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पार्टनर से हो गए हैं आप सेपरेट, इन पेरेलर पेरेंटिंग टिप्‍स से करें बच्‍चों की परवारिश

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एक थकाउ रिश्ते या शादी को खत्म करने के लिए अलगाव या तलाक अंतिम कदम है। लेकिन, जब इसमें बच्चे शामिल होते हैं, तो कम्यूनिकेशन पूरी तरह से टूट जाए ऐसा संभव नही। बल्कि कई बार अतीत की कड़वाहट फिर से बहस और झगड़े के रूप में सामने आती है। ऐसे में ये जरूरी है कि बच्चे माता-पिता दोनों के साथ एक हेल्दी रिलेशन बनाते हुए बड़े हों - जिसके लिए पेरेंटस को एक-दूसरे से मिलना होगा और झगड़ों को पीछे छोड़कर बच्चे की भलाई बातचीत करना होगा। ऐसी स्थिति में समानांतर पालन-पोषण यानि पेरेलर पेरेंटिंग हालातों को संभालने में मददगार साबित हो सकती है। इस लेख में हम आपको पेरेलर पेरेंटिंग के फायदों और इसे सफल बनाने के लिए जरूरी टिप्स देंगे।

पेरेलर पेरेंटिंग क्या है?

पेरेलर पेरेंटिंग क्या है?

पैरेलल पेरेंटिंग एक ऐसा दृष्टिकोण है जो तब काम करेगा जब एक या दोनों माता-पिता सह-पालन की शर्तों को मानने के लिए बिल्कुल तैयार न हों, या लगातार संघर्ष की स्थिति में हों, और बातचीत करने में असमर्थ हों। पैरेलल पेरेंटिंग माता-पिता के लिए अपने बच्चों के साथ स्वतंत्र रूप से समय बिताने, अपने एक्स के साथ संपर्क को कम करने और संघर्षों के माध्यम से बच्चों को नुकसान पहुंचाने से बचाने का एक तरीका है। कई विशेषज्ञों के अनुसार, समानांतर पेरेंटिंग योजना के लिए बुनियादी नियम सख्त हैं, यही वजह है कि समानांतर पेरेंटिंग को-पेरेंटिंग से बेहतर है।

समानांतर पेरेंटिंग के लाभ

समानांतर पेरेंटिंग के लाभ

1. कम हस्तक्षेप

पेरेलर पेरेंटिंग दोनों माता-पिता को दूसरे माता-पिता के हस्तक्षेप के बिना, अपनी स्वयं की पेरेंटिंग शैली रखने में सक्षम बनाता है। चूंकि दूसरे व्यक्ति के माता-पिता पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए दोनों पक्षों में अधिक जिम्मेदार पालन-पोषण की भी आवश्यकता है। बच्चे के साथ जो होता है उसके परिणामों का दूसरे माता-पिता से कोई लेना-देना नहीं होगा, और यह केवल एक की जिम्मेदारी है। इसलिए, ये प्रक्रिया काफी कारगर साबित होती है।

2. कम तनाव

2. कम तनाव

लगभग सभी तलाक जो माता-पिता दोनों के पेरेलर पेरेंटिंग का विकल्प चुनने के साथ समाप्त होते हैं, उनमें बड़ी असहमति होती है, और इस कारण बच्चों को संघर्ष की भावनात्मक उथल-पुथल से गुजरना पड़ता हैं। पेरेलर पेरेंटिंग मुख्य रूप से बच्चों को झगड़ों के नैगेटिव इंपेक्ट से बचाने और एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण वातावरण की सुविधा प्रदान करता है। चूंकि माता-पिता के बीच कम से कम संवाद होता है, इसलिए बच्चे अपने माता-पिता के बीच होने वाली टकराव की स्थिति से नहीं गुजरते हैं। इससे न केवल माता-पिता बल्कि बच्चों का भी तनाव कम होता है।

3. अलग होकर भी बच्चे से रह सकते है कनेक्ट

3. अलग होकर भी बच्चे से रह सकते है कनेक्ट

कुछ लोगों के लिए डिवोर्स के बाद इमोशनली जख्म भरने में कई साल लग जाते हैं। क्यूंकि ये प्रोसेस ना केवल दो व्यक्तियों, बल्कि उनकी फैमिली को भी प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में पेरेलर पेरेंटिंग माता-पिता को एक-दूसरे से दूर रखकर इस प्रभाव को कम कर सकता है, और पेरेंटस एक-दूसरे से दूर रहकर भी अपने बच्चे के साथ जुड़े रह सकते है। इसमें ईमेल और कम्यूनिकेशन की अन्य चीजों को ऑफिशियल रखा जाता है, ताकि इमोशनली मजबूत होकर आगे बढ़ा जा सकें।

कैसे बनाए पैरेलर पेरेंटिंग का प्लान

- सबसे पहले ये तय करें कि बच्चों के साथ समय कैसे बंटेगा। ऐसे में यह स्पष्ट रूप से निर्धारित करना महत्वपूर्ण है कि बच्चे अपने स्कूलिंग के दिन और अपनी वेकेशन कहाँ बिताएंगे। यदि वे निश्चित दिनों में एक माता-पिता के साथ हैं, तो उन्हें बाकी दिनों में दूसरे के साथ रहना होगा।

2. बच्चे को माता-पिता के साथ रहने के लिए सही समय तय करें। याद रखें प्लानिंग जितनी अधिक परफेक्ट होगी, सभी के लिए उतना ही बेहतर होगा, क्योंकि इसमें भ्रम की कोई जगह नहीं होगी और न ही हेरफेर का कोई अवसर। इसमें माता-पिता दोनों के लिए सटीक पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ समय भी शामिल होना चाहिए।

3. पिकअप और ड्रॉप-ऑफ के लिए एक पूर्व निर्धारित स्थान रखना जरूरी होगा। क्यूंकि पेरेंटस के बीच बातचीत कम हो, यही इस पेरेटिंग का लक्ष्य है, ऐसे में दोनों घरों, या रिलेटिव या फैमिली फ्रेंड के घर के बीच एक पार्किंग प्लेस जैसा स्थान चुनना अनुकूल रहेगा।

English summary

Parallel Parenting Advantage And Tips To Make It Successful In Hindi

Here we will give you the benefits of parallel parenting and the tips you need to make it a success. So that children do not travel in a fight between two people.
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