Just In
- 1 hr ago क्रॉच एरिया के फंगल इंफेक्शन की वजह हो सकता है आपका गंदा अंडरवियर, Jock Itching से बचने के लिए करें ये काम
- 3 hrs ago Save Earth Rangoli Design : इन रंगोली डिजाइन से दें पृथ्वी बचाओ का संदेश, यहां से लें आइडिया
- 5 hrs ago Pickle in Diabetes : डायबिटीज में आम का अचार खा सकते है या नहीं? इस सवाल का जवाब जानें
- 6 hrs ago गर्मी में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर किसी को पसंद आएगी मैंगो स्टफ्ड मलाई कुल्फी, यह रही रेसिपी
Don't Miss
- News UP Board Result 2024 Live: 12वीं में सीतापुर के शुभम वर्मा ने किया टॉप, टॉप 10 छात्रों की लिस्ट
- Education यूपी बोर्ड 10वीं टॉपर्स लिस्ट 2024 जारी, प्राची निगम ने किया हाई स्कूल में टॉप, डाउनलोड करें PDF
- Movies जब सुष्मिता सेन के कारण सपना चौधरी के घर पर मचा था बवाल, किस्सा जान हो जाएंगे हैरान
- Technology एलन मस्क ने क्यों स्थगित किया भारत दौरा
- Finance फिक्स डिपॉजिट में सीनियर सिटीजन को 5 वर्षों में मिलेगा जबरदस्त रिटर्न, जानिए कितना होगा फायदा
- Automobiles Bajaj Chetak इलेक्ट्रिक स्कूटर का किफायती वेरिएंट जल्द होगा लॉन्च, जानिए कितनी होगी कीमत?
- Travel 5 शहर जो जुझ रहे हैं अत्यधिक भीड़ की समस्या से, अभी ड्रॉप कर दें यहां घूमने जाने का प्लान
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
नवजात शिशु को पहली बार बुखार चढ़ने पर क्या करना चाहिए?
सच कहा जाए तो माता पिता बनना दुनिया का सबसे अलग एहसास है। ये एक रोमांचकारी यात्रा है जहां उतार और चढ़ाव दोनों होते हैं। गर्भ में बच्चे की पहली हलचल महसूस करने से लेकर उसकी नन्ही उंगलियों की छुअन ही खास होती है। एक के बाद एक इस तरह के अनुभव मिलने से बच्चे की परवरिश का ये सफर मजेदार बना रहता है।
नौ महीने गर्भधारण करने के दौरान हर महिला मानसिक और शारीरिक रूप से अलग अलग बदलावों से गुजरती है। प्रेगनेंसी के दौर के बाद जब बच्चा बीमार पड़ता है तब वो समय भी पेरेंट्स के लिए किसी परीक्षा की घड़ी से कम नहीं होता है। अपने बच्चे को बीमार देखना किसी भी मां बाप के लिए सबसे मुश्किल पल होता है। अपने बेबी को बीमार देखकर खासतौर से पहली बार उसे बुखार होने पर घबराने की जगह आपको सजगता से काम लेने की जरूरत है। आपको ये पता होना चाहिए इस स्थिति में आपको क्या करना है।
बच्चे का बुखार चेक करें
अपने हथेली की उलटी तरफ से बच्चे का माथा छुएं अगर आपको गर्माहट महसूस होती है तो थर्मामीटर से तापमान नापने की जरूरत है। बच्चे पर निगरानी रखें और दूसरे संकेतों को जानने का प्रयास करें, जैसे बच्चे का अलग बर्ताव, रोना, चिड़चिड़ापन, थकावट आदि।
सही थर्मामीटर का करें इस्तेमाल
अगर आपका बच्चा 3 महीने से छोटा है और उसका टेम्परेचर 100.4 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा है तो आपको बिना किसी देरी के उसे बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत है। नवजात शिशु की स्थिति में आपको रेक्टल थर्मामीटर का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके ईयर कैनल सही तापमान बताने के लिहाज से काफी नाजुक और छोटे होते हैं।
आप इस बात का ध्यान रखें कि रेक्टल थर्मामीटर को गुनगुने और साबुन वाले पानी से धोने के बाद ही इस्तेमाल प्रयोग में लाएं। सही रीडिंग पाने के लिए एक मिनट का इंतजार करें।
आप लगा सकते हैं सही अनुमान
अगर शिशु का तापमान बुखार कहलाने जितना नहीं हुआ है तो भी आपको बच्चे की हरकतों और संकेतों को ऑब्ज़र्व करना चाहिए। बच्चे को पहली बार बुखार होने से आप घबरा सकते हैं लेकिन आपको उन लक्षणों की तरफ गौर करने की जरूरत है। उस दौरान बच्चे में हो रहे बदलाव, नींद ना ले पाना, उल्टी होना, ढंग से ना रो पाना, त्वचा पर रैशेज आदि पर ध्यान दें।
क्या करें
अगर आपके बच्चे को बुखार है तो इस स्थिति में डॉक्टर से बात करना ही सही रहता है। इमरजेंसी की स्थिति में छोटे बच्चों को दी जाने वाली एसिटामिनोफेन घर पर रखें। ये दवा सिर्फ छह महीने और उससे ऊपर के बच्चों को देने की सलाह दी जाती है। बच्चे को सही मात्रा में ही डोज दें और इसे अपने मन से बढ़ाने की भूल ना करें।