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इन IAS-IPS जोड़े ने शहीद की बेटी को गोद लेकर पेश की इंसानियत की मिसाल
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक मई को शहीद हुए जवान की बेटी को हिमाचल के एक दंपती ने गोद लेने का फैसला किया है।
कहते है ना जख्म कितना ही गहरा क्यों न हो अगर मरहम लगाने कोई आए तो उस मरहम के पीछे छिपे हुए प्यार की भावना से ही उस जख्म का दर्द गायब हो जाता है। ऐसा ही मरहम का काम किया है हिमाचल के एक आईएएस और आईपीएस दम्पति ने जिन्होंने जम्मू कश्मीर के पुंछ में शहीद हुए एक सैनिक की बेटी को गोद लेना का फैसला किया है। ऐसा करके इस दम्पति ने देश और समाज के सामने एक मानवीय मिसाल पेश की है।
आज इस आर्टिकल के जरिए "बोल्डस्काई टीम" शहीद नायाब सूबेदार परमजीत सिंह की शहादत और आईएएस और आईपीएस दम्पति डिप्टी कमिश्नर यूनुस खान और आईपीएस ऑफिसर पत्नी अंजुम आरा के इंंसानियत के इस जज्बे को सलाम करता है। जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समाज और देश के समक्ष एक मिसाल पेश की है।
पढ़ाई से लेकर शादी तक का खर्चा उठाएंगे
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक मई को शहीद हुए और पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता का शिकार हुए नायाब सूबेदार परमजीत सिंह की बेटी को हिमाचल के एक दंपती ने गोद लेने का फैसला किया है। इस आईएएस-आईपीएस दंपती ने फैसला लिया है वो शहीद जवान की 12 साल की बेटी की पढ़ाई से लेकर शादी तक का खर्च उठाएंगे, ताकि उसका भविष्य संवर सके। नायब सूबेदार परमजीत सिंह के शहादत को श्रद्धांजलि के रूप में कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर यूनुस खान और आईपीएस ऑफिसर पत्नी अंजुम आरा ने फैसला लिया कि वह शहीद की बेटी खुशदीप कौर की जिम्मेदारी उठाएंगे।
परिवार के साथ ही रहेगी खुशदीप कौर
हिमाचल के सोलन जिले की एसपी आरा ने बताया कि खुशदीप कौर अपने परिवार के साथ गांव में ही रहेंगी। उसका सारा खर्च यह दंपती उठाएगा और समय समय पर शहीद की बेटी से मुलाकात भी करता रहेगा। आरा ने कहा कि अगर वह आईएएस या आईपीएस बनना चाहती है या किसी भी अन्य क्षेत्र में जाना चाहेगी तो हम उसकी पूरी सहायता करेंगे। यूनुस खान ने कहा कि शहीद के परिवार के दर्द को कम करना तो मुश्किल है लेकिन उनके दुख को बांट जरूर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शहीद जवान की बेटी को अच्छी शिक्षा देकर हम एक नागरिक होने का फर्ज निभा रहे हैं। यूनुस ने कहा कि यह खुशदीप पर निर्भर करता है कि वह गांव में रहकर पढ़ाई करना चाहती है या किसी और स्कूल जाना चाहती है। उन्होंने कहा कि वह हर फैसले में उसके साथ हैं।
बॉर्डर पर हुए थे शहीद
1 मई को पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) रॉकेट और मोर्टार के भारी हमलों की आड़ में जम्मू कश्मीर में निंयत्रण रेखा से पुंछ सेक्टर में 250 मीटर तक घुस आई थी। पाकिस्तानी सैनिकों ने दो जवानों के सिर काट लिये थे। जिसमें से एक परमजीत सिंह थे।