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ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद क्या सामान्य तरीके से करा सकते हैं स्तनपान?
आजकल महिलाएं अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए ब्रेस्ट इम्प्लांट का सहारा लेती हैं। हालांकि कई महिलाओं के दिमाग में यह सवाल उठता है कि क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद स्तनपान कराना सुरक्षित होता है या फिर इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट होते हैं।
यदि आपके ज़ेहन में भी ऐसे ही सवाल आ रहे हैं तो हमारा यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा क्योंकि आज हम आपको ब्रेस्ट इम्प्लांट से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे। तो चलिए जानते हैं ब्रेस्ट इम्प्लांट के बारे में।
ब्रेस्ट इम्प्लांट्स क्या है?
यह एक तरह की सर्जरी होती है जिसकी मदद से ब्रेस्ट के शेप और साइज़ को सही किया जाता है। इस सर्जरी में ब्रेस्ट के अंदर अर्टिफिशियल मटीरियल की एक परत लगाई जाती है। यह परत या तो सिलिकॉन की होती है या तो सेलाइन की। हालांकि इससे किसी तरह की कोई मेडिकल प्रॉब्लम नहीं होती लेकिन यह महिला के स्तनपान कराने की क्षमता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
इम्प्लांट्स में ब्रेस्ट फीडिंग कराना
ब्रेस्ट इम्प्लांट्स में आप अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करा सकती हैं लेकिन इस प्रक्रिया से आपके दूध की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि इसकी अन्य कई वजह हो सकती है जैसे इम्प्लांट किस प्रकार का है या फिर आपकी क्षतिग्रस्त दूध नलिकाएं। जैसा कि हमने आपको बताया अर्टिफिशियल मटीरियल के आधार पर ब्रेस्ट इम्प्लांट दो प्रकार के होते हैं। इनमें सिलिकॉन इम्प्लांट सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह आपके ब्रेस्ट मिल्क को प्रभावित नहीं करता। लेकिन अपने डॉक्टर से सही सलाह लेना ही बेहतर होता है।
कई महिलाएं बिना इम्प्लांट्स के भी ब्रेस्ट फीडिंग में कठिनाई महसूस करती हैं जिसका कारण गलत पोजीशन में बैठकर स्तनपान कराना भी हो सकता है। इसके अलावा माँ का खानपान भी उसके दूध के उत्पादन पर गहरा प्रभाव डालता है। ऐसे में इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए खुद को पहले से ही शिक्षित करके रखना बेहतर होता है।
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कितने प्रकार के ब्रेस्ट इम्प्लांट्स होते हैं? किस तरह यह ब्रेस्ट फीडिंग को प्रभावित करते है?
ब्रेस्ट इम्प्लांट दो प्रकार के होते है सिलिकॉन या सेलाइन। सिलिकॉन आधारित ब्रेस्ट इम्प्लांट में सिलिकॉन जेल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं सेलाइन आधारित ब्रेस्ट इम्प्लांट में सेलाइन वाटर का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ब्रेस्ट फीडिंग में दोनों ही सुरक्षित माने जाते हैं लेकिन सबसे ज़रूरी इन्सिज़न का और इम्प्लांटेशन का स्थान होता है।
इन्सिज़न के प्रकार
सर्जरी के दौरान इन्सिज़न का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह ब्रेस्ट फीड में आपकी मदद करता है। ब्रेस्ट के नीचे, आस-पास या कांख में इन्सिज़न दूध की नलिकाओं और नसों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन निप्पल के पास नसों को नुकसान पहुंचाता है जो सीधे आपके स्तनों के दूध उत्पादन को प्रभावित करता है।
इम्प्लांटेशन का स्थान
ब्रेस्ट इम्प्लांट ब्रेस्ट के पीछे की ओर होता है यानी ब्रेस्ट टिशू और सीने की माँसपेशियों के बीच में, यह दूध की नाज़ुक नालिकाओं और नसों को कोई नुकसान पंहुचाता है। निप्पल एरिया के आसपास इम्प्लांट निप्पल की सेंस्टिविटी को कम कर देता है और साथ ही दूध के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है।
ब्रेस्ट फीडिंग में समस्या
प्रेगनेंसी के पहले और बाद में ब्रेस्ट में काफी परिवर्तन आते हैं। यह आम बात है कि इस दौरान ब्रेस्ट कठोर हो जाते हैं और निप्पल सेंसिटिव हो जाते हैं। यदि आप इम्प्लांट्स का सहारा लेती हैं तो यह प्राकृतिक चीज़ों से छेड़छाड़ होगी और इसका प्रभाव किसी न किसी रूप में आप पर पड़ेगा।
1. निप्पल्स का सुन्न पड़ जाना
इम्प्लांट्स में यह बहुत ही बड़ी समस्या है जिससे ब्रेस्टफीडिंग में कठिनाई आती है। इससे दूध का उत्पादन प्रभावित होता है। यदि बच्चे के चूसने पर निप्पल्स में सेंसटिविटी नहीं रहती तो दूध की नलिका दूध का उत्पादन नहीं करेगी।
यह उस स्थिति में होता है जब निप्पल्स के आस पास की नसें इम्प्लांट्स के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
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2. बढ़े हुए ब्रेस्ट
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट में सूजन आम बात होती है लेकिन इम्प्लांट्स में यह स्थिति और भी बुरी हो जाती है। इम्प्लांट्स के कारण ब्रेस्ट टिश्यू पर अधिक दबाव पड़ता है जो नसों को क्षतिग्रस्त कर देता है।
3. मैस्टाइटिस
दूध की नलिका ब्लॉक होने के कारण मैस्टाइटिस की समस्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होती है। ऐसे में बुखार भी आ सकता है। हालांकि यह समस्या इम्प्लांट्स न करने वाली महिलाओं को भी हो सकती है लेकिन इम्प्लांट्स इसकी संभावना को और भी बढ़ा देता है।
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क्या दूध की आपूर्ति पर्याप्त होगी?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की सर्जरी का चुनाव कर रही हैं। यदि आपकी सर्जरी सही तरीके से हो रही है और आपकी नसों और दूध की नलिका को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंच रहा है तो दूध की आपूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर आपके स्तन पर्याप्त मात्रा में दूध की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं तो इसके अन्य कई कारण हो सकते हैं और आप इसे बढ़ाने के लिए कई और तरीके अपना सकती हैं जैसे रोज़ाना 8 से 12 मिनटों तक ब्रेस्ट मसाज या फिर अपने खाने पीने पर विशेष ध्यान देकर।