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World Breastfeeding Week 2021: स्तनपान या फार्मूला मिल्क, जानें शिशु के लिए क्या है बेहतर?
स्तनपान करवाना मांओं के लिए बहुत ही खूबसूरत अहसास होता है। कई बार दूध न बनने की स्थिति में मांओं को बच्चों को ऊपरी दूध देना पड़ता है। जिसे हम फॉर्मूला मिल्क भी कहते है। अक्सर मांओं के मन में ये सवाल होता है कि बच्चों को फॉर्मूला मिल्क देना सेहत के लिए सही है या नहीं। हालांकि मां का दूध और फॉर्मूला मिल्क दोनों ही बच्चों के लिए सुरक्षित होता है। लेकिन कौन सा दूध कितना पौष्टिक होता है, ये जानना जरुरी है। हालांकि फॉर्मूला मिल्क की मां के दूध से तुलना करना सही नहीं है। फिर भी आइए यहां जानते है दोनों ही मिल्क पैटर्न में क्या अंतर है और कौनसा दूध बच्चें के लिए ज्यादा पौष्टिक है।
ब्रेस्ट मिल्क के फायदे
गर्भावस्था के दौरान ही मां के स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है। मां जितना संतुलित आहार लेती हैं, उनके स्तनों में उतना ही ज्यादा दूध बनता है। ब्रेस्ट मिल्क में बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने की क्षमता होती है। जो कि दूसरे दूध में कभी नहीं मिल सकती है। मां जब बच्चे को स्तन से लगाती है तो ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन के कारण स्तनों से दूध बाहर आता है, जिससे मां-बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी विकसित होता है।
फॉर्मूला मिल्क क्या है?
फॉर्मूला मिल्क, एक प्रकार का कृत्रिम दूध का पाउडर होता है, जिसमें कई तरह के रासायनिक अवयव मिले होते हैं। ऐसी कई सारी मां हैं जिन्हें पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क बन नहीं पाता है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें फॉर्मूला मिल्क का सहारा लेना पड़ता है। फार्मूला मिल्क एक बच्चे के शरीर को सभी पोषक तत्व नहीं मिल सकते हैं, जोकि मां के दूध से मिलता है। ज्यादा जरूरत होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही बच्चे को फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए।
ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क?
शिशु के लिए ब्रेस्ट मिल्क सही है या फॉर्मूला मिल्क, इस बारे में कोई दोराय नहीं है कि मां का दूध बच्चें के लिए अमृत समान होता है। ब्रेस्टमिल्क सिर्फ एक आहार नहीं है, ये बच्चें के लिए रक्षा कवच बनकर काम करता है। स्तनपान कराने से शिशु में अचानक होने वाली मुत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) के खतरे को कम करता है। वहीं बात करें अगर फॉर्मूला मिल्क की तो उसमें ऐसे कोई खास बात नहीं होती है बल्कि इससे बच्चों को कोई खास पोषण भी नहीं मिलता है। मां का दूध बच्चे के शरीर में इम्यून सिस्टम विकसित करने का काम करता है। इससे बच्चे को अस्थमा, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, ल्यूकोमिया, लिम्फोमा जैसी बीमारियों के होने के रिस्क को कम करता है। जबकि, फार्मूला मिल्क एक बच्चे को संक्रमण और बीमारी के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता है जो कि मां की दूध से मिलता है।
स्वाद में अंतर
ब्रेस्टफीड कराने वाली मांओं को एक दिन में तीन सौ से पांच सौ तक एक्स्ट्रा कैलोरीज चाहिए होती है। जिनकी आपूर्ति अलग-अलग संतुलित खाद्य पदार्थों से होती है। इस तरह शिशु भी अपनी मां के दूध के जरिए अलग-अलग तरह के स्वाद को पहचानने लगता है। स्तनपान करने वाले बच्चें आगे चलकर जल्दी खाने में ठोस पदार्थ को स्वीकार करते है।
बच्चें होते है तेज
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि स्तनपान करने वाले बच्चों का आईक्यू उन बच्चों की तुलना में थोड़ा अधिक था, जिन्हें फार्मूला मिल्क दिया गया था।
मां का दूध है अनमोल
फॉर्मूला मिल्क आपको महंगा पड़ सकता है। पाउडर फार्मूला की तुलना में 'रेडी टू फीड' फॉर्मूला बहुत महंगा होता है। इसके अलावा विशेष फॉर्मूला वाला मिल्क भी मिलता है वो और भी महंगा आता है। बाजार से खरीदकर बच्चों को फॉर्मूला दूध देना महंगा पड़ जाता है। इसके अलावा मां का दूध में एक प्रतिशत भी खर्चा नहीं होता है। जबकि फॉर्मूला दूध की कीमत तेजी से बढ़ जाती है।