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गर्भाशय निकलवाने का सोच रही हैं तो जान लें ये हानिकारक प्रभाव
प्यूबर्टी की उम्र शुरु होने पर लड़कियों में मासिक धर्म शुरु हो जाता है। इसमें हर महीने शरीर से रक्त निकलता है। इससे रक्त की कमी तो होती ही है साथ ही और भी कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं।
ऐसे में लड़कियों को मूड स्विंग्स से लेकर पेट दर्द और पेट फूलने की समस्या रहती है। सभी महिलाओं में माहवारी का दर्द और प्रभाव अलग-अलग होता है। लेकिन एक बात तो पक्की है कि माहवारी के कारण महिलाओं को असहजता ज़रूर होती है।
इस असहजता की वजह से ही महिलाओं को लगता है कि काश उनके शरीर से गर्भाशय निकल जाए। ऐसा उन महिलाओं में ज़्यादा होता है जो प्रजनन की उम्र में होती हैं और कभी मां नहीं बनना चाहती हैं। उन्हें एक ऐसा जीवन चाहिए होता है जिसमें पीरियड्स ना हो और वो खुलकर सांस ले सकें। हालांकि, गर्भाशय निकाल देने से आपकी सारी परेशानियां खत्म नहीं हो जाती हैं। इसके साथ कई तरह के साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के ज़रिए बताने जा रहे हैं कि गर्भाशय निकाल देने पर किस तरह के हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
गर्भाशय निकाल देने के हानिकारक प्रभाव
रिकवरी में लगता है लंबा वक्त
यूट्रेस निकलवाने की प्रक्रिया के बाद महिलाओं को रिकवरी में समय लगता है। इसके लंबवत आकार में एक कट लगाया जाता है। कुछ मामलों में क्षैतिज आकार का भी होता है। इस कट के द्वारा गर्भाशय को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्जरी के बाद हफ्तों तक महिलाओं को बेड पर आराम करना पड़ता है। इसके दौरान जो घाव या दाग पड़ता है वो भी आसानी से नहीं जाता है। कुछ मामलों में ये महीनों तक रह जाता है जबकि कुछ में सालों तक इसका निशान नहीं जाता है।
वजाइना को नुकसान
वजाइनल हिस्टेरेक्टोमी के मामले में भी ये एक साइड इफेक्ट होता है। ऐसा तब होता है जब वजाइना के ज़रिए सर्जन यूट्रेस को निकालता है। आप जानते ही हैं कि वजाइना कितना संवेदनशील होता है। अगर सर्जन बहुत ज़्यादा ध्यान से सर्जरी ना करे तो इस वजह से वजाइना को नुकसान पहुंच सकता है।
अनीमिया का खतरा
गर्भाशय निकलवाने के लिए सर्जरी के बाद बहुत ज़्यादा रक्त बह सकता है। इतनी ज़्यादा मात्रा में रक्त निकलने की वजह से आपको अनीमिया का खतरा रहता है। कुछ मामलों में मरीज़ों को ब्लड क्लॉट की समस्या भी रहती है। ये क्लॉट पैरों या फेफडों में बनते हैं और ये यूट्रेस निकालने का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट है।
कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
लैप्रोस्कोपी हिस्टेरेक्टोमी जैसे मामलों में ये साइड इफेक्ट देखने को मिलता है। इसमें पॉवर मोसेलेटर्स के ज़रिए यूट्रेस टिश्यूज़ को तोड़ा जाता है ताकि लैप्रोस्कोपिक चीरे से यूट्रेस को बाहर निकाला जा सके। हालांकि, इस वजह से पूरे शरीर में कैंसर जनित टिश्यूज़ फैल सकते हैं। कई सालों में ये टिश्यूज़ घातक रूप ले सकते हैं।
दर्द
किसी अन्य सर्जिकल प्रक्रिया की तरह गर्भाशय निकालने में भी दर्द होता है। अब कितना और कब तक दर्द होता है, ये लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की प्रक्रिया और क्या शरीर से सिर्फ गर्भाशय निकाला जा रहा है, इस बात पर निर्भर करता है। नैचुरल हिस्टेरेकटोमी बहुत दर्दनाक होता है और इसका दर्द महीनेभर तक रहता है। वजाइनल हिस्टेरेक्टोमी के कुछ मामलों में बहुत कम दर्द होता है।
एनेस्थीसिया से दिक्कत
सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए डॉक्टर मरीज़ को एनेस्थीसिया देते हैं। कुछ महिलाओं को सांस लेने में दिक्कत या ह्रदय से संबंधित समस्या होने लगती है। इस तरह की समस्या अस्थमा के मरीज़ों और 50 से अधिक उम्र की महिलाओं में ज़्यादा देखी जाती है।
संक्रमण
किसी भी सर्जरी में आंतरिक मानव अंगों के संपर्क में आने के लिए बाहरी चीज़ों का प्रयोग किया ही जाता है। इनकी वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर और मेडिकल टीम चाहे कितनी भी सावधानी बरतें लेकिन मरी़ज़ के शरीर में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
आसपास के अंगों में चोट
मनुष्य का शरीर एक बहुत जटिल मशीन है और इसमें सभी अंग आसपास होते हैं। इस वजह से बाकी अंगों को भी चोट लग सकती है। महिलाओं के यूट्रेस के आसपास फैलोपियन ट्यूब, आंतें, पेल्विक हड्डियां और ओवरी होती है। शरीर से यूट्रेस निकालने की प्रक्रिया में आसपास के अंगो को भी चोट लग सकती है। अब किस अंग को कितनी चोट लगती है और उसे भरने में कितना समय लगता है ये स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
समय से पूर्व मेनोपॉज़
कई बार किसी बीमारी की वजह से गर्भाश्य को निकालना पड़ता है और कुछ मामलों में तो ओवरी भी निकाल दी जाती है। ऐसे मामलों में प्रीमेनोपॉज़ हो सकता है। आम भाषा में इसका मतलब है कि महिलाओं को समय से पहले ही मेनोपॉज़ आ जाता है। गर्मी लगना, मूड स्विंग्स होना, बुखार आना और रात में पसीना आदि इसके लक्षण हैं।
सेक्स में दर्द होना
सभी महिलाओं में ये लक्षण दिखाई नहीं देता है। हालांकि, कुछ मामलों में जिन महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया जाता है उन्हें कभी-कभी सेक्स के दौरान दर्द महसूस हो सकता है। पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है। अगर आपको भी संभोग के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है तो इसका कारण शरीर से गर्भाशय को निकालना हो सकता है। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।