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क्या प्रेगनेंट होते हुए भी आप दोबारा हो सकती हैं प्रेगनेंट?
कहते हैं स्त्री जब माँ बनती है तो वह पूर्ण मानी जाती है इसलिए माँ बनना हर एक औरत का सपना होता है। लेकिन आज के इस बदलते दौर में महिलाएं अपने करियर को ज़्यादा प्राथमिकता देती है और अपने माँ बनने का एक उचित समय निर्धारित कर लेती है। कई बार सावधानियां बरतने के बावजूद भी कुछ महिलाएं गर्भधारण कर लेती हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं को गर्भधारण करने में कई तरह की दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है ऐसा इसलिए है क्योंकि हर महिला का प्रजनन स्तर अलग होता है।
लेकिन कई बार कुछ गर्भधारण स्त्री के शरीर और प्रकृति के नियमों के विरुद्ध चले जाते हैं। जब कोई महिला गर्भवती हो जाती है, तो शरीर उसकी गर्भावस्था को सुरक्षित करने के लिए आगे गर्भावस्था को रोकता है। इस दौरान गर्भनाल बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। यह उन हार्मोन्स की उत्पत्ति करता है, जिससे प्रेगनेंसी और बच्चे की सेहत का ख्याल रखा जाता है। इन्हीं हार्मोन से स्त्री के शरीर में कई बदलाव भी आते हैं। ऐसे में शरीर प्रजनन को ब्लॉक कर ओवुलेशन को रोकता है।
लेकिन कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान भी शरीर में ओवुलेशन जारी रहता है। अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान सम्भोग करती है और उसके अंडाणु का संगम पुरुष के स्पर्म से हो जाता है। ऐसे में महिला के गर्भ में एक नया भ्रूण जन्म ले लेता है।
लेकिन गर्भावस्था में भी गर्भधारण करने के अन्य कई तरीके हो सकते हैं जिन पर आज हम अपने इस लेख में चर्चा करेंगे।
पहले से ही गर्भवती होने पर हो सकतीं है आप गर्भवती
यह प्रकृति का नियम है कि एक नयी ज़िन्दगी को शुरू करने के लिए महिला का अंडाणु और पुरुष का स्पर्म का मिलना ज़रूरी होता है। जब किसी स्त्री का मासिक धर्म रुक जाता है तो इस बात की पुष्टि हो जाती है कि वह गर्भवती है लेकिन यदि शरीर इस नियम को नज़रअंदाज़ कर दे और ओवुलेशन जारी रहे तो अंडा उपलब्ध होता है और शुक्राणु उसे निषेचित कर देता है। ऐसे में महिला गर्भावस्था में भी दोबारा गर्भधारण कर लेती है।
कई अन्य तरीके जिससे गर्भावस्था में भी हो सकता है गर्भधारण
ऐसे अन्य कई तरीके है जिससे महिला गर्भावस्था में भी गर्भवती हो सकती है।
सुपरफीटेशन (Superfetation): यह एक बहुत ही सामान्य तरीका है जिसमें महिला गर्भावस्था में भी गर्भधारण कर लेती है। सुपरफीटेशन (विभिन्न ओवुलेशन के कारण होता है) इसमें स्त्री के गर्भ में एक भ्रूण होने के बावजूद दूसरा भ्रूण पनपने लगता है।
सुपरफिकन्डेशन (Superfecundation): जब दो अंडाणु रिलीज़ होते हैं उनमें से एक पहले निषेचित हो जाता है और दूसरा अंडा कुछ समय बाद, इससे महिला के गर्भ में दो अलग अलग भ्रूण पलते हैं।
हेट्रोपटेरनल सुपरफिकन्डेशन (Heteropaternal Superfecundation): इसमें दो अंडाणु रिलीज़ होते हैं जिनमें से एक अंडा एक पुरुष द्वारा निषेचित किया जाता है और दूसरा अंडा दूसरे पुरुष द्वारा। ऐसे में महिला गर्भवती होने के बावजूद फिर गर्भधारण कर लेती है और दो अलग अलग पिता के बच्चे एक ही समय में उसके गर्भ में पलने लगते हैं।
