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Parenting Tips: इन मोबाइल Apps से बच्चों की मेंटल हेल्थ हो रही प्रभावित
आज के टाइम में बच्चे आउटडोर गेम्स से दूर होकर उन्होंने मोबाइल दोस्ती गहरी कर ली है। इस मोबाइल की लत की वजह से वो दोस्तों से ज्यादा मोबाइल के साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं। इसमें पेरेंट्स की भी गलती होती है..जब को किसी काम में बिजी होते है तो बच्चे को शांत करने के लिए या फिर उनको भागने-दौड़ने से बचने के लिए उनको अपना मोबाइल थमा देते हैं। लेकिन बच्चे कुछ ऐसी एप्लीकेशन भी मोबाइल में इंस्टॉल कर लेते हैं, जो उनकी मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है। माता-पिता अपनी वजहों से बच्चे की मोबाइल एक्टीविटी पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन इसका असर उनकी मानसिक सेहत पर पड़ता है। कुछ एप तो ऐसे भी होते है जो 18 साल की उम्र के बाद लोगों के लिए होती है, ऐसी स्थिति में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे इस पर गौर करें कि उनका बच्चा मोबाइल पर कौन सी एप्लीकेशन यूज कर रहा है। बच्चा मोबाइल पर किस तरह के गेम एप यूज का इस्तेमाल कर रहा है। पेरेंट्स को बच्चों की मेंटल हेल्थ का खयाल रखते हुए इस बात को ट्रैक करना काफी अहम हो जाता है..आइये जानते इसके खतरों के बारें में और माता-पिता कैसे इससे अपने बच्चों के दूर रख सकते हैं-
पेरेंट्स की जिम्मेदारी है बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखना
माता-पिता की ये जिम्मेदारी है कि बच्चा मोबाइल पर क्या देख रहा है और कौन सा एप्लिकेशन इस्तेमाल कर रहा है। कही वो अपनी ऐज से बड़ी ऊम्र के गेम एप तो यूज नहीं कर रहा, या फिर वो ऐसे एप से गेम खल रहा है जो काफी हिंसक होते हैं। वहीं आपको इस पर ध्यान देना होगा अगर आपके बच्चे की उम्र 18 से कम है तो कहीं वो कोई डेटिंग एप तो यूज नहीं करता, उस पर अपनी प्रोफाइल बना रखी हो। क्योंकि आजकल जो ट्रेंड में होता है..बच्चे उसको फॉलो करने की कोशिश करते हैं। डेटिंग एप ड्रेंड में बना रहता है साथ में उसका प्रचार भी होता रहता है जिससे बच्चे ज्यादा अट्रैक्ट हो जाते हैं। ये पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों को फोन चेक करते रहें। इन एप्स के चलते बच्चे गलत संगत में आकर गलत काम और उनकी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।
लाइव स्ट्रीमिंग एप्स यूज करना सिखाएं
आज की फास्ट ग्रोइंग वर्ल्ड में लाइव स्ट्रीमिंग एप्स कॉमन हो रहे है जिससे एक दूसरे से जुड़ना आसान होता जा रहा है..लेकिन अगर आपके बच्चे भी भी इन लाइव स्ट्रीमिंग एप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो पेरेंट्स को इसकी जानकारी होनी चाहिए, इसके साथ ही वो बच्चों को ये भी बताएं की उन एप्स का यूज कैसे करना है। इन एप्स से हैकर्स बच्चों के मानसिक विकास पर प्रभाव डाल सकते है क्योंकि लाइव स्ट्रीमिंग एप्स को यूज करने वाले ऑनलाइन क्राइम का शिकार भी हो सकते है।
बच्चों को मोबाइल से अलग दूसरे से घुलना मिलना भी सिखाएं-
पेरेंट्स बच्चों को एक दूसरे के साथ घुलना मिलना भी सिखाते रहें क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से लाखो बच्चों पर इसका असर हुआ है। घर से बाहर ना निकलने के कारण और ऑनलाइन क्लाससेज की वजह से भी बच्चे काफी इन्ट्रोवर्ड हो गये हैं। माता-पिता अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए बच्चो को लोगों से घुलने मिलने में मदद करें। उनको कोरोना के बाद आए बदलावों में न्यू नॉर्मल में कैसे रहना है..दोस्तो, पड़ोसियों, रिश्तेदारों के घर बच्चों के लेकर जाएं जिससे उनको एक दूसरे से आमने सामने बात करने का तरीका पता चल पाए, क्योंकि के कारण 2 साल तक बच्चे सिर्फ मोबाइल फोन ऑन लाइन वीडियो कॉल के जरीये ही बात कर पाते थे।
गेमिंग की दुनिया से बच्चों को बाहर निकालें-
बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें क्योंकि जो मोबाइल फोन के अंदर जो गेमिंग की दुनिया है वो बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर निगेटिव प्रभाव डालता है। वहीं कई ऐसे भी गेमिंग एप होते हैं जो पैसा देकर खेले जाते है। ये गेम बच्चे को एडिक्ट कर देते हैं। पेरेंट्स की इस सारे मामलों में बड़ी जिम्मेदारी है कि वो ऐसे गेम से बच्चों की दूरी बनाएं और उनको सोशल बनाने में हेल्प करें।