For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

बच्चों का मूड स्विंग और डिप्रेशन का अंतर भी नहीं समझ पर रहे हैं 40% माता-पिता

|

दिनों दिन बढ़ते कॉम्पिटिशन के इस दौर में जहां हर कोई रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, वहीं कुछ इस तेज रफ्तार में पीछे रहने की वजह से डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। बढ़ते बच्चों और युवाओं के बीच तनाव और इसी वजह से आत्महत्या के मामले में वृद्धि हो रही है।

यह हम यूं ही नहीं कह रहें, असल में तनाव के मुद्दे पर हाल ही यूएस में हुए एक शोध में निष्कर्ष आया है कि बच्चों में तनाव बढ़ रहा है और 40 प्रतिशत मां-बाप तो बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण तक पहचानने में असक्षम हैं। जबकि 30 प्रतिशत माता-पिता सिर्फ इसलिए धोखा खा जाते है क्योंकि उनके बच्चे आसानी से डिप्रेशन के लक्षण उनसे छुपा जाते हैं और अपनी भावनाएं उनके सामने जाहिर नहीं करते।

बड़े स्तर पर हुए बदलाव

बड़े स्तर पर हुए बदलाव

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में हुए इस शोध में ऐसे 819 अभिभावकों को शामिल किया गया, जिनका कम से कम एक बच्चा, मिडिल स्कूल, जूनियर हाई या फिर हाई स्कूल में पढ़ता हो। इस शोध की को-डायरेक्टर सारा क्लार्क कहती हैं कि ‘बहुत से परिवारों के टीनएजर्स के व्यवहार में नाटकीय स्तर पर बदलाव देखने को मिले हैं। इन्हीं बड़े बदलावों की वजह से माता-पिता के लिए बच्चों की भावनाओं को पहचान कर डिप्रेशन का पता लगाना बहुत मुश्किल काम हो गया है।' इतना ही नहीं शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ माता-पिता अपने बच्चे के मूड और व्यवहार में अवसाद को पहचानने की अपनी क्षमता को कम आंकते हैं। उनकी इसी क्षमता की वजह से वह अपने बच्चे में तनाव के लक्षणों को पहचान नहीं पाते।

बच्चे हैं वाकिफ

बच्चे हैं वाकिफ

मां बाप भले ही बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण ना जान पाएं, लेकिन बच्चे अच्छी तरह से तनाव और उसके लक्षणों को पहचानते हैं। इस शोध में सामने आया है कि चार परिवारों में से एक परिवार के बच्चे का सहपाठी डिप्रेशन की परेशानी से गुजर रहा है। इतना ही नहीं, 10 में से एक परिवार के बच्चे को तो मालूम है कि उसका दोस्त या सहपाठी ने डिप्रेशन की वजह से ही आत्महत्या की। बच्चों में इस स्तर पर तनाव व उसके लक्षण और आत्महत्या से व्यवहारिक होने का आंकड़ा पिछले दस सालों में दिनों दिन बढ़ा है। आत्महत्या के बढ़ते आंकड़ों से साफ जाहिर हो रहा है कि युवा होते इन बच्चों में तनाव के स्तर में वृद्धि हो रही है।

स्कूल की भी हो भूमिका

स्कूल की भी हो भूमिका

क्लार्क का कहना है कि अभिभावकों को बच्चों में तनाव के लक्षण, जैसे कि दुखी रहना, अकेले रहना और चिड़चिड़ा होने पर ज्यादा सर्तक रहना होगा। इस पोल में सामने आया है कि माता पिता तनाव से जुड़े मुद्दों पर कम आत्मविश्वासी है। इतना ही नहीं 10 में 7 अभिभावकों का तो मानना है कि बच्चों में होने वाले इस डिप्रेशन को लेकर स्कूल की ओर से भी कुछ अहम कदम उठाने चाहिए।

English summary

Most Parents Struggle To Spot Depression Signs In Teens, Says Study

Telling the difference between a teen's normal ups and downs or something bigger is among the top challenges parents face while identifying depression among the youth, says a new study.
Desktop Bottom Promotion