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ईटिंग डिस्ऑर्डर का शिकार है बच्चा तो मिलते हैं ये संकेत
ईटिंग डिस्ऑर्डर जैसे कि एनोरेक्सिआ, बुलिमिआ, बिंजे ईटिंग 14 से 30 साल के उम्र के लोगों को बहुत प्रभावित कर रही है। सोशल मीडिया पर मोटे लोगों का मजाक उड़ाना उनके लिए मानसिक तनाव का कारण बनता जा रहा है।
हालांकि, सबकी नजर इस बात पर नहीं जा रही है कि वयस्क उम्र में ईटिंग डिस्ऑर्डर होने की शुरुआत बचपन से ही हो जाती है। बच्चे बहुत कम और चुनिंदा चीजें ही खाते हैं और यहीं से उनमें ईटिंग विकार की शुरुआत होती है। इससे बचने के लिए अपने बच्चे की खानपान संबंधित आदतों पर ध्यान दें।
ध्यान देना है जरूरी
ईटिंग डिस्ऑर्डर अकसर भावनात्मक तनाव का संकेत होता है जो कि आगे चलकर किसी बीमारी का रूप ले सकता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि शुरुआत में ही इसकी वजह का पता लगाकर इसे दूर कर दिया जाए। अगर आपका बच्चा ईटिंग डिस्ऑर्डर से ग्रस्त है तो उसमें निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
भूख ना होते हुए भी खाने में रुचि लेना
अकसर बच्चे बाहर खेलने-कूदने में समय बिताते हैं लेकिन ईटिंग डिस्ऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति खाने में क्या बन रहा है, इस पर ध्यान देते हैं। अगर आपको अपने बच्चे में ऐसा कोई लक्षण दिख रहा है तो उसे नजरअंदाज ना करें।
वजन घटना या बढ़ना
टीएनज उम्र में वजन का संतुलित रहना बच्चे के सही विकास का संकेत है जो कि 20 की उम्र तक चलता है। हालांकि अगर आपके बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है या एक जैसा ही बना हुआ है तो ये ईटिंग डिस्ऑर्डर का संकेत हो सकता है। डॉक्टर से बात करके इस समस्या की जड़ का पता लगाएं।
परिवार के साथ भोजन ना करना
कई बार बच्चों को कुछ ऐसा खाने पर मजबूर किया जाता है जो उन्हें पसंद ना हो। इस वजह से भी बच्चे अकेले खाना पसंद करते हैं ताकि वो अपनी मर्जी का कुछ भी खा सकें। अगर आपका बच्चा अकेले खाना खाता है या खुद खाना लेने की जिद करता है तो ये चेतावनी का संकेत हो सकता है।
बहुत चुनकर खाना
ईटिंग डिस्ऑर्डर को बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है। आमतौर पर बच्चे हरी सब्जियां खाने से बचते हैं लेकिन अगर वो किसी एक फूड से जुड़ी सभी चीजों को खाने से मना कर दे तो ये ईटिंग डिस्ऑर्डर का संकेत हो सकता है। बच्चों का खाने को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर खाना भी सही नहीं है। ये सभी एनोरेक्सिआ के लक्षण हो सकते हैं। इसमें व्यक्ति अपने वजन और आहार को लेकर चिंता से घिर जाता है।