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पुरुषों के लिए 3 आयुर्वेदिक गर्भनिरोधक
अधिकतर पुरुष नसबंदी जैसे तरीकों को इसलिए नहीं अपनाते हैं कि कहीं उनकी ‘मर्दानगी’ इससे प्रभावित ना हो जाये। वे इन इलाजों की स्थिरता से डरते हैं।
यह 2017 है और बढ़ती जनसंख्या का विस्फोट एक चिंता का विषय है। आज हमारे पास इस समस्या के समाधान के लिए परिवार नियोजन के जटिल तरीके हैं, अभी तक महिलाओं को ही जन्म नियंत्रण के उपाय अपनाते पड़ते हैं जब कि प्रिग्नेंसी के लिए पति-पत्नी दोनों जिम्मेदार होते हैं।
अधिकतर पुरुष नसबंदी जैसे तरीकों को इसलिए नहीं अपनाते हैं कि कहीं उनकी 'मर्दानगी’ इससे प्रभावित ना हो जाये। वे इन इलाजों की स्थिरता से डरते हैं।
इसलिए
महिलाओं
के
पास
कोई
विकल्प
नहीं
होता
और
उन्हें
गर्भनिरोधक
गोलियां,
शुक्राणुनाशक,
इंटरा-यूट्रीन
डिवाइस
और
नसबंदी
जैसे
उपाय
अपनाने
पड़ते
हैं
जिनके
साइड
इफेक्ट
खतरनाक
हैं।
यदि पुरुष और महिला इसकी समान ज़िम्मेदारी लें, तो किसी को भी जबरन कोई गलत तरीका नहीं अपनाना पड़ेगा और कोई गलत साइड इफेक्ट नहीं होगा।
आयुर्वेद में इसका समाधान है। इस पौराणिक सिस्टम में इलाज और स्वस्थ रखने की क्षमता के साथ ही अनचाहे गर्भ को रोकने के प्रभावी उपाय हैं, जिनके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं और ये शरीर के अनुसार हैं। ये औषधियाँ आसानी से और बिना किसी खर्चे के तैयार की जा सकती हैं।
इसके
साथ
ही
आयुर्वेद
में
महिलाओं
के
साथ
ही
पुरुषों
के
लिए
भी
अलग
से
गर्भनिरोधक
तरीके
बताए
गए
हैं।
चूंकि
इन
औषधियों
का
प्रभाव
प्रतिवर्ती
है,
इसलिए
पुरुष
निश्चिंत
हो
सकते
हैं
कि
इससे
कोई
स्थिर
नुकसान
नहीं
होगा
और
साथ
ही
उनकी
मर्दानगी
व
प्रजनन
क्षमता
पर
कोई
प्रभाव
नहीं
पड़ेगा।
आइये
देखें
पुरुषों
के
लिए
हर्बल
गर्भनिरोधक
उपाय...
तुलसी विधि: पवित्र बेसिल यानि तुलसी एक जानी मानी पवित्र औषधि है जिसे कई दवाइयों में काम लिया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी को पुरुषों के गर्भनिरोधक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। केवल 2 ग्राम तुलसी की पत्तियाँ शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गतिशीलता को कम कर देती हैं।
हालांकि आयुर्वेद ने तुलसी को लंबे समय से गर्भनिरोधक कहा है, लेकिन विज्ञान ने हाल ही में इसके शुक्राणुनाशक प्रभाव की खोज की है। 2010 में हुई एक स्टडी के अनुसार, चूहों को एक महीने के लिए तुलसी खिलाई गई इससे उनकी प्रजनन क्षमता में कमी हुई।
आर्क विधि: क्राउन फ्लावर दक्षिणी एशिया की देशी झाड़ी है। तुलसी की तरह हिंदुओं में इसका भी धार्मिक महत्व है और कहा जाता है कि यह भगवान शिव का पसंदीदा फूल है।
संस्कृत
में
इसे
आर्क
के
नाम
से
जाना
जाता
है
और
एंटीस्पेर्मेटोजेनिक
(शुक्राणुनाशक)
गतिविधि
के
कारण
खास
महत्व
रखता
है।
लेकिन
ध्यान
रखें,
आर्क
एक
जहरीला
पौधा
है।
इसलिए
इसके
इस्तेमाल
से
पहले
अपने
डॉक्टर
से
सलाह
ज़रूर
कर
लें।
हल्दी विधि: एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल होने के साथ ही यह एंटी-फर्टिलिटी भी है। हरिद्रा या हल्दी पुरुषों के लिए एक गर्भनिरोधक है।
2011 में हुई स्टडी में, मानव शुक्राणु कोशिकाओं को करक्यूमिन (हल्दी में मौजूद तत्व) में रखा गाया और पाया गया कि उन शुक्राणुओं की गतिशीलता बहुत हद तक हम हुई।