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पहली और दूसरी प्रेगनेंसी में होते हैं ये सारे फर्क
जब कोई स्त्री पहली बार माँ बनती है तो एक सुखद एहसास के साथ साथ उसके मन में कई सारी चिंताएं भी उत्पन्न होने लगती है। उसके अंदर शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूपों से बदलाव आने लगते हैं। कई स्त्रियां घंटों प्रेगनेंसी से जुड़ी किताबें पढ़ती हैं ताकि उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी हासिल हो सके।
इसके अलावा कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो बार बार खुद को आईने में निहारती हैं लेकिन जब औरत दूसरी बार माँ बनती है तो चीज़ें एकदम बदल जाती हैं। आज अपने इस लेख में हम आपको पहली और दूसरी प्रेगनेंसी में बड़े अंतर के विषय में बताएंगे।
डर कम हो जाता है
जब आप पहली बार माँ बनती हैं तो आप हर चीज़ को लेकर चिंतित रहने लगती हैं। हर वक़्त आपके दिमाग में एक ही बात रहती है कि कैसे अपना और अपने होने वाले बच्चे का ख्याल रखें। यहां तक कि हर रोज़ इस्तेमाल होने वाली छोटी छोटी चीज़ों जैसे शैम्पू, साबुन आदि को लेकर भी आपके मन में शंका बनी रहती है कि क्या गर्भावस्था में ये सारी चीज़ें आपके लिए सुरक्षित है या नहीं।
वहीं दूसरी ओर जब आप दोबारा माँ बनने वाली होती हैं तो थोड़ी निश्चिंत रहती हैं। छोटी छोटी बातों पर आप घबराती नहीं है हालांकि अपने बच्चे की चिंता आपको हमेशा रहती है लेकिन जिस तरह आप अपनी पहली प्रेगनेंसी में किसी भी बात पर फ़ौरन परेशान हो जाती थी, इस बार वैसा कुछ नहीं होता। इस बार आपका विशवास बढ़ जाता है।
कम चिंता
अपनी पहली प्रेगनेंसी में आप हर वक़्त किसी न किसी बात को लेकर सोच में ही डूबी रहती हैं चाहे वो आपका घर हो या फिर दफ्तर। हर समय आपको एक ही बात की चिंता सताती रहती है कि कहीं कोई पौष्टिक आहार या दवा आपसे छूट न जाए। इतना ही नहीं आप अपने सहकर्मियों या फिर परिवार के सदस्यों से खुद में हो रहे शारीरिक और मानसिक बदलाव के बारे में अकसर बातें करती रहती हैं।
हालांकि दूसरी प्रेगनेंसी में आप चीज़ों को लेकर इतना ज़्यादा नहीं सोचती क्योंकि पहले से आपके पास आपका एक बच्चा है जिसके पीछे आप दिन भर भागती हैं। इस बार आप आम दिनों की तरह ही रहती हैं, आप बस अपनी दवाइयां समय पर लेना नहीं भूलती। इस तरह से नौ महीनों का सफ़र आपके लिए और भी आसान हो जाता है।
कमरे की सजावट
जब आपका पहला बच्चा आने वाला होता है तब आप उसके स्वागत में अपने कमरे को खूब सजाती हैं। इसके लिए आप कई सारे साज सजावट की चीज़ें भी लाती हैं। आप अधिकांश समय यही सोचती हैं कि अपने नए मेहमान के लिए किस रंग के परदे लगाएं या फिर बिस्तर पर किस रंग की चादर बिछाएं। वहीं अपनी दूसरी प्रेगनेंसी में आप यह बात समझ जाते हैं कि आपके नन्हे शिशु को साज सजावट से कोई मतलब नहीं होता उसे तो बस देखभाल की ज़रुरत होती है। आप उसके लिए वही कमरा इस्तेमाल करते हैं जो आपने अपने पहले बच्चे के लिए किया होता है। लेकिन इस बार आप कमरे की सजावट पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते।
उत्साह कम हो जाता है
घर में पहले बच्चे के आने से न सिर्फ माता पिता बल्कि घर के बाकी सदस्य भी उत्साहित हो जाते हैं। खुश होने के साथ सब भावुक भी हो जाते हैं क्योंकि यह सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पल होता है। कुछ लोग इस तरह की खुशखबरी मिलने पर दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए पार्टी का आयोजन करते हैं ताकि वे उनके साथ अपनी यह खुशी बांट सकें। लेकिन जब घर में जब दूसरा बच्चा आने वाला होता है तब पहले की तुलना में उत्साह थोड़ा कम हो जाता है।
शारीरिक आकार को लेकर उत्साह कम
पहली बार जब आप माँ बनती हैं तो अपने शरीर में होने वाले बदलाव को लेकर काफी उत्साहित रहती हैं ख़ास तौर पर अपने बढ़ते हुए पेट को लेकर। हर हफ़्ते आपको अपने शरीर में होने वाले बदलावों को देखना बेहद अच्छा लगता है। साथ ही अपने बढ़ते हुए पेट को छूकर अपने होने वाले बच्चे को महसूस करना आपको बहुत अच्छा लगता है। हालांकि दूसरी बार आप इन सब पर थोड़ा कम ध्यान देती हैं ऐसा इसलिए क्योंकि आप अपनी पहली प्रेगनेंसी में ये सब अनुभव कर चुकी होती हैं।
ज़्यादा कठिन डाइट नहीं
अपनी पहली प्रेगनेंसी में आप अपने खाने पीने को लेकर बहुत ज़्यादा सतर्क रहती हैं इसके लिए आप बहुत ही कड़ा डाइट भी फॉलो करती हैं। आप शुद्ध शाकाहारी भोजन पर ज़्यादा ज़ोर देती हैं। इसके अलावा आप जंक फ़ूड या फिर बाहर का खाना भी खाने से परहेज़ करती हैं। इतना ही नहीं आप अपने खाने पीने की चीज़ों के लिए पूरी लिस्ट तैयार करती हैं लेकिन दूसरी बार आप खाने पीने को लेकर इतना नहीं सोचतीं। आप ख़ुशी ख़ुशी सारी चीज़ें खाती हैं साथ ही इस बात का ध्यान रखती हैं कि वे चीज़ें आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए सुरक्षित हो।
प्रेगनेंसी से जुड़ी किताबें पढ़ना कम हो जाता है
पहली बार माँ बनने पर आपके दिमाग में कई सारे सवाल उठते हैं और इसलिए अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने के लिए आप प्रेगनेंसी से जुड़ी कई सारी किताबें और लेख पढ़ती हैं। किताबों के अलावा आप हर तरह के ब्लॉग्स और आर्टिकल्स भी पढ़ती हैं। साथ ही आप सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी लोगों से जुड़कर प्रेगनेंसी पर चर्चा करती हैं। लेकिन जब आप दूसरी बार माँ बनती हैं तो आपको इन सब की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि अपनी पहली प्रेगनेंसी में आपने इस तरह की कई जानकारी प्राप्त कर चुकी होती है।