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बच्चे के ज़्यादा रोने की वजह हो सकती है पर्पल क्राइंग
बच्चे रोते ही हैं इसमें को असामान्य बात नहीं है। हालांकि यदि आपका बच्चा लगातार रो रहा है और आप उसे शांत नहीं करा पा रहे हैं तो यह परेशानी वाली बात है। शुरुआत के तीन महीने बच्चे अधिक रोते ही हैं। ज़्यादातर समय बच्चा कब और क्यों रोता है यह पेरेंट्स भली भांति जानते हैं।
हर बच्चा अपने आप में अलग होता है। कई बच्चे तकरीबन एक घंटे तक रोते हैं तो वहीं कुछ बच्चे लगातार चार पांच घंटों तक रोते हैं। यदि बच्चा लगातार रो रहा है और आप उसे चुप नही करा पा रहे हैं तो यह स्थिति आपके लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है।
सबसे बड़ी बात जो ज़्यादातर पेरेंट्स गौर करना भूल जाते हैं वह है रोते समय बच्चे के चेहरे का हावभाव जो इस समय बिल्कुल अलग हो जाता है। फिर भी पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चे को चुप कराने की वो पूरी कोशिश करें और अगर फिर भी बच्चा चुप न हो तो इसमें झल्लाहट वाली कोई बात नहीं। यह भी एक चरण होता है जो गुज़र जाता है।
रोता हुआ बच्चा: क्या है नार्मल?
नवजात बच्चे कम से कम दो से तीन घंटे रोज़ाना रोते हैं उनके रोने के कई कारण हो सकते हैं जैसे भूख, प्यास, नींद, अकेलापन या फिर किसी प्रकार का कोई दर्द। आप गौर करेंगे कि जन्म के बाद पहले हफ्ते में अकसर बच्चा शाम के ही समय ज़्यादा उधम मचाता है। यह भी नार्मल है।
हालांकि, यदि आपका बच्चा लगातार असामान्य तरीके से रो रहा हो तो इसका मतलब है उसे सेहत से जुड़ी कोई समस्या है जो आप समझ नहीं पा रहे है। इस तरह की परिस्थिति में आपके लिए बेहतर होगा कि आप फ़ौरन डॉक्टर को इस बात की जानकारी दें और उनसे उचित सलाह लें।
बच्चे के रोने के यह हो सकते हैं कारण
1.
बच्चे
के
रोने
का
सबसे
आम
कारण
भूख
हो
सकता
है।
2.
दूध
पीने
के
बाद
भी
यदि
बच्चा
रोता
है
तो
इसका
मतलब
उसे
डकार
की
ज़रुरत
है।
3.
कोलिक
की
समस्या
के
कारण
भी
बच्चा
ज़्यादा
रोता
है।
4.
जब
बच्चा
गोद
में
आना
चाहता
हो।
5.
जब
बच्चा
बहुत
ज़्यादा
थका
हुआ
हो
और
वह
सोना
चाहता
हो।
6.
अगर
बच्चे
को
ज़्यादा
गर्मी
या
ज़्यादा
ठंड
लगती
है
तब
भी
बच्चा
रोता
है।
7.
जब
बच्चे
का
डायपर
गीला
हो।
8.
बच्चा
जब
स्वस्थ
न
हो
तब
भी
वह
रोता
है।
कोलिक क्या है?
पहले दो महीने में इस समस्या से लगभग सभी बच्चे जूझते हैं। यह शिशुओं में एक आम समस्या है। इसमें बच्चा अत्यधिक तब रोता है जब पेट में दर्द की परेशानी होती है। यदि आपका बच्चा स्वस्थ, एक्टिव और खुश लगे फिर भी वह बुरी तरीके से रोता हो तो फिर यह संकेत कोलिक की तरफ इशारा करता है।
कोलिक के मुख्य लक्षण है जब बच्चा ज़ोर ज़ोर से लगातार रोता है, ठीक से सोता नहीं, ठीक से दूध नहीं पीता, मुट्ठी को जकड़ना और घुटने उठाना आदि।
कोलिक का कारण?
हालांकि इसका सही कारण अभी तक एक रहस्य बना हुआ है। यह अपच और हवा से जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ है कि बच्चे की आंत ब्रेस्ट मिल्क और फार्मूला मिल्क में कुछ पदर्थों के लिए बहुत ही सेंसिटिव है। जिन बच्चों की माताएं गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करती हैं उन बच्चों को कोलिक होने की सम्भावना ज़्यादा होती है।
पर्पल क्राइंग क्या है?
शिशु
विशेषज्ञ
रोनाल्ड
बर्र
के
अनुसार
पर्पल
क्राइंग
में
बच्चा
लगातार
रोता
है
या
फिर
उसे
कोलिक
की
समस्या
होती
है।
पर्पल
क्राइंग
यह
बताता
है
कि
यह
सिर्फ
एक
चरण
है
जिससे
बहुत
से
बच्चों
को
गुज़रना
पड़ता
है।
दरअसल
पर्पल
अक्षर
का
अर्थ
परसिस्टेंट
क्राइंग
से
जुड़ा
हुआ
है।
पी:
पीक
ऑफ़
क्राइंग-
इसका
अर्थ
है
कि
जब
बच्चा
दो
महीने
के
आस
पास
तक
ज़्यादा
रोता
है
लेकिन
तीन
महीने
के
बाद
बच्चे
का
रोना
कम
हो
जाता
है।
यु:
अनएक्सपेक्टेड
क्राइंग-
जब
पेरेंट्स
को
बच्चे
के
रोने
का
कारण
पता
नहीं
चल
पाता
और
बच्चे
को
शांत
कराना
मुश्किल
हो
जाता
है।
आर:
रिज़िस्ट
सूदिंग-
कोई
फर्क
नहीं
पड़ता
आप
क्या
कर
रहे
हैं।
बच्चे
को
सहज
महसूस
नहीं
करा
सकते।
पी:
पेन-लाइक-फेस-
जब
बच्चा
दर्द
में
प्रतीत
होता
है।
एल:
लॉन्ग
लास्टिंग-
जब
बच्चा
घंटों
तक
रोता
रहता
है
ख़ास
तौर
पर
शाम
के
समय।
इ:
बच्चा
दोपहर
बाद
या
फिर
शाम
को
रोना
शुरू
करता
है।
पर्पल क्राइंग की अवधि बच्चे के जीवन के एक विशेष चरण से जुड़ा हुआ है। यह बच्चे के विकास में एक सामान्य कारक है।
कोलिक न तो कोई बीमारी है और न ही बच्चे के विकास में कोई बाधा फिर भी कई पेरेंट्स इसे लेकर चिंतित रहते हैं। ख़ास तौर पर तब जब डॉक्टरी इलाज का सुझाव दे। कोलिक किसी असामान्य विकास से नहीं जुड़ा हुआ है। पर्पल क्राइंग आमतौर पर दो हफ्ते के बच्चों को होता है जो चार महीने तक रहता है। इस दौरान बच्चे बहुत ज़्यादा रोते हैं।
पर्पल क्राइंग की अवधि को कैसे संभाले
माता पिता होने के नाते आप इन उपायों से पर्पल क्राइंग की अवधि में अपने बच्चे को संभाल सकते हैं।
बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश करें। कई बार सहजता से दूध पीने के कारण बच्चा शांत हो जाता है।
दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार ज़रूर दिलवाएं।
बच्चे को गुनगुने पानी से ही नहलाएं।
बच्चे के पीठ, कंधे और पैरों में हल्की मालिश करें।
बच्चे को प्यार और दुलार से पुचकारे उसे शांत कराने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है।
बच्चे को कार में बैठकर सैर पर ले जाएं। इससे बच्चे को नींद आ जाएगी।
बच्चे की आँखों में आँखें डालकर न देखें। इससे बच्चा विचलित हो सकता है। जब भी बच्चे की ओर देखें बिल्कुल प्यार से।
याद रखिए कोलिक से बहुत सारे बच्चों को गुज़रना पड़ता है और इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं होती अगर आपको लगता है कि यह हद से ज़्यादा बढ़ गया है तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लीजिए।