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जब दूध पिलाते वक़्त बच्चा लेने लगे हिचकी
जब कोई स्त्री माँ बनती है तो वह अपने नन्हे शिशु की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। वह उसकी हर छोटी बड़ी बात का ध्यान रखती है ताकि उसके बच्चे को कोई परेशानी न हो। कई बार वह उन चीज़ों पर भी घबराने लगती है जो बच्चों के लिए सामान्य मानी जाती है। उन्हीं में से एक होती है हिचकी। जी हाँ, कई बार देखा गया है कि बच्चों को बार बार हिचकी आती है ऐसे में बच्चे से ज़्यादा माँ को तकलीफ होने लगती है। साथ ही उसके मन में ढ़ेर सारे सवाल भी उठने लगते है जबकि बच्चों को हिचकी आना एक आम बात होती है।
आज हम अपने इस लेख में बच्चों की हिचकी से जुड़ी कुछ ख़ास जानकारी आपको देंगे। तो आइए जानते हैं क्या होता जब बच्चों को हिचकी आती है।
क्यों आती है बच्चों को हिचकी?
आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि बच्चे अपनी माँ की कोख में ही हिचकी लेना शुरू कर देते हैं। जैसे जैसे दिन गुज़रते है बच्चे अपनी माँ के गर्भ में तरह तरह की हरकतें करना शुरू कर देते हैं जैसे सांस लेना, घूमना आदि, ठीक इसी प्रकार ये हिचकियाँ भी लेने लगते हैं। गर्भावस्था में नौवें सप्ताह के दौरान बच्चे हिचकियाँ लेना आरंभ कर देते हैं।
कई लोगों का मानना है कि हिचकी तब आती है जब बच्चे को कोई याद कर रहा होता है तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना होता है कि बच्चे की आंत बढ़ने के कारण उसे हिचकी आती है। लेकिन अगर आपका नन्हा शिशु हिचकी ले रहा है तो आप बिल्कुल भी न घबराएं क्योंकि यह एकदम सामान्य बात है। जैसे बड़ों को हिचकी आती है ठीक वैसे ही बच्चों को भी आती है।
हालांकि बच्चों की हिचकी को लेकर कई सारे मत है, उन्हीं में से एक है कि बच्चे को हिचकी उसके डायफ्राम के संकुचन के कारण आती है। कहते हैं जब शिशु ज़्यादा आहार ग्रहण कर लेता है तो उसे हिचकियाँ आने लगती है।
इसके अलावा बोतल से दूध पीने वाले बच्चे दूध के साथ भारी मात्रा में वायु भी निगल लेते हैं, जिसके कारण उनका पेट फ़ैल जाता है और उनके डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है। दबाव के चलते डायाफ्राम में ऐंठन होती है और हिचकी आनी शुरू हो जाती है।
कई बार दूध पीने के बाद बच्चे हिचकी लेने लगते हैं और मुँह से थोड़ा दूध बाहर निकल जाता है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं होती है। बच्चों का पेट बहुत छोटा होता है ऐसे में ज़्यादा दूध पीने की वजह से ऐसा हो जाता है।
दूध पिलाते वक़्त अगर बच्चे को हिचकी आए
यदि आपके नन्हे शिशु को स्तनपान कराते वक़्त या फिर बोतल से दूध पिलाते वक़्त हिचकियाँ शुरू हो जाए तो फ़ौरन आप दूध पिलाना रोक दें। फिर बच्चे को डकार दिलाने की कोशिश करें ताकि उसके पेट में बनी गैस बाहर निकल जाए। डकार दिलाने के लिए आप अपने बच्चे को कंधे के बल रखकर उसकी पीठ को हल्के हाथों से सहलाएं। हो सकता है इसमें थोड़ा समय भी लगे लेकिन बच्चे को डकार आनी चाहिए। इससे उसे काफी राहत महसूस होगी, साथ ही उसकी हिचकियाँ भी अपने आप बंद हो जाएगी।
ध्यान रहे दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार ज़रूर दिलवाएं क्योंकि डकार बच्चे को अपना आहार पचाने में मदद करता है।
जब लगातार बच्चे को हिचकियाँ आने लगे
ज़रूरी नहीं है कि हर बार आपके बच्चे की हिचकी उसे डकार दिलाने पर ही रुक जाए इसे रोकने के कई अन्य तरीके भी हैं। अगर आपका बच्चा लगातार हिचिकियाँ ले रहा है तो आपको उसके दूध पिलाने के रूटीन में थोड़ा बदलाव लाना होगा। बच्चे को भर पेट दूध पिलाने की बजाय आप उसे थोड़ा मगर हर थोड़ी थोड़ी देर में दूध पिलाएं।
बच्चे को दूध पिलाते वक़्त रखें इन बातों का ध्यान
बोतल
से
दूध
पीने
वाले
बच्चों
को
हर
2
से
3
मिनट
पर
डकार
ज़रूर
दिलवाएं।
बच्चे
को
लेटा
कर
कभी
दूध
न
पिलाएं,
हमेशा
उसे
खड़ी
(अपराइट
पोजीशन)
अवस्था
में
ही
दूध
पिलाएं।
दूध
पिलाने
के
बाद
उसे
ज़्यादा
हिलाए
डुलाएँ
नहीं।
उसे
कम
से
कम
20
मिनट
तक
खड़ी
अवस्था
में
ही
रखें।
दूध
पिलाने
के
बाद
डकार
ज़रूर
दिलवाएं
और
तब
तक
हल्के
हाथों
से
उसकी
पीठ
सहलाएं
जब
तक
उसे
डकार
न
आ
जाए।
जब आपके बच्चे को हिचकी आने लगती है तो कई बार बच्चे की हिचकी रोकने के लिए दूसरे आपको ऐसे सुझाव देते हैं जो असलियत में आपके बच्चे के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। जैसे कुछ लोगों का मानना है कि शहद चटाने से या बच्चे के मुँह में हवा फूंक देने से हिचकी रुक जाती है लेकिन ये दोनों ही तरीके गलत हैं। इससे आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही उसे इन्फेक्शन का भी खतरा रहता है।
याद रखिये आपके बच्चे को हिचकी आने से कोई ख़ास परेशानी नहीं होती इसलिए आप भी ज़्यादा परेशान ना हों क्योंकि बच्चों को हिचकी आना एकदम सामान्य है लेकिन फिर भी आपके मन में किसी भी प्रकार की शंका हो तो बेहतर होगा आप अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।