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दूध के दांत निकलते समय ये होती हे समस्याएं और ऐसे दिलाए उन्हें आराम
आमतौर पर बच्चों के दूध के दांत छह से आठ महीनों के आसपास निकलते है, जब बच्चों के दूध का दांत निकलते है, तो उस समय बच्चों को काफी परेशानी होती है। इस दौरान उन्हें काफी दर्द होता है जिससे वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। इस दौरान बच्चें के स्वास्थय पर भी काफी कुछ असर पड़ता है।
इस दौरान बच्चे को केवल दर्द ही नहीं होता है बल्कि कई अन्य समस्याएं भी होती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि दांत निकलते समय बच्चों को क्या क्या समस्या होती है और साथ ही दूध के दांत निकलते समय बच्चों की परेशानी किस तरह कम की जा सकती है।
मसूंडों
में
सूजन
6
महीनें
के
होने
के
बाद
जब
बच्चे
का
पहला
दांत
यानी
दूध
का
दांत
निकलता
है
तो
इस
वजह
से
मसूड़ों
में
सूजन
आ
जाती
है।
मसूड़ों
में
सूजन
के
साथ
साथ
मसूड़े
लाल
भी
हो
जाते
हैं।
कम
भूख
लगना
दांत
आने
के
दौरान
बच्चों
को
कम
भूख
लगती
है।
वास्तव
में
मसूड़ों
के
दर्द
की
वजह
से
उन्हें
खाने
में
परेशानी
होती
है।
इसलिए
पूरे
दिन
में
थोड़ा
थोड़ा
करके
बच्चों
को
खिलाएं।
सोने
में
परेशानी
बेशक
डॉक्टर
बच्चे
के
छह
महीने
का
होने
के
बाद
नींद
का
पैटर्न
नियमित
होने
की
बात
करते
हैं।
लेकिन
दांत
निकलने
के
दौरान
बच्चा
कई
बार
रात
में
जाग
जाता
है
और
रोना
शुरू
कर
देता
है।
जाहिर
है
मसूड़ों
के
दर्द
के
कारण
उसकी
नींद
हराम
हो
जाती
है।
डायरिया
इस
दौरान
मसूड़ों
में
दर्द
होने
की
वजह
से
बच्चा
कुछ
भी
चीज
उठाकर
मुंह
में
डाल
लेता
है।
जाहिर
है
इससे
उसके
मुंह
में
बैक्टीरिया
उसके
मुंह
में
जा
सकता
है
जिससे
इन्फेक्शन
का
खतरा
हो
सकता
है।
बुखार
इस
दौरान
बुखार
और
दस्त
जैसी
समस्याएं
हो
सकती
हैं।
कई
बार
इन्फेक्शन
के
कारण
बच्चे
को
हल्का
बुखार
हो
सकता
है
जो
कि
पेरासिटामोल
से
ठीक
हो
सकता
है।
चिड़चिड़ापन
आंखें
मसलना,
सिर
की
खरोंचना
आदि
चिड़चिड़ेपन
के
लक्षण
हैं
जो
कि
आपके
बच्चे
में
दांत
आने
के
समय
दिख
सकते
हैं।
हालांकि
शुरुआती
चरण
गुजरने
के
बाद
ये
लक्षण
ठीक
हो
जाते
हैं।
बच्चों
को
गाजर
खिलाएं
अगर
आपके
बच्चे
ने
ठोस
खाद्य
पदार्थ
खाने
शुरु
दिए
हैं,
तो
आप
उसे
ठंडी
गाजर
का
एक
टुकड़ा
दे
सकती
है।
इसके
ठंडे
तापमान
से
मसूड़ों
के
दर्द
में
राहत
मिलेगी
और
बच्चें
का
पेट
भी
भर
जाएगा।
पैरो
की
करें
मालिश
अपने
बच्चें
को
शांत
करने
के
लिए,
उसके
पैरों
की
मालिश
करें,
यह
बच्चों
को
शांत
करने
और
बेहतर
नींद
को
बढ़ावा
देने
में
मदद
कर
सकता
है।
विशेष
रुप
से
पैर
की
अंगुलियों
पर
मालिश
करें।