Just In
- 2 hrs ago Mukhtar Ansari Networth : मुख्तार अंसारी का निधन, जानें कितनी बेशुमार दौलत के थे मालिक?
- 3 hrs ago कौन थे पंजाबी रॉकस्टार अमरसिंह चमकीला? जिनकी मौत के 35 साल बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी
- 4 hrs ago ड्राई स्किन और डार्क सर्कल के लिए कंसीलर खरीदते हुए न करें ये गलतियां, परफेक्ट लुक के लिए ऐसे करें अप्लाई
- 7 hrs ago Lemon Juice Bath : नींबू पानी से नहाने के फायदे जान, रोजाना आप लेमन बाथ लेना शुरु कर देंगे
Don't Miss
- News हरियाणा: सीएम नायब सिह सैनी ने पेंशन घोटाले मामले में कार्रवाई के दिए निर्देश, कई अधिकारियों पर गिरेगी गाज
- Movies Crew Review: चोर के घर चोरी करती नजर आईं तबू, करीना और कृति, बेबो ने लूट ली सारी लाइमलाइट, कृति पड़ीं फीकी
- Education MHT CET 2024 Exam Dates: एमएचटी सीईटी 2024 परीक्षा की तारीखें फिर से संशोधित की गई, नोटिस देखें
- Finance Gaming का बिजनेस भारत में पसार रहा पांव, आने वाले सालों में 6 अरब डॉलर तक का होगा कारोबार
- Automobiles अब Toll प्लाजा और Fastag से नहीं, इस खास सिस्टम से होगा Toll Collection! नितिन गडकरी ने दिया बड़ा अपडेट
- Technology Oppo F25 Pro भारत में नए Coral Purple कलर में उपलब्ध, जानिए, स्पेक्स और उपलब्धता
- Travel Good Friday की छुट्टियों में गोवा जाएं तो वहां चल रहे इन फेस्टिवल्स में भी जरूर हो शामिल
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
बच्चों के लिए मां-बाप के साथ दादी-नानी का प्यार भी है जरुरी
दादा-दादी या फिर नाना-नानी संग बिताया हर पल एक याद की तरह होता है। यही यादें हमें ताउम्र जिंदगी की सीख भी दे जाती है। तभी तो साइंस भी मान चुकी है कि जो बच्चे दादा-दादी या नाना-नानी के साथ रहते हैं वह बाकि बच्चों से अलग होते हैं। यह बच्चे चीजों को बांटना सीखते हैं, दूसरों का सम्मान करते हैं और हर परिस्थिति में खुद को ढालने की समझ रखते हैं। इतना ही नहीं, बच्चों के व्यवहारिक विकास के साथ ही दादा-दादी और नाना-नानी की सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
खुश और सुरक्षित
कामकाजी माता-पिता के बच्चों के पालन पोषण के लिए दादा-दादी का होना बहुत महत्वपूर्ण है। दादा-दादी के होने की वजह से उन्हें बच्चों के लिए किसी बेबीसीटर की जरूरत नहीं होती है। दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों का बेहतर ध्यान रख सकते हैं। दादा-दादी न सिर्फ बच्चों को बड़ा करने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें सुरक्षित माहौल देने के साथ ही बच्चों की खुशी का भी ख्याल रखते हैं।
सीखते हैं बहुत कुछ
बच्चे जब अपने परिवार का इतिहास जानते हैं, तो वह भावनात्मक हो जाते हैं। दादा-दादी संग बच्चों में लगाव और सम्मान की भावना आती है। नतीजन, ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों के मुकाबले हर माहौल में जल्दी ढल जाते हैं और परिपक्व हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चे अपने परिवार के बारे में जानते हैं और पारिवारिक घटनाओं से ही हर मुश्किल का सामना करना सीखते हैं।
भावनात्मक
जब बच्चे ज्यादा से ज्यादा दादा-दादी संग समय बिताते हैं तो वह बेहतर ढंग से भावनात्क परिस्थिति को समझते हैं। इन बच्चों में किसी भी तरह के व्यवहारिक समस्या नहीं होती है। बढ़ती उम्र के साथ बच्चे आसानी से हर तरह के सदमे को भी झेल जाते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से की गई एक स्टडी के निष्कर्ष में भी साबित हो चुका है कि, जो बच्चे दादा दादी या नाना नानी संग रहते हैं, उन्हें अकेलापन, गुस्सा और निराशा जैसी भावना का एहसास नहीं होता है। ऐसे बच्चे हर तरीके से जीना सीख जाते हैं और हर तरह की समस्या का हल ढूंढ लेते हैं।
नैतिकता
हर माता पिता की बच्चे के प्रति पहली प्राथमिक जिम्मेदारी होती है, उनमें अच्छी आदतें सिखाएं। ऐसे में दादा दादी एक विश्वास की तरह खड़े रहते हैं। वह बच्चों को अच्छी अच्छी कहानियां सुनाते हैं, इन्हीं के जरिए समझाने की कोशिश करते हैं कि क्यों हमारी जिंदगी में बहुत सी चीजे जरूरी हैं। आपका बच्चा, सुंदर और समझदार माहौल में पलता है और अपने दादा दादी से बहुत कुछ सीखता है।
दादा-दादी भी खुश
बच्चों संग दादा-दादी का होना सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि दादा दादी की सेहत के लिए भी अच्छा है। ऐसा होने से आपके माता पिता खुश रहते हैं। बढ़ती उम्र के साथ आपके माता पिता निराशा और अलजाइमर जैसी तमाम बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। यह सब बीमारियां सिर्फ अकेलेपन की वजह से ही होती हैं। ऐसे में बच्चों संग समय बिताने से वह भी खुश और सेहतमंद रहते हैं।