जुड़वां बच्चे वास्तव में जुड़वां नहीं हो सकते
कई बार महिला के गर्भ में जुड़वां बच्चे पलते हैं लेकिन असलियत में वे जुड़वां होते नहीं है। ऐसे में महिला ने अलग अलग समय पर गर्भधारण किया होता है। इस बात की पुष्टि गर्भ में पल रहे बच्चों के विकास में अंतर के माध्यम से होती है।
जब दूसरी गर्भावस्था पहली गर्भावस्था से 10 दिन से अधिक हो जाती है
जब पुरुष के स्पर्म का महिला के अंडाणु के साथ संगम होता है तो ऐसी स्थिति में महिला गर्भवती हो जाती है। लेकिन कुछ स्पर्म काफी दिनों तक जीवित रहते हैं और गर्भावस्था में भी महिला फिर से अंडाणु रिलीज़ करती है। इस बार दस दिन पहले हुए सम्भोग से अंडाणु निषेचित हो जाता है और स्त्री को गर्भवती कर देता है जबकि वह पहले से ही गर्भवती होती है। हालांकि ऐसा बहुत कम होने की संभावना होती है।
गर्भावस्था में गर्भधारण की संभावना कम होती है
गर्भावस्था में भी गर्भधारण करना जानवरों में आम होता है लेकिन मनुष्यों में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है। गर्भावस्था में मानव शरीर बहुत सी चीज़ों को रोकता है जिससे इस समय गर्भधारण न हो। ऐसा होने के लिए बहुत सी चीज़ों का सही जगह पर होना बहुत ही ज़रूरी होता है।
उदाहरण के तौर पर गर्भावस्था में अंडाणु का रिलीज़ होना बहुत ही दुर्लभ होता है। जब ऐसा होता है तो अंडाणु को स्पर्म के संपर्क में आना ज़रूरी होता है। म्यूकस प्लग की मोटी परत सर्विक्स को सील कर देती है ऐसे में स्पर्म का इससे गुज़रना मुश्किल होता है।
इसके बाद भी अगर अंडाणु निषेचित हो जाता है तो गर्भावस्था में शरीर से रिलीज़ हुए हार्मोन्स गर्भाशय की परत अंडाणु का इम्प्लांट होना असंभव कर देते हैं।
जन्म का समय
जब एक साथ दो बच्चे जन्म लेते हैं तो अकसर ऐसा देखा जाता है कि दूसरा बच्चा असामयिक होता है यानी उसे अपनी माँ के गर्भ कुछ और दिन रहना चाहिए। शुरुआती दिनों में इस बात का पता लगाना बहुत ही मुश्किल होता है कि बच्चे जुड़वां हैं या फिर ऐसा सुपरफीटेशन के कारण हुआ है। अगर दूसरे बच्चे का समय उसके भाई/बहन से आगे है तो ऐसी स्थिति में उनका जन्म सी-सेक्शन द्वारा होता है जहाँ पहले बच्चे को निकाल दिया जाता है। दूसरे बच्चे को माँ के गर्भ में ही तब तक के लिए छोड़ दिया जाता है जब तक वह पूरी तरह से विकसित और स्वस्थ न हो जाए।
गर्भावस्था में गर्भधारण करने से बच्चे को खतरा
कहते हैं जो बच्चे सही समय तक अपनी माँ के गर्भ में नहीं रहते ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य सम्बंधित कई परेशानियों से जूझना पड़ता है। यह उन बच्चों के साथ भी होता है जो अपनी गर्भावस्था में अपनी माँ के गर्भ में पलने लगते हैं। ऐसे बच्चे के समय से पहले जन्म लेने की सम्भावना बनी रहती है। साथ ही इन्हे लम्बे समय तक डॉक्टर्स की देखरेख में अस्पताल में रहना पड़ता है।
हालांकि कुछ बच्चे जिन्होंने समय से पहले जन्म ले लिया होता है वे पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जीते हैं। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिन्हें कई तरह की सेहत से जुड़ी समस्याओं से गुज़रना पड़ता है जैसे एनीमिया, इन्फेक्शन और पीलिया।