकेट की दुनिया में चहल के चाहने वालों की कमी नहीं है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि चहल की खुद की पहली पसंद शतरंज की चाल थी। वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई टुर्नामेंट खेल चुके हैं।
भाती थी शतरंज की बिसात, पैसों की कमी की वजह से नहीं बनी बात
सिर्फ सात साल की उम्र में चहल ने दोनों ही खेल में हाथ दिखाने का काम शुरू कर दिया था। शतरंज में उसके कमाल के हुनर को देखते हुए उसे वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए ग्रीस भेजा गया था जहां चहल ने पताका लहराई। शतरंज के खेल में पैसों की कमी के चलते आगे बात नहीं बन पाई। इसके बाद उन्होंने क्रिकेट पर फोकस शुरू हुआ।
खेत बनी क्रिकेट की पिच
पिता को जैसे ही पता चला, उन्होंने चहल के लिए डेढ़ एकड़ खेत में क्रिकेट पिच बनवा दिया। चहल रोज़ाना इस मैदान में प्रैक्टिस करने लगे। चहल के दोस्त और परिवार के लोग बताते हैं कि खेत में डंडा लगाकर वो घंटों गेंद फेंकते रहते और कभी थकते नहीं थे। नए-नए प्रयोग की आदत ने खेत वाले मैदान से ही चहल को परफेक्शन की राह दिखानी शुरू कर दी और इसमें उसके पिता का रोल बहुत शानदार रहा। अभ्यास कभी बेकार नहीं जाता और चहल को भी इसका ईनाम मिला। खेलते ही खेलते एक दिन वो स्टेट अंडर-14 टीम में जगह बना गए। इसके बाद कई मौके मिले जो चहल को खुद को साबित करने के लिए काफी थे। लोगों की नजर युजवेंद्र चहल की प्रतिभा पर साल 2009 में पड़ी, जब स्टेट अंडर-19 के लिए बिहार ट्रॉफी में उन्होंने 34 विकेट झटके थे। इसके बाद दरवाज़े खुलते गए और वो हरियाणा की रणजी टीम का हिस्सा बन गए और 3 नवंबर 2009 को मध्य प्रदेश के खिलाफ डेब्यू मैच खेला।
मैदान में इस्तेमाल करते हैं शंतरज का हुनर
चहल कई बार इस बात का ज़िक्र कर चुके हैं की इस खेल में विरोधियों को घेरने की कला उन्होंने शतरंज से ही सीखी है। वो क्रिकेट के खेल में भी शतरंज की थ्योरी को अपनाकर दो कदम आगे की सोचकर बल्लेबाजों को बॉल फेंकते हैं। क्रिकेट के फटाफट रंगीन टुर्नामेंट आईपीएल में साल 2011 में चहल को पहली बार मौका मिला। मुंबई इंडियंस की टीम ने चहल पर भरोसा जताया। फिर इसी साल चैंपियंस लीग 20-20 में भी शानदार गेंदबाजी की। युजवेंद्र को यहां से एक नई पहचान मिली और लगातार शानदार प्रदर्शन का नतीजा ये हुआ कि 2014 में आईपीएल की नीलामी में वो बेंगलुरू की टीम का हिस्सा बन गए।
टीम इंडिया में जगह बनाने में लग गया वक़्त
चहल 2011 में घरेलू क्रिकेट में खेलने लगे थे लेकिन शुरू के 6 सालों में युजवेंद्र को सिर्फ 20 मैच में ही मौके मिले। इसके पीछे का कारण ये था कि चहल जिस टीम से खेलते थे, उस टीम में पहले से ही अमित मिश्रा का दबदबा था। खैर देर लगी लेकिन कम घरेलू मैचों में मौके के बावजूद वो दिन भी आया, जब चहल को साल 2016 में टीम इंडिया का हिस्सा बनाया गया।
ज़िम्बाब्वे दौरे पर जा रही टीम इंडिया के 15 सदस्यीय दल में चहल को रखा गया और 11 जून 2016 को हरारे में युजवेंद्र ने अपना पहला मैच खेला। इसी श्रृंखला के दूसरे मैच में उन्हें तीन विकेट मिले। इंटरनेशनल क्रिकेट में पहली बार इस शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। इसी दौरे पर उन्हें इंटरनेशनल टी-20 क्रिकेट में भी पहली बार मौका मिला, युजवेंद्र की गेंद पर बल्लेबाजों का परेशान होना दिखाई दे रहा था और अब टीम इंडिया को एक अच्छा लेग स्पिनर मिल गया था, जिसका स्थान लगभग पक्का हो गया। इसके बाद साल 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ 20-20 मैच में युजवेंद्र ने 6 विकेट झटक लिए और टी20 क्रिकेट के अंतर्राष्ट्रीय इतिहास में यह कारनामा करने वाले वो पहले लेग स्पिनर बने।
साथी क्रिकेटरों से लेकर सोशल मीडिया में भी हैं फेमस
चहल रन बनाने से ज्यादा मैदान पर बल्लेबाजों को आउट करने पर ज़ोर देते हैं। कई क्रिकेटरों के साथ चहल की दोस्ती चर्चाओं में रहती है जैसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मिशेल स्टॉर्क के साथ उनकी दोस्ती खूब जमती है तो टीम इंडिया के चाइनामैन कुलदीप यादव के साथ मिलकर भी वो खूब धमाल मचाते हैं। चहल मैच के दौरान भी कोहली और धोनी को भैया कहकर बुलाते हैं, वो एक इंटरव्यू में दोनों की जमकर तारीफ भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं वो वेस्टइंडीज़ के धाकड़ क्रिकेटर क्रिस गेल को हमेशा चाचा के नाम से बुलाते हैं। टीम के खिलाड़ियों के बीच उनका मस्तमौला अंदाज़ चर्चाओं में रहता है। शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद की तरह बनने का सपना तो पूरा नहीं हुआ लेकिन चहल ने खुद के नाम को अब काफी बड़ा बना लिया है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले युजवेंद्र चहल लगातार कई बातों को लेकर ट्वीटर पर ट्वीट करते रहते हैं। एक बार तो उनके दुबले होने को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर ट्रोल कर दिया था। युजवेंद्र चहल पर चयनकर्ताओं को पूरा भरोसा है और आने वाले दिनों में भी उसे क्रिकेट में मौका मिलता रहेगा। वर्ल्ड कप 2019 की टीम में भी चहल की भूमिका हो सकती है क्योंकि कोच और कप्तान दोनों चहल के प्रदर्शन से काफी खुश हैं। युजवेंद्र चहल को खुद के लिए रास्ता बनाना आता है, 2018 के दूसरे महीने में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर दूसरे वनडे में चहल ने 5 विकेट झटके और इसी के साथ चहल ने एक और रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। वो साउथ अफ्रीका की धरती पर दुनिया के किसी भी स्पिन गेंदबाज का दूसरी बार बेहतरीन प्रदर्शन है।
युजवेंद्र चहल में अभी क्रिकेट की अपार संभावनाएं हैं। कड़ी मेहनत और लगन ने चहल के नाम को अब युवाओं में चर्चित बना दिया है। चहल को भविष्य के लिए वन इंडिया हिंदी की तरफ से ढेरों शुभकामनाएं।