Just In
- 32 min ago प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज होना नॉर्मल है या मिसकैरेज की तरफ इशारा, जानें यहां
- 1 hr ago सफेद कपड़ों पर पड़ गए है पीले दाग, तो लांड्री में बेकिंग सोडा का यूं करें इस्तेमाल
- 2 hrs ago DIY Mosquito Repellent : मच्छरों के काटने से बच्चे का हो गया बुरा हाल, बचाने के लिए करें ये काम
- 3 hrs ago चेहरे का आकार बता सकता है कैसे इंसान हैं आप, यकीन नहीं होता तो ये टेस्ट आजमाकर देख लें
Don't Miss
- Movies 45 साल पहले रिलीज़ हुई फ़िल्म, 1 करोड़ में बनकर कमाई 7 करोड़, डायरेक्टर के बंगले में हुई थी शूट
- News Rajasthan Voting: दूसरे चरण की वोटिंग में भी खुल सकेगा कांग्रेस का खाता, BJP का मिशन-25 फेल
- Finance Bank holiday for Lok Sabha Election 2024: क्या 26 अप्रैल को इन राज्यों में बंद रहेंगे बैंक? देखें ये लिस्ट
- Technology Infnix Note 40 Pro 5G पर शुरू हुई सेल, भारी छूट के साथ घर ले आए फोन
- Automobiles भारत में लॉन्च हुई 2024 Jeep Wrangler Facelift, शानदार डिजाइन और धांसू फीचर्स से है लैस, जानें कीमत?
- Education MP Board Sehore Toppers List 2024: सीहोर जिले के 10वीं, 12वीं के टॉपर छात्रों की सूची
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
क्या आपके शिशु की नाभि बाहर निकल गयी है?
गर्भावस्था में माँ और बच्चे का शारीरिक और भावनात्मक लगाव गर्भनाल से जुड़ा होता है क्योंकि गर्भनाल ही माँ और बच्चे दोनों को एक साथ जोड़े रहता है। इसके अलावा यह बच्चे तक ज़रूरी पोषक तत्व भी पहुंचता है। हालांकि, आप यह जानकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि बढ़ते हुए बच्चों में जो सबसे आम परेशानी होती है वह गर्भनाल से ही जुड़ी हुई है। अगर साफ़ तौर पर बात की जाए तो यह अवस्था बच्चे के नाभि से जुड़ा हुआ है या फिर गर्भनाल का वह हिस्सा जो शरीर के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है।
इस समस्या को अम्बिलिकल हर्निया कहते हैं जिसमें बच्चे की नाभि काफी उठी हुई होती है। कई पेरेंट्स इसे समझ नहीं पाते और घबरा कर सोचने लगते हैं कि इस समस्या का समाधान केवल सर्जरी से हो सकता है। हालांकि यह बिल्कुल भी सच नहीं है। अम्बिलिकल हर्निया नवजात शिशुओं में होने वाली एक आम समस्या है। इस विषय में विस्तार से समझाने के लिए हम आपको अम्बिलिकल हर्निया से जुड़ी कुछ खास जानकारी इस आर्टिकल के द्वारा देंगे। तो आइए जानते हैं अम्बिलिकल हर्निया के बारे में।
बच्चों में गर्भनाल की देखभाल
बच्चे के जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल में चिमटी लगाकर उसके नाल को काट दिया जाता है। चूंकि नाल में कोई नस नही होती इसलिए बच्चे को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता। बच्चे के पेट पर नाल का जो हिस्सा जुड़ा रह जाता है उसे स्टंप यानी ठूँठ कहते हैं और उस पर चिमटी लगी रहती है। यह ठूँठ दो से तीन सेंटीमीटर लंबी होती है और अपने आप ही सूख कर गिर जाती है। हालांकि, इस दौरान साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि बच्चे को किसी तरह का इन्फेक्शन न हो।
इसके लिए आप अम्बिलिकल स्टंप को बिल्कुल सूखा रखें और डायपर को भी ऊपर से मोड़कर पहनाएं। इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि बच्चे का पेशाब उस पर लगने ना पाए। बच्चे का शरीर ख़ास तौर पर अम्बिलिकल स्टंप वाले स्थान को ज़्यादातर खुला रखें। इसके लिए आप बच्चे को ढीले ढाले कुर्ते के साथ डायपर पहना सकती हैं। भूलकर भी बच्चे को टाइट कपड़े पहनाकर लपेटे नहीं। बेहतर होगा शुरूआती दिनों में आप बच्चे को टब में न नहलाएं। नहलाने के लिए आप स्पंज का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस तरह से सावधानी बरत कर आप अपने बच्चे को खुशहाल और स्वस्थ जीवन दे सकती हैं।
अम्बिलिकल हर्निया क्या है?
अम्बिलिकल हर्निया बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है। आम तौर पर बच्चों में यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। बच्चों के मामले में यह समझना बेहद ज़रूरी है कि उनका शरीर अभी तक पूरा विकसित नहीं हुआ है और हर्निया तब उभरने लगता है जब उनका कोई आंतरिक अंग पेट में कमज़ोर हिस्से पर दबाव बनाने लगता है। यह बम्प या लम्प की तरह दिखाई देने लगता है।
सबसे आम हर्निया जो बच्चों में पाया जाता है वह अम्बिलिकल हर्निया होता है। इस स्थिति में बच्चा जब रोता है या फिर दर्द में होता है तो उसकी नाभि बाहर की तरफ आ जाती है। सामान्य परिस्थिति में नाभि अपनी जगह पर ही होती है जहां उसे होना चाहिए। करीब दस प्रतिशत बच्चे जन्म के बाद शुरूआती दिनों में अम्बिलिकल हर्निया का शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में इसमें उपचार की ज़रुरत ही नहीं पड़ती क्योंकि धीरे धीरे यह अपने आप ही ठीक हो जाता है।
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
वह हिस्सा जहां बच्चे का धड़ उसके जांघों से मिलता है वहां अकसर पेरेंट्स को गाँठ दिखाई पड़ती है। इस तरह की गाँठ या तो मुलायम हो सकती है या तो बहुत ही सख्त। यदि आपको ऐसा कुछ भी दिखाई पड़े तो फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें इसके बारे में जानकारी दें।
हालांकि, इसमें ज़्यादा डरने वाली बात नहीं होती फिर भी अगर समय पर आप अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी दे देंगे तो वे इसका परिक्षण कर आपको बता पाएंगे कि यह किसी अन्य समस्या का लक्षण तो नहीं। अम्बिलिकल हर्निया दर्दनाक नहीं होता। यदि आप अपने नन्हे शिशु को दर्द से तड़पता हुआ पाएं तो तुरंत उसे अपने नज़दीकी अस्पताल में ले जाएं। इस तरह का दर्द इस बात की और इशारा कर सकता है कि बच्चे की आंत में मरोड़ हो रही है और अगर वक़्त रहते इसका इलाज न कराया गया तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
अम्बिलिकल हर्निया का इलाज कैसे करें?
याद रखिये अम्बिलिकल हर्निया के बारे में बच्चे में इसके लक्षणों को देखकर ही पता लगाया जा सकता है। कुछ मामलों में अगर हर्निया सख्त हो और न हटता हो या फिर डॉक्टर को किसी बात का शक हो तो ऐसे में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड या फिर बच्चे के पेट का एक्स रे कर सकते हैं। हालांकि अच्छी बात यह है कि कई मामलों में इसे इलाज की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, न दवा की और न ही किसी सर्जरी की। अगर इसका उपचार न भी किया जाए तो यह समय के साथ जब आपका बच्चा लगभग एक वर्ष का हो जाए तब यह ठीक हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि तब तक बच्चे के पेट की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं और उनके आंतरिक अंग बाहर की तरफ दबाव नहीं बनाते।
वहीं कुछ मामलों में जब बच्चे को इससे राहत नहीं मिलती तो इसका उपचार ज़रूरी हो जाता है इसलिए अल्ट्रासाउंड और एक्स रे ज़रूरी होता है। आम तौर पर जब तक बच्चा चार से पांच वर्ष का नहीं हो जाता, डॉक्टर्स सर्जरी नहीं करते।
इस प्रकार हर्निया के विषय में विस्तार से जानने के बाद हम उम्मीद करते हैं कि आपने राहत की सांस ली होगी। साथ ही आप यह भी समझ गए होंगे कि कब आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेने की ज़रुरत है ताकि आपके नन्हे शिशु को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। याद रखिये सावधानी और सही देखभाल से आप अपने बच्चे को एक स्वस्थ्य और बेहतर जीवन दे सकते हैं।