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सिर्फ माएं ही नहीं, पिता भी गुजरते हैं पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन से

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ये सच है कि बच्‍चे के जन्‍म के बाद महिलाओं को पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन से गुज़रना पड़ता है और नए बच्‍चे के आने पर उनके दिमाग में उथल-पुथल सी मच जाती है। रिसर्च की मानें तो हर 5 में से एक मां को बच्‍चे के जन्‍म के बाद गंभीर डिप्रेशन और तनाव रहता है।

बच्‍चे के जन्‍म के पहले साल में मांओं को इस परिस्थिति से ज्‍यादा जूझना पड़ता है। हालांकि, दुखद बात है कि अब तक इस पोस्‍टपार्टम तनाव के बारे में ज्‍यादा रिसर्च नहीं की गई है और अधिकतर लोग तो इससे अब तक अनजान हैं।

Postpartum depression for dads

लेकिन इससे जुड़ी एक बात और है जोकि बहुत महत्‍वपूर्ण है लेकिन उसे भी नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है और वो बात ये है कि पिता बनने के बाद पुरुषों में भी पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन होता है। कई स्‍टडी में से बात सामने आ चुकी है कि पहली बार पिता बनने वाले 10 प्रतिशत और बच्‍चे के जन्‍म के बाद 25 प्रतिशत पुरुषों में पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन देखा गया।

पहले के मुकाबले अब पुरुषों में पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन ज्‍यादा होने लगा है। जी हां, अब पुरुषों में भी ये बहुत सामान्‍य हो गया है।

परिभाषा

ये बहुत दुख की बात है कि अब तक लोग पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन को समझ नहीं पाए हैं और इसका एक कारण ये भी है कि पुरुषों में इसका पता लगाने का कोई तरीका नहीं है। इससे संबंधित अधिकतर परिभाषा महिलाओं में पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन की परिभाषा से ली गई है। बच्‍चे के जन्‍म के पहले महीने में तनाव देखा जाता है।

कारण

पुरुषों में बच्‍चे के जन्‍म के बाद होने वाले तनाव का कोई प्रमुख कारण नहीं है। आमतौर पर ये भावनात्‍मक, तनावपूर्ण और बच्‍चे के आने पर असहज अनुभव के कारण हो सकता है।

बच्‍चे के आने पर पुरुषों की जिम्‍मेदारी भी बढ़ जाती है। आर्थिक जिम्‍मेदारियां, जीवनशैली में बदलाव, अनिद्रा और काम के बोझ बढ़ने की वजह से भी पुरुषों को तनाव होने लगता है।

इसके लक्षण क्‍या हैं

हर पुरुष में पोस्‍ट पार्टम डिप्रेशन का अनुभव अलग होता है। डिप्रेशन के दौरान कभी-कभी दोनों पार्टनर्स में एक समान लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे आप दोनों को मिलकर एक-दूसरे को इस परिस्थिति से निकालने की कोशिश करनी चाहिए।

पीपीडी के कुछ लक्षणों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। इनमें से कुछ के बारे में हम बता रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी लक्षण होंगें जिन्‍हें आपने खुद महसूस किया होगा और जो अब तक बस आप तक ही सीमित हैं। ऐसे में अपने डॉक्‍टर से इस बारे में बात करने में बिलकुल भी ना झिझकें।

पीपीडी के लक्षण

जिंदगी को लेकर निराशावादी हो जाना

अधिकतर समय थकान महसूस करना या कभी-कभी सुन्‍न भी हो जाना

परिस्थिति का सामना करने में खुद को असमर्थ पाना

बच्‍चे को प्‍यार ना दे पाने पर खुद को दोषी महसूस करना

चिड़चिड़ाहट होने के कारण आपकी इस तरह की भावना में वृद्धि होना

तर्कहीन विचार आना जो कभी-कभी बहुत डरावने भी लगते हों

भूख-प्‍यास कम हो जाना

नींद में कमी होना

बच्‍चे और पार्टनर को लेकर प्रतिरोधी हो जाना या उनके साथ अजीब व्‍यवहार करना

सिर में दर्द रहना

पहले तो चीज़ें सामान्‍य लगती थीं अब उन्‍हें लेकर भी परेशान हो उठना

कैसे लड़ें

अगर आप अच्‍छे पिता बनना चाहते हैं तो आपको अपनी मुश्किलों और परेशानियों का भी ध्‍यान रखना पड़ेगा जिसमें पीपीडी भी शामिल है। इससे निपटने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं :

टॉक थेरेपी : पीपीडी से जूझ रहे कई पिताओं को इस थेरेपी से फायदा हुआ है। कभी-कभी अकेले में रो लेने से दिल का बोझ हल्‍का हो जाता है और जिंदगी के प्रति निराशा खत्‍म हो जाती है।

संकल्‍प लें : साल के शुरु होने पर जिस तरह हम संकल्‍प लेते हैं वैसे ही आपको अपने शरीर को बेहतर बनाने के लिए भी संकल्‍प लेना है। अपने बच्‍चे के जन्‍म को अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत के रूप में देखें और उसकी देखभाल को अपने लिए एक अवसर बनाएं। खानपान का ध्‍यान रखें और सैर करें एवं योगा करें। अपने दोस्‍तों के साथ घूमने जाएं और खुद से प्‍यार करना सीखें।

दवाएं : इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि आप खुद अपनी मर्जी से दवाएं लेना शुरु कर दें। अल्‍कोहल या ड्रग्‍स वगैरह से अपने डिप्रेशन का ईलाज ना करें। आपको किसी डॉक्‍टर या विशेषज्ञ द्वारा बताई गई दवाएं लेनी चाहिए।

अगर आप पीपीडी से गुज़र रहे हैं तो आपको इससे बाहर निकलने के लिए एक्‍सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

English summary

Not Just Moms: Dads Suffer From Postpartum Depression, Too!

Multiple studies have surfaced facts like postpartum depression has impacted 10 percent of new fathers and another 25 percent during the first year their baby’s life. Know more.
Story first published: Wednesday, July 25, 2018, 18:30 [IST]
